Monday, June 21, 2021

शरद पवार ने विरोधी-महागठबंधन की पहल की, कल होगी बैठक

 


नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार आज दिल्ली में हैं। उन्होंने कल दिन में 4.00 बजे अपने निवास पर विरोधी दलों की बैठक बुलाई है, जिसमें 15-20 नेताओं के अलावा कुछ गैर-राजनीतिक व्यक्तियों के भी आने की सम्भावनाएं हैं, जिनमें वकील, अर्थशास्त्री और साहित्यकार शामिल हैं। शरद पवार ने आज चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से भी मुलाकात की। इससे पहले भी हाल में शरद पवार प्रशांत किशोर से मुलाकात कर चुके हैं। इस बैठक के पहले सुबह एनसीपी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक भी होने जा रही है।

तृणमूल कांग्रेस के यशवंत सिन्हा, राजद के मनोज झा, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह से भी आज शरद पवार की मुलाकात हुई। बताया जा रहा है कि यह बैठक राष्ट्रीय मंच के तत्वावधान में होने जा रही है, जिसका गठन कुछ साल पहले यशवंत सिन्हा और शत्रुघ्न सिन्हा ने किया था। खबर यह भी है कि यशवंत सिन्हा ने कहा है कि प्रशांत किशोर का इस बैठक से कोई वास्ता नहीं है। उधर प्रधानमंत्री ने 24 जून को जम्‍मू-कश्‍मीर के 14 नेताओं की बैठक बुलाई है, उसे लेकर भी कयास हैं।

इन दोनों बैठकों का राजनीतिक महत्व है। शरद पवार के घर पर होने वाली बैठक में शामिल होने के लिए कांग्रेस को भी बुलाया गया है या नहीं, यह भी स्पष्ट नहीं है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि पार्टी का कोई प्रतिनिधि इसमें शामिल होगा या नहीं। यह बात इसलिए महत्वपूर्ण है कि बैठक यूपीए के तत्वावधान में नहीं हो रही है। इसका निमंत्रण शरद पवार और यशवंत सिन्हा की ओर से भेजा गया है। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार 15 राजनीतिक दलों को निमंत्रण दिया गया है। एक सूत्र ने बताया कि सात दलों ने इसमें शामिल होने की स्वीकृति दी है।

इस मामले में मीडिया कवरेज संदेह पैदा कर रही है। बैठक विरोधी दलों की है या किसी वैचारिक मंच की, यह स्पष्ट नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार बैठक में फारूक अब्दुल्ला, यशवंत सिन्हा, संजय सिंह, पवन वर्मा, केटीएस तुलसी, डी राजा, जस्टिस एपी सिंह, करन थापर, आशुतोष, मजीद मेमन, वंदना चह्वाण, एसवाई कुरैशी, केसी सिंह, जावेद अख्तर, संजय झा, सुधीन्द्र कुलकर्णी, कॉलिन गोंज़ाल्वेस, अर्थशास्त्री अरुण कुमार, घनश्याम तिवारी और प्रीतीश नंदी शामिल हो सकते हैं। इनमें से कुछ नाम ऐसे हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से राजनीति में सक्रिय नहीं हैं। एनडीटीवी के अनुसार एनसीपी के नेता और महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने ट्वीट करके इस विस्तृत सूची को जारी किया, जिसमें प्रतिष्ठित व्यक्तियों के नाम भी हैं। हालांकि नवाब मलिक की सूची में कांग्रेस के विवेक तन्खा और कपिल सिब्बल के नाम नहीं हैं, पर मीडिया में खबरें हैं कि उन्हें भी बुलाया गया है।  

दुनिया पर भारी पड़ेगी वैक्सीन-असमानता


ब्रिटेन के कॉर्नवाल में हुए शिखर सम्मेलन में जी-7 देशों ने घोषणा की है कि हम गरीब देशों के 100 करोड़ वैक्सीन देंगे। यह घोषणा उत्साहवर्धक है, पर 100 करोड़ वैक्सीन ऊँट में मुँह में जीरा जैसी बात है। दूसरी तरफ खबर यह है कि दक्षिण अफ्रीका में आधिकारिक रूप से कोविड-19 की तीसरी लहर चल रही है। वहाँ अब एक्टिव केसों की संख्या एक महीने के भीतर दुगनी हो रही है और पॉज़िटिविटी रेट 16 प्रतिशत के आसपास पहुँच गया है, जो कुछ दिन पहले तक 9 प्रतिशत था। सारी दुनिया में तीसरी लहर को डर पैदा हो गया है। ब्रिटेन में भी तीसरी लहर के शुरूआती संकेत हैं।

