Wednesday, December 13, 2023

भारत-अमेरिका रिश्तों पर पन्नू-निज्जर प्रसंगों की छाया

दिल्ली में एनआईए के प्रमुख के साथ एफबीआई के प्रमुख 

अमेरिका में खालिस्तानी-अलगाववादी गतिविधियों और गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश से जुड़े एक मामलों को लेकर दोनों देशों के गुपचुप-मतभेद जरूर सामने आए हैं, पर इससे यह नहीं मान लेना चाहिए कि दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ जाएगी. अलबत्ता इन मामलों से भारत की प्रतिष्ठा जुड़ी है.

बावजूद इसके बातें इतनी बड़ी नहीं हैं कि दोनों देशों के रिश्तों में बिगाड़ पैदा हो जाए. पन्नू-प्रसंग से मिलता-जुलता मामला कनाडा में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जुड़ा है. इन दोनों मामलों को लेकर भारत की खुफिया एजेंसी की प्रतिष्ठा को लेकर सवाल खड़े हुए हैं. दूसरी तरफ भारत के सामने खालिस्तानी चरमपंथियों को काबू करने की चुनौतियाँ भी है.

अमेरिका को चीनी चुनौती का सामना करने के लिए भारत की जरूरत है. एशिया में भारत ही अमेरिका के काम आ सकता है. ऐसा भारत की भौगोलिक स्थिति के अलावा आर्थिक और सामरिक मजबूती की वजह से भी है. भारत को भी अमेरिका की जरूरत है, क्योंकि वह दो ऐसे देशों से घिरा है, जो उसे अज़ली दुश्मन मानते हैं.

Tuesday, December 12, 2023

राजनीति की लोकलुभावन गारंटियाँ


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में विकसित भारत संकल्प यात्रा के लाभार्थियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से बातचीत करने के बाद कहा कि विधानसभा चुनाव के नतीजों ने साफ कर दिया कि मोदी की गारंटी में दम है। गारंटी से उनका आशय उस भरोसे से है, जो उनकी कार्यशैली से जुड़ा है। सिद्धांततः वे लोकलुभावन राजनीति के विरोधी हैं। पिछले साल एक सभा में उन्होंने कहा था कि लोकलुभावन राजनीति के नाम पर मुफ्त की रेवड़ियाँ बाँटने की संस्कृति पर रोक लगनी चाहिए। वे यह बात गुजरात के चुनाव के संदर्भ में कह रहे थे, जहाँ आम आदमी पार्टी भी प्रवेश पाने की कोशिश कर रही थी।

इसी रविवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक कार्यक्रम में कहा कि समाज में जिस तथाकथित मुफ्त उपहार की ‘अंधी दौड़’ देखने को मिल रही है, उसकी राजनीति खर्च करने संबंधी प्राथमिकताओं को विकृत कर देती है। बहरहाल इन दिनों गारंटी शब्द इतना लोकप्रिय हो रहा है कि इसबार भाजपा ने छत्तीसगढ़ के लिए अपने घोषणापत्र को 'मोदी की गारंटी' नाम दिया। मध्य प्रदेश में बीजेपी की जीत के पीछे ‘लाड़ली बहना’ योजना का हाथ बताया जा रहा है। इस योजना के तहत मध्य प्रदेश सरकार महिलाओं को हर महीने 1,250 रुपये देती है।

मोदी की भाजपा ने ही नहीं, हाल में हुए चुनावों में कांग्रेस ने चार राज्यों में और तेलंगाना में बीआरएस ने भी गारंटियों की झड़ी लगा दी। इन वायदों में एलपीजी सिलेंडर रिफिल पर भारी सब्सिडी, स्त्रियों को हर महीने धनराशि वगैरह-वगैरह शामिल हैं। इस साल मई हुए में कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को मिली सफलता के पीछे पाँच गारंटियों की बड़ी भूमिका थी। पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में गृह ज्योति, गृह लक्ष्मी, अन्न भाग्य, युवा निधि एवं शक्ति की पाँच गारंटियाँ दी थीं। गृह ज्योति के तहत 200 यूनिट निशुल्क बिजली, गृह लक्ष्मी में परिवार की मुखिया को दो हजार रुपये, अन्न भाग्य में दस किलोग्राम अनाज, युवा निधि में बेरोजगार स्नातकों को तीन हजार और डिप्लोमाधारियों को डेढ़ हजार रुपये महीने, शक्ति योजना के तहत महिलाओं को राज्य भर में सरकारी बसों में निशुल्क यात्रा की सुविधा की गारंटी थी।  

Sunday, December 10, 2023

सेमीफाइनल बीजेपी के नाम


बीजेपी की जीत के बाद दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, मैं लगातार कहता रहा हूं कि मेरे लिए देश में चार जातियां ही सबसे बड़ी जातियां हैं। मैं जब इन जातियों की बात करता हूं, तो इसमें स्त्रियाँ, युवा, किसान और गरीब परिवार हैं। इन चार जातियों को सशक्त करने से ही देश सशक्त होने वाला है। उन्होंने यह भी कहा कि कई लोग कह रहे हैं कि इस हैट्रिक ने लोकसभा चुनाव की हैट्रिक की गारंटी दे दी है।

तीन हिंदी भाषी राज्यों में जीत के बाद लगता है कि बीजेपी अब लोकसभा चुनाव की रणनीतियों पर काम करेगी। 2018 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी इन तीनों हिंदी भाषी राज्यों में हार गई थी, पर 2019 के लोकसभा चुनावों में इन्हीं राज्यों से पार्टी को जबर्दस्त सफलता मिली। इस लिहाज से वह पहले की तुलना में बेहतर स्थिति में है, पर उसके सामने इसबार इंडी या इंडिया गठबंधन होगा। सच यह भी है कि इंड गठबंधन खुद अंतर्विरोधों का शिकार है। बीजेपी की सफलता के पीछे अनेक कारण हैं। मजबूत नेतृत्व, संगठन-क्षमता, संसाधन, सांस्कृतिक-आधार और कल्याणकारी योजनाएं वगैरह-वगैरह। इनमें शुक्रिया मोदीजी को भी जोड़ लीजिए।

