Wednesday, February 26, 2020

अमेरिका से रिश्तों की नई ऊँचाई


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौरे के बाद भारत-अमेरिका संबंध एक नई ऊँचाई पर पहुँचे हैं। इन रिश्तों का असर दूर तक और देर तक देखने को मिलेगा। बेशक राजनयिक संबंध इंस्टेंट कॉफी की तरह नहीं होते कि किसी एक यात्रा से रिश्तों में नाटकीय बदलाव आ जाए, पर ऐसी यात्राएं मील के पत्थर का काम जरूर करती हैं। दोनों देशों ने मंगलवार को तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए। उम्मीद है आने वाले वर्षों में ऐसे तमाम समझौते और होंगे। इस यात्रा से यह निष्कर्ष जरूर निकाला जा सकता है कि आने वाले वर्षों में यह गठबंधन क्रमशः मजबूत होता जाएगा।
ट्रंप की यात्रा के पहले दिन अहमदाबाद और आगरा में ये रिश्ते सांस्कृतिक धरातल पर थे और दिल्ली में दूसरे दिन के कार्यक्रमों में इनका राजनयिक महत्व खुलकर सामने आया। दोनों नेताओं की संयुक्त प्रेस वार्ता में ट्रंप ने घोषणा की कि अमेरिका ने तीन अरब डॉलर के रक्षा समझौतों पर मुहर लगाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि ट्रेड डील को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत जारी रखने पर सहमति बनी है। इसके अलावा पेट्रोलियम और नाभिकीय ऊर्जा से जुड़े तथा अंतरिक्ष अनुसंधान और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी कुछ समझौते हुए हैं। अमेरिका भारत को 5-जी से भी आगे की टेली-तकनीक से जोड़ना चाहता है।

Monday, February 24, 2020

अफगान समझौते की पृष्ठभूमि में ट्रंप की यात्रा का महत्व


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस सप्ताह होने वाली भारत-यात्रा काफी हद तक केवल चाक्षुष (ऑप्टिकल) महत्व है। चुनाव के साल में ट्रंप अपने देशवासियों को दिखाना चाहते हैं कि मैं देश के बाहर कितना लोकप्रिय हूँ। उनके स्वागत की जैसी व्यवस्था अहमदाबाद में की गई है, वह भी यही बताती है। दोनों नेताओं का यह अब तक का सबसे बड़ा मेगा शो होगा। अमेरिका में हुए 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में जहां 50 हजार लोग शामिल हुए थे वहीं अहमदाबाद में लाखों का दावा किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ट्रंप वहाँ मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम का उद्घाटन भी करेंगे, जो दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम है। अहमदाबाद हवाई अड्डे से साबरमती आश्रम तक 10 किलोमीटर तक के मार्ग पर रोड शो होगा।
इस स्वागत-प्रदर्शन से हटकर भी भारत और अमेरिका के रिश्तों के संदर्भ में इस यात्रा का महत्व है। आमतौर पर ट्रंप द्विपक्षीय यात्राओं पर नहीं जाते। उनकी दिलचस्पी या तो बहुपक्षीय शिखर सम्मेलनों में होती है या ऐसी द्विपक्षीय बैठकों में, जिनमें किसी समस्या बड़े समाधान को हासिल करने की कोशिश हो। पिछले साल के गणतंत्र दिवस पर भारत आने का प्रस्ताव ठुकरा कर वे भारत को हमें एक राजनयिक झटका लगा चुके हैं। बहरहाल नाटकीयता अपनी जगह है, दोनों देशों के रिश्तों का महत्व है। ऐसे मौके पर जब अमेरिका ने तालिबान के साथ समझौता करके अफगानिस्तान से अपनी सेना हटाने का फैसला कर लिया है, यह यात्रा बेहद महत्वपूर्ण हो गई है।