इतिहास बताता है कि महामारियों की लहरें आती हैं। आमतौर पर पहली के बाद दूसरी लहर के आने तक लोगों का इम्यूनिटी स्तर बढ़ जाता है। पर दक्षिण अफ्रीका और भारत में यह बात गलत साबित हुई। चूंकि अब दुनिया के पास कई तरह की वैक्सीनें भी हैं, इसलिए भावी लहरों को रोकने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। दुनिया की बड़ी आबादी को समय रहते टीके लगा दिए जाएं, तो सम्भव है कि वायरस के संक्रमण क्रमशः कम करने में सफलता मिल जाए, पर ऐसा तभी होगा, जब वैक्सीनेशन समरूप होगा।

टीकाकरण की विसंगतियाँ

दुनिया में टीकाकरण इस साल जनवरी से शुरू हुआ है। इसकी प्रगति पर नजर डालें, तो वैश्विक-असमानता साफ नजर आएगी। दुनिया के 190 से ज्यादा देशों में इस हफ्ते तक 2.34 अरब से ज्यादा टीके लग चुके हैं। वैश्विक आबादी को करीब 7.7 अरब मानें तो इसका मतलब है कि करीब एक तिहाई आबादी को टीके लगे हैं। पर जब इस डेटा को ठीक से पढ़ें, तो पता लगेगा कि टीकाकरण विसंगतियों से भरा है।

Sunday, June 20, 2021

सावधान, कोरोना कहीं गया नहीं है!


दिल्ली में अनलॉक के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल के उल्लंघन पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है और सरकार को तथा जनता को सावधान करते हुए कहा है कि छोटी सी गलती भी तीसरी लहर को बुलावा देगी। अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार से मामले की रिपोर्ट भी मांगी है। दिल्ली में अनलॉक के बाद से ही बाजारों में उमड़ी भारी भीड़ के फोटो वॉट्सऐप पर प्रसारित हो रहे हैं। लोग बिना मास्क लगाए घूम रहे हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं किया जा रहा है। कोरोना की दूसरी लहर में हम बड़ी कीमत अदा कर चुके हैं। ऐसा कोई घर नहीं बचा, जो दूसरी लहर की चपेट में न आया हो।

हाईकोर्ट ने इन तस्वीरों का स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका शुरू करते हुए केंद्र, दिल्ली सरकार व दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करते हुए स्टेटस रिपोर्ट तलब की है और सुनवाई के लिए 9 जुलाई की तारीख तय की है। अदालत ने कहा है कि लोगों में डर होना चाहिए, लेकिन डर भीतर से आना चाहिए। यह चेतावनी केवल दिल्ली के लिए नहीं, पूरे देश के लिए है। इस साल जनवरी-फरवरी में हम इसी तरह से निर्द्वंद होकर मान बैठे थे कि कोरोना तो गया। पर वह धोखा था। उधर भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार सहित स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने तीसरी लहर की चेतावनी दी है। विशेषज्ञों ने कहा है कि  लोग एहतियात नहीं बरतेंगे, तो हालात फिर से खराब हो जाएंगे।

दूसरी लहर काबू में

सच यह भी है कि कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ी है। इस हफ्ते नए मामलों का साप्ताहिक औसत साठ हजार के आसपास है, जो अगले हफ्ते पचास हजार के आसपास आने की उम्मीदें हैं। सक्रिय केसों की देश में संख्या साढ़े सात लाख के आसपास है, जिसमें तेज गिरावट है। उत्तर भारत में संक्रमण का असर काफी कम हुआ है, पर दक्षिण में अभी असर है। पर यह गिरावट लॉकडाउन और एहतियात का परिणाम है। हम फिर से बेखबर होंगे, तो महामारी का अगला हमला और ज्यादा खतरनाक हो सकता है।

Thursday, June 17, 2021

बाइडेन ने पुतिन को मनाने की कोशिश की

 


अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच जिनीवा में शिखर-वार्ता बुधवार को हुई। यह मुलाकात ऐसे मौके पर हुई है जब दोनों देशों के रिश्ते बदतर स्थिति में हैं और दुनिया पर एक नए शीतयुद्ध का खतरा मंडरा रहा है, जिसमें रूस और चीन मिलकर अमेरिका और उसके मित्र देशों का प्रतिरोध कर रहे हैं। हालांकि बातचीत काफी अच्छे माहौल में हुई, पर बाइडेन ने साइबर हमलों, रूसी विरोधी नेता अलेक्सी नवेलनी की गिरफ्तारी और मानवाधिकार के सवालों को उठाकर अपने मंतव्य को भी स्पष्ट कर दिया। पर इतना लगता है कि अमेरिका की कोशिश है कि रूस पूरी तरह से चीन के खेमे में जाने के बजाय अमेरिका के साथ भी जुड़ा रहे। रूस के लिए महान शक्ति विशेषण का इस्तेमाल करके उन्होंने रूस को खुश करने की कोशिश भी की है।

जिनीवा में बातचीत के बाद जो बाइडेन ने कहा कि दो महान शक्तियों ने उम्मीद से काफी पहले यह वार्ता संपन्न की है। इस रूबरू बातचीत का परिणाम है कि दोनों देशों ने तनाव दूर करने के लिए अपने-अपने देशों के राजदूतों को फिर से काम पर वापस भेजने का फैसला किया है।