माना जाता है कि राज्यों के चुनावों में स्थानीय नेतृत्व की प्रतिष्ठा और राज्य से जुड़े दूसरे मसले भी होते हैं, पर लोकसभा चुनाव में मोदी का जादू काम करता है। बहरहाल इसबार के विधानसभा चुनावों में भी मोदी की गारंटी ने काम किया है। मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29, राजस्थान में 25, छत्तीसगढ़ में 11, तेलंगाना में 17 और मिज़ोरम में एक सीट है। इन सीटों को जोड़ दिया जाए तो इनका योग 83 हो जाता है। इन परिणामों के निहितार्थ और 2024 के चुनावों पर पड़ने वाले असर के लिहाज से देखने के लिए यह समझना जरूरी है कि बीजेपी की इस असाधारण सफलता के पीछे के कारण क्या हैं।

बीजेपी की जीत में ‘शुक्रिया मोदीजी’ की भूमिका


बीजेपी की जीत के बाद दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, मैं लगातार कहता रहा हूं कि मेरे लिए देश में चार जातियां ही सबसे बड़ी जातियां हैं. मैं जब इन जातियों की बात करता हूं, तो इसमें स्त्रियाँ, युवा, किसान और गरीब परिवार हैं. इन चार जातियों को सशक्त करने से ही देश सशक्त होने वाला है. उन्होंने यह भी कहा कि कई लोग कह रहे हैं कि इस हैट्रिक ने लोकसभा चुनाव की हैट्रिक की गारंटी दे दी है.

तीन हिंदी भाषी राज्यों में जीत के बाद लगता है कि बीजेपी अब लोकसभा चुनाव की रणनीतियों पर काम करेगी. उसे बेशक सफलता मिल गई, पर नहीं मिलती तब भी वह निराश नहीं होती. 2018 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी इन तीनों हिंदी भाषी राज्यों में हार गई थी, पर 2019 के लोकसभा चुनावों में इन्हीं राज्यों से पार्टी को जबर्दस्त सफलता मिली. बीजेपी की सफलता के पीछे अनेक कारण हैं. मजबूत नेतृत्व, संगठन-क्षमता, संसाधन, सांस्कृतिक-आधार और कल्याणकारी योजनाएं वगैरह-वगैरह. इनमें शुक्रिया मोदीजी को भी जोड़ लीजिए.

माना जाता है कि राज्यों के चुनावों में स्थानीय नेतृत्व की प्रतिष्ठा और राज्य से जुड़े दूसरे मसले भी होते हैं, पर लोकसभा चुनाव में मोदी का जादू काम करता है. बहरहाल इसबार के विधानसभा चुनावों में भी मोदी की गारंटी ने काम किया है. चुनाव-परिणामों के निहितार्थ और 2024 के चुनावों पर पड़ने वाले असर के लिहाज से देखने के लिए यह समझना जरूरी है कि बीजेपी की इस असाधारण सफलता के पीछे के कारण क्या हैं.

Wednesday, December 6, 2023

इंडिया गठबंधन की उलझनें बढ़ीं


पाँच राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस पार्टी की परेशानियाँ बढ़ गई हैं। 2018 में जिन तीन हिंदीभाषी राज्यों में उसे जीत मिली थी, उनमें हार से उसके 2024 का गणित उलझ गया है। कम से कम एक राज्य में भी उसे जीत मिलती, तो उसके पास कहने को कुछ था, पर मामूली नहीं मिली, अच्छी-खासी हार मिली है। कांग्रेस इससे बेहतर परिणाम की उम्मीद कर रही थी।

विपक्ष का ‘इंडिया’ गठबंधन बनने के बाद यह बड़ा चुनाव था, जिसमें एक साथ पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे थे। इसका असर इंडी या इंडिया गठबंधन पर पड़ेगा, जिसके केंद्र में हिंदीभाषी राज्य ही हैं। बहरहाल अब गठबंधन की अगली बैठक का इंतज़ार है, जिसमें सीटों के बँटवारे पर बात होगी। सपा ने फैसला किया है कि घटक दलों के पास मजबूत प्रत्याशी होने पर ही वह कोई भी सीट छोड़ेगी।

सीटों के बंटवारे के लिए तृणमूल, सपा और डीएमके जैसी क्षेत्रीय पार्टियां समान फॉर्मूला अपनाने पर सहमत हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 6 दिसंबर को घटक दलों के नेताओं की बैठक बुलाई थी, जिसे स्थगित कर दिया गया, पर संसद में विपक्ष के नेता दिल्ली में खरगे के आवास पर डिनर में शामिल हो रहे हैं। डिनर के माध्यम से खटास दूर करने की कोशिश होंगी और अगली बैठक के लिए संभावित तारीखों पर विचार भी किया जाएगा।

पांच राज्यों के चुनाव के दौरान ही राजद और जदयू समेत इंडिया के कई घटक दल न सिर्फ एक बड़ी रैली का आयोजन करना चाहते थे, बल्कि सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले पर वार्ता करने की भी उनकी योजना थी। लेकिन कांग्रेस ने पांच राज्यों के चुनाव के नतीजों के बाद इस पर विचार करने की बात कहते हुए मामले को टाल दिया था। अब क्षेत्रीय पार्टियों का कांग्रेस पर दबाव बढ़ जाएगा।