नरेंद्र मोदी के भीतर वह
क्या बात है जिसके कारण वे एक जबर्दस्त आंधी को पैदा करने में कामयाब हुए? मनमोहन सिंह की छवि के विपरीत वे फैसला करने
वाले कड़क और तेज-तर्रार राजनेता हैं। उनकी यह विजय उनके बेहतरीन मैनेजमेंट की
विजय भी है। यानी अब हमें ऐसा नेता मिला है, जो भ्रमित नहीं है, बड़े फैसले करने
में समर्थ है और विपरीत स्थितियों में भी रास्ता खोज लेने में उसे महारत हासिल है।
सन 2002 के बाद से वह लगातार हमलों का सामना करता रहा है। उसके यही गुण अब देश की
सरकार को दिशा देने में मददगार होंगे।
मोदी की जीत के पीछे एक
नाकारा, भ्रष्ट और अपंग सरकार को उखाड़ फेंकने की मनोकामना छिपी है। फिर भी यह जीत
सकारात्मक है। दस साल के शासन की एंटी इनकम्बैंसी स्वाभाविक थी। पर सिर्फ इतनी बात
होती तो क्षेत्रीय पार्टियों की जीत होती। बंगाल, उड़ीसा और तमिलनाडु में
क्षेत्रीय पार्टियों की ताकत जरूर बढ़ी है, पर भारतीय जनता पार्टी ने भी इन
राज्यों में प्रवेश किया है। पहली बार भाजपा पैन-इंडियन पार्टी के रूप में उभरी
है। इसके विपरीत सोलहवीं लोकसभा में दस राज्यों से कांग्रेस का एक भी प्रतिनिधि
नहीं होगा। यानी कांग्रेस अपने पैन-इंडियन सिंहासन से उतार दी गई है और उसकी जगह
बीजेपी पैन इंडियन पार्टी बनकर उभरी है।
मोदी के नए भारत का सपना
युवा-भारत की मनोभावना से जुड़ा है। उनका नारा है, ‘अच्छे दिन आने वाले हैं।’ इसलिए नरेंद्र मोदी की
पहली जिम्मेदारी है कि वे अच्छे दिन लेकर आएं। देशभर के वोटर ने एक सरकार को उखाड़
फेंकने के साथ-साथ अच्छे दिनों को वापस लाने के लिए वोट दिया है। ऐसा न होता तो
तीस साल बाद देश के मतदाता ने किसी एक पार्टी को साफ बहुमत नहीं दिया होता। यह मोदी
मूमेंट है। मोदी ने कहा, ये दिल माँगे मोर और जनता ने कहा, आमीन।