वैश्विक एजेंडा पर इस हफ्ते भी अफगानिस्तान सबसे ऊपर है। तालिबान की विजय को एक महीना पूरा हो गया है, पर अस्थिरता कायम है। अफगानिस्तान के भीतर और बाहर भी। इस दौरान एक शिखर सम्मेलन व्लादीवोस्तक में ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम का हुआ, फिर 9 सितम्बर को दिल्ली में ब्रिक्स का शिखर सम्मेलन। उसके बाद दुशान्बे में शंघाई सहयोग संगठन का सम्मेलन। अब इस हफ्ते संयुक्त राष्ट्र महासभा की सालाना बैठक शुरू होगी, जिसमें दूसरी बातों से ज्यादा महत्वपूर्ण अफगानिस्तान का मसला है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें भाग लेंगे,
पर उनकी यात्रा का ज्यादा महत्वपूर्ण एजेंडा है राष्ट्रपति जो बाइडेन
से मुलाकात का। 24 सितंबर को ह्वाइट हाउस में क्वॉड नेताओं का पहला वास्तविक
शिखर-सम्मेलन होने जा रहा है। इसमें बाइडेन के साथ नरेंद्र मोदी, स्कॉट मॉरिसन और योशिहिदे सुगा शामिल होंगे। भारतीय राजनय के लिहाज
से वह महत्वपूर्ण परिघटना होगी, पर वैश्विक-दृष्टि से एक और मुलाकात
सम्भव है। संरा के हाशिए पर चीन और अमेरिका के राष्ट्रपतियों की मुलाकात। खासतौर
से अफगानिस्तान के संदर्भ में।
शी-बाइडेन वार्ता
अफगानिस्तान को भटकाव से बचाने के लिए अमेरिका और चीन का आपसी सहयोग क्या सम्भव है? बाइडेन और शी चिनफिंग के बीच 9-10 सितंबर को करीब 90 मिनट लम्बी बातचीत ने इस सवाल को जन्म दिया है। दोनों नेताओं के बीच सात महीने से अबोला चल रहा था। इस फोन-वार्ता की पेशकश अमेरिका ने की थी। पर्यवेक्षकों के अनुसार दोनों देशों के लिए ही नहीं दुनिया के भविष्य के लिए दोनों का संवाद जरूरी है।