दोनों के बीच यह बातचीत विला ला ग्रेंज में हुई। बातचीत को दो दौर में होना था और दोनों के बीच मध्यांतर की योजना थी, पर वार्ता लगातार चलती रही और एक ही दौर में पूरी हो गई। दोनों पक्षों को लगता था कि कुल मिलाकर चार से पाँच घंटे तक बातचीत चलेगी, पर वह तीन घंटे से कम समय में ही पूरी हो गई।

वार्ता खत्म होने के बाद रूसी राष्ट्रपति ने सबसे पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा, बातचीत 'बेहद रचनात्मक' रही और मुझे नहीं लगता है कि हमारे बीच कोई 'दुश्मनी' है। पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति की तारीफ़ की और उन्हें एक 'अनुभवी राजनेता' बताया। उन्होंने कहा कि बाइडेन "पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से काफी अलग हैं।" उन्होंने कहा कि हमने विस्तार से दो घंटे में बातचीत की जो कि आप बहुत से राजनेताओं के साथ नहीं कर सकते हैं।

पुतिन के एक घंटे तक चले वक्तव्य के बाद जो बाइडेन ने कहा कि दोनों के बीच बैठक सकारात्मक रही। उन्होंने कहा, "मैंने राष्ट्रपति पुतिन से कहा कि मेरा एजेंडा रूस या किसी और ख़िलाफ़ नहीं है, बल्कि यह अमेरिका और अमेरिकी लोगों के हक में हैं।"

Wednesday, June 16, 2021

मंदिर की जमीन के सौदे का आरोप लगाने वाले अपने ही जाल में उलझे


अयोध्या में राम मंदिर से जुड़ी जमीन की खरीद में घोटाले का आरोप लगाने वाले अपने ही जाल में उलझ गए लगते हैं। पंद्रह मिनट में दो करोड़ से साढ़े अठारह करोड़ का जो आरोप लगाया गया है, वह तथ्यों की जमीन पर टिक नहीं पाएगा। आरोप लगाने वालों को कम से कम बुनियादी होमवर्क जरूर करना चाहिए। आम आदमी पार्टी और सपा के साथ कांग्रेस ने भी इन आरोपों के साथ खुद को जोड़कर जल्दबाजी की है। आरोपों की बुनियाद कच्ची साबित हुई और वे फुस्स हुए, तो इन्हें लगाने वालों के हाथ भी हाथ जलेंगे। इन सभी पार्टियों पर आरोप लगता रहा है कि मंदिर निर्माण में अड़ंगे लगाने की वे कोशिशें करती रहती हैं।

वायरल आरोप

पिछले तीन-चार दिनों में दो खबरों ने तेजी से सिर उठाया और फिर उतनी ही तेजी से गुम हो गईं। इन दोनों खबरों पर जमकर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आईं। लानत-मलामत हुई और जब गर्द-गुबार साफ हुआ तो किसी ने न तो सफाई देने की कोशिश की और न गलती मानी। पहली खबर एक बुजुर्ग मुसलमान व्यक्ति की पिटाई और फिर उनकी दाढ़ी काटने से जुड़ी थी। दूसरी खबर अयोध्या में राम जन्मभूमि के निर्माण के सिलसिले में जमीन की खरीदारी को लेकर थी। दोनों ही खबरों में काफी राजनीतिक मसाला था, इसलिए सोशल मीडिया के साथ-साथ मुख्यधारा के मीडिया में जमकर शोर मचा।

गाजियाबाद के 72 वर्षीय अब्दुल समद सैफी की पिटाई और दाढ़ी कटने का एक वीडियो वायरल होने के एक दिन बाद, गाजियाबाद पुलिस ने दावा किया कि यह ‘व्यक्तिगत दुश्मनी’ का मामला था। कुछ लोग उनसे नाराज़ थे क्योंकि उन्होंने एक व्यक्ति को तावीज’ दी थी, जिससे अभीप्सित परिणाम नहीं मिला। उनकी पिटाई के वीडियो में वायरल करने वालों ने आवाज बंद कर दी थी, जिससे पता नहीं लग रहा था कि पीटने की वजह क्या थी।

उसके बाद इन सज्जन के साथ बातचीत का एक और वीडियो जारी हुआ, जिसमें इनके मुख से कहलवाया गया था कि पीटने वाले जय श्रीराम बोलने के लिए मजबूर कर रहे थे। यह वीडियो जिन सज्जन के सौजन्य से आया था उनके कमरे की दीवार पर लगी तस्वीर बता रही थी कि वे एक राजनीतिक दल के कार्यकर्ता हैं। यहाँ से कहानी में लोच आ गया और मीडिया की मुख्यधारा ने इस मामले की तफतीश से हाथ खींच लिया।