Monday, May 24, 2021

वैक्सीन ने उघाड़ कर रख दी गैर-बराबरी की चादर

कोविड-19 ने मानवता पर हमला किया है, पर उससे बचाव हम राष्ट्रीय और निजी ढालों तथा छतरियों की मदद से कर रहे हैं। विश्व-समुदाय की सामूहिक जिम्मेदारी का जुमला पाखंडी लगता है। वैश्विक-महामारी से लड़ने के लिए वैक्सीन की योजनाएं भी सरकारें या कम्पनियाँ अपने राजनीतिक या कारोबारी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कर रही हैं। पिछले साल जब महामारी ने सिर उठाया, तो सबसे पहले अमीर देशों में ही वैक्सीन की तलाश शुरू हुई। उनके पास ही साधन थे।

वह तलाश वैश्विक मंच पर नहीं थी और न मानव-समुदाय उसका लक्ष्य था।  गरीब तो उसके दायरे में ही नहीं थे। उन्हें उच्छिष्ट ही मिलना था। पिछले साल अप्रेल में विश्व स्वास्थ्य संगठन, कोलीशन फॉर एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस इनोवेशन (सेपी) और ग्लोबल एलायंस फॉर वैक्सीन एंड इम्युनाइज़ेशन यानी गावी ने गरीब और मध्यम आय के देशों के लिए वैक्सीन की व्यवस्था करने के कार्यक्रम कोवैक्स का जिम्मा लिया। इसके लिए अमीर देशों ने दान दिया, पर यह कार्यक्रम किस गति से चल रहा है, इसे देखने की फुर्सत उनके पास नहीं है।

अमेरिका ने ढाई अरब दिए और जर्मनी ने एक अरब डॉलर। यह बड़ी रकम है, पर दूसरी तरफ अमेरिका ने अपनी कम्पनियों को 12 अरब डॉलर का अनुदान दिया। इतने बड़े अनुदान के बाद भी ये कम्पनियाँ पेटेंट अधिकार छोड़ने को तैयार नहीं। कम से कम महामारी से लड़ने के लिए कारोबारी फायदों को छोड़ दो।   

गरीबों की बदकिस्मती

इस साल मार्च तक 10 करोड़ डोज़ कोवैक्स कार्यक्रम को मिलनी थीं, पर अप्रेल तक केवल 3.85 करोड़ डोज़ ही मिलीं। उत्पादन धीमा है और कारोबारी मामले तय नहीं हो पा रहे हैं। जनवरी में गावी ने कहा था कि जिन 46 देशों में टीकाकरण शुरू हुआ है, उनमें से 38 उच्च आय वाले देश हैं। अर्थशास्त्री जोसफ स्टिग्लिट्ज़ ने वॉशिंगटन पोस्ट के एक ऑप-एडिट में कहा, कोविड-वैक्सीन को पेटेंट के दायरे में बाँधना अनैतिक और मूर्खता भरा काम होगा।

Sunday, May 23, 2021

लालबत्ती पर खड़ी अर्थव्यवस्था


इस हफ्ते नरेंद्र मोदी सरकार के सात साल पूरे हो जाएंगे। किस्मत ने राजनीतिक रूप से मोदी का साथ दिया है, पर आर्थिक मोड़ पर उनके सामने चुनौतियाँ खड़ी होती गई हैं। पिछले साल टर्नअराउंड की आशा थी, पर कोरोना ने पानी फेर दिया। और इस साल फरवरी-मार्च में लग रहा था कि गाड़ी पटरी पर आ रही है कि दूसरी लहर ने लाल बत्ती दिखा दी। सदियों में कभी-कभार आने वाली महामारी ने बड़ी चुनौती फेंकी है। क्या भारत इससे उबर पाएगा? दुनिया के दूसरे देशों को भी इस मामले में नाकामी मिली है, पर भारत में समूची व्यवस्था कुछ देर के लिए अभूतपूर्व संकट से घिर गई।

बांग्लादेश से भी पीछे

बांग्लादेश के योजना मंत्री एमए मन्नान ने इस हफ्ते अपने देश की कैबिनेट को सूचित किया कि बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय 2,064 डॉलर से बढ़कर 2,227 डॉलर हो गई है। भारत की प्रति व्यक्ति आय 1,947 डॉलर से 280 डॉलर अधिक। पिछले साल अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक’ में यह सम्भावना व्यक्त की थी। हालांकि भारत की जीडीपी के आँकड़े पूरी तरह जारी नहीं हुए हैं, पर जाहिर है कि प्रति व्यक्ति आय में हम बांग्लादेश से पीछे  हैं। वजह है पिछले साल की पहली तिमाही में आया 24 फीसदी का संकुचन। शायद हम अगले साल फिर से आगे चले जाएं, पर हम फिर से लॉकडाउन में हैं। ऐसे में सवाल है कि जिस टर्नअराउंड की हम उम्मीद कर रहे थे, क्या वह सम्भव होगा?