Sunday, February 23, 2020

ट्रंप-यात्रा का राजनयिक महत्व


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस हफ्ते हो रही भारत-यात्रा का पहली नजर में विशेष राजनीतिक-आर्थिक महत्व नजर नहीं आ रहा है, क्योंकि आधिकारिक रूप से कहा गया है कि दोनों देशों के बीच बहु-प्रतीक्षित व्यापार समझौते पर दस्तखत अभी नहीं होंगे, बल्कि इस साल हो रहे राष्ट्रपति चुनाव के बाद होंगे। अहमदाबाद और आगरा की यात्रा का कार्यक्रम जिस प्रकार से तैयार किया गया है, उससे लगता है कि यह सैर-सपाटे वाली यात्रा ज्यादा है। ट्रंप चाहते हैं कि इसका जमकर प्रचार किया जाए। चुनाव के साल में वे दिखाना चाहते हैं कि मैं देश के बाहर कितना लोकप्रिय हूँ। 
बावजूद इसके यात्रा के राजनयिक महत्व को कम नहीं किया जा सकता। अंततः यह अमेरिकी राष्ट्रपति की ‘स्टैंड एलोन’ यात्रा है। आमतौर पर ट्रंप द्विपक्षीय यात्राओं पर नहीं जाते। उनके साथ वाणिज्य मंत्री बिलबर रॉस, ऊर्जा मंत्री डैन ब्रूले, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट सी ओ’ब्रायन और ह्वाइट हाउस चीफ ऑफ स्टाफ मिक मलवेनी भी आ रहे हैं। वे वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से मुलाकात करेंगे। कुछ समझौते तो होंगे ही, जिनमें आंतरिक सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ साझा मुहिम, ऊर्जा सुरक्षा और रक्षा तकनीक से जुड़े मसले शामिल हैं।

Wednesday, February 19, 2020

सेना में नारी-शक्ति की बड़ी विजय


करीब दो दशक की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद थलसेना में महिलाओं को बराबरी का हक मिलने का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसले में कहा कि उन सभी महिला अफसरों को तीन महीने के अंदर सेना में स्थायी कमीशन दिया जाए, जो इस विकल्प को चुनना चाहती हैं. इसका लाभ सेना की 10 शाखाओं में काम कर रही महिलाओं को मिलेगा. अदालत ने केंद्र की उस दलील को निराशाजनक बताया, जिसमें महिलाओं को कमांड पोस्टिंग न देने के पीछे शारीरिक क्षमताओं और सामाजिक मानदंडों का हवाला दिया गया था.
अभी तक सेना में 14 साल तक शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) में सेवा दे चुके पुरुष अफसरों को ही स्थायी कमीशन का विकल्प मिल रहा था, महिलाओं को यह हासिल नहीं था. वायुसेना और नौसेना में महिला अफसरों को पहले से स्थायी कमीशन मिल रहा है. यह केस पहली बार सन 2003 में दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल किया गया था और 2010 में हाईकोर्ट ने महिलाओं के पक्ष में फैसला सुनाया था, पर उस आदेश का पालन नहीं किया गया और उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

Sunday, February 16, 2020

‘आप’ की जीत पर कांग्रेस की कैसी खुशी?


दिल्ली में आम आदमी पार्टी की भारी जीत के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट किया, 'आप की जीत हुई, बेवकूफ बनाने तथा फेंकने वालों की हार। दिल्ली के लोग, जो भारत के सभी हिस्सों से हैं, ने बीजेपी के ध्रुवीकरण, विभाजनकारी और खतरनाक एजेंडे को हराया है। मैं दिल्ली के लोगों को सलाम करता हूं जिन्होंने 2021 और 2022 में अन्य राज्यों के लिए, जहां चुनाव होंगे मिसाल पेश की है।' इस ट्वीट के निहितार्थ को समझने के पहले कांग्रेस प्रवक्ता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पुत्री शर्मिष्ठा मुखर्जी के दो ट्वीट पर भी ध्यान देना चाहिए।
चिदंबरम के ट्वीट के पहले उन्होंने ट्वीट किया, ''हम फिर से एक भी सीट नहीं जीत पाए. आत्ममंथन बहुत हो गया अब एक्शन लेने की ज़रूरत है। शीर्ष के नेताओं ने फ़ैसले लेने में बहुत देरी की। हमारे पास कोई रणनीति नहीं थी और न ही एकता थी। कार्यकर्ताओं में निराशा थी और ज़मीन से कोई जुड़ाव नहीं था। कांग्रेस पार्टी के संगठन का हिस्सा होने के नाते मेरी भी ज़िम्मेदारी है।''