Friday, May 21, 2021

हमस समर्थकों ने जश्न मनाया

 


पश्चिम एशिया में संघर्ष-विराम लागू होने के बाद दुनिया में जो प्रतिक्रियाएं हुई हैं, उन्होंने ध्यान खींचा है। एक तरफ गज़ा और पश्चिमी किनारे पर रहने वाले हमस समर्थकों ने युद्धविराम को अपनी जीत बताया है, वहीं इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू पर उनके देश के दक्षिणपंथी सांसदों ने उनकी आलोचना की है। संघर्ष-विराम होते ही बड़ी संख्या में फ़लस्तीनी लोग गज़ा में सड़कों पर आकर  जश्न मनाने लगे। हमस ने चेतावनी दी है, "हमारे हाथ ट्रिगर से हटे नहीं हैं।" यानी कि हमला हुआ, तो वे जवाब देने को तैयार है।

यह प्रतिक्रिया अस्वाभाविक नहीं है, क्योंकि पिछले कुछ समय से हमस समर्थकों की प्रतिक्रिया उग्र रही है। हालांकि उनके इलाके में भारी तबाही हुई है, पर वे अपने समर्थकों का विश्वास जीतने के लिए अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। दूसरी तरफ वे दुनिया की हमदर्दी भी हासिल करना चाहते हैं। बहरहाल उधर  टाइम्स ऑफ इसराइल अख़बार के अनुसार युद्धविराम को लेकर दक्षिणपंथी सांसद और नेतन्याहू के कुछ राजनीतिक सहयोगी भी नाराज हैं।

कुरैशी साहब बोले

इस बीच पाकिस्तान के बड़बोले विदेशमंत्री शाह महमूद कुरैशी सीएनएन के एक इंटरव्यू में इसराइल को लेकर एंकर बियाना गोलोद्रिगा के साथ उलझ गए। इस इंटरव्यू में कुरैशी साहब ने अपने पाकिस्तानी अंदाज में कहा कि इसराइल के पास डीप पॉकेट है। इसपर एंकर बियाना ने उनसे पूछा, इसका मतलब क्या हुआ? इसपर कुरैशी ने कहा, मीडिया को इसराइल कंट्रोल करता है। वे बहुत प्रभावशाली लोग हैं। बावजूद इसके वह मीडिया-वॉर में हार रहा है। टाइड इज़ टर्निंग यानी ज्वार उतर रहा है।

आखिरकार लड़ाई रुकी

 

युद्ध-विराम की घोषणा करते हुए जो बाइडेन

इसराइल और फ़लस्तीनी चरमपंथी हमस के बीच संघर्ष-विराम हो गया। दोनों पक्षों ने 11 दिन की लड़ाई के बाद आपसी सहमति से यह फ़ैसला किया। बताया जाता है कि इस संघर्ष-विराम के पीछे अमेरिका की भूमिका है, जिसने इसराइल पर युद्ध रोकने के लिए दबाव बनाया था। इसराइल की रक्षा-कैबिनेट ने गुरुवार 20 मई की रात 11 बजे हमले रोकने का फैसला किया, जिसके तीन घंटे बाद रात दो बजे युद्ध-विराम लागू हो गया। हमस के एक अधिकारी ने भी पुष्टि की कि यह संघर्ष-विराम आपसी रज़ामंदी से और एक साथ हुआ है, जो शुक्रवार तड़के स्थानीय समय के अनुसार दो बजे से लागू हो गया।

10 मई से शुरू हुई रॉकेट-वर्षा और जवाबी बमबारी में 240 से ज़्यादा लोग मारे गए जिनमें 12 इसराइली हैं और शेष ज़्यादातर मौतें गज़ा में हुईं। 7 मई को अल-अक़्सा मस्जिद के पास यहूदियों और अरबों में झड़प हुई। इसके बाद इस इलाके में प्रदर्शन हुए और इसराइली पुलिस ने अल अक़्सा मस्जिद में प्रवेश किया। इसके दो दिन बाद हमस ने इसराइल पर रॉकेट-वर्षा की जिसका जवाब इसराइली वायुसेना के हमले से हुआ।

गज़ा में कम-से-कम 232 लोगों की जान जा चुकी है। गज़ा पर नियंत्रण करने वाले हमस के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार मारे गए लोगों में लगभग 100 औरतें और बच्चे हैं। इसराइल का कहना है कि गज़ा में मारे गए लोगों में कम-से-कम 150 चरमपंथी हैं। हमस ने अपने लोगों की मौत के बारे में कोई आँकड़ा नहीं दिया है।

Thursday, May 20, 2021

अमेरिका ने लड़ाई रोकने के लिए इसराइल और हमस दोनों पर दबाव बनाया

 

इसराइली बमबारी के बाद गज़ा का एक शहरी इलाका

वॉल स्ट्रीट जरनल के अनुसार जो बाइडेन प्रशासन और पश्चिम एशिया में उसके सहयोगी देश इसराइल और फलस्तीनी उग्रवादी ग्रुप हमस पर संघर्ष रोकने के लिए दबाव बना रहे हैं। इस संघर्ष में नागरिकों की हो रही मौतें चिंता का सबसे बड़ा कारण है।

राष्ट्रपति बाइडेन ने बुधवार को इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू से फोन पर बात की और इस बात की उम्मीद जाहिर की कि फौरन फौजी कार्रवाई कम की जाएगी, ताकि संघर्ष-विराम का रास्ता खुल सके। अमेरिका ने अपने सम्पर्कों के मार्फत हमस के पास भी यह संदेश भिजवाया है।

इसराइली मीडिया के अनुसार नेतन्याहू ने जवाब में कहा कि हम तब तक कार्रवाई जारी रखने के लिए कृत-संकल्प हैं जब तक कि इसराइली नागरिकों की शांति और सुरक्षा सुनिश्चित न हो जाए। नेतन्याहू ने इससे पहले दावा किया था कि इस बार उनकी कार्रवाई से हमस को ऐसे झटके मिले हैं, जिसकी उसे उम्मीद नहीं थी और वो वर्षों पीछे चले गए हैं।