पश्चिम बंगाल में चुनाव परिणाम आने के बाद से शुरू हुई हिंसा की खबरें अब भी मिल रही हैं, पर मुख्यधारा का मीडिया अब भी इसकी ग्राउंड रिपोर्ट करने से बच रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कल ही माना था कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में चुनाव बाद हिंसा में 16 लोगों की मौत हुई है। उधर केंद्रीय गृह मंत्रालय की टीम ने हिंसा पीड़ित स्थलों का दौरा किया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी जाँच के लिए ऐसी ही एक टीम गठित की है। उधर कोलकाता हाईकोर्ट ने भी हिंसा को लेकर राज्य सरकार से रिपोर्ट माँगी है।
राज्य के राज्यपाल जगदीप
धनखड़ ने हिंसा को लेकर सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश
दिया है कि आज (शनिवार) की शाम तक उनसे मुलाकात करें। उन्होंने यह भी कहा है कि राज्य
के गृह सचिव ने उन्हें चुनाव के बाद हुई हिंसा से जुड़ी कानून-व्यवस्था की स्थिति
से अवगत नहीं कराया। उन्होंने ट्वीट किया है कि गृह सचिव ने राज्य के पुलिस
महानिदेशक (डीजीपी) और कोलकाता पुलिस आयुक्त की इस संबंधी रिपोर्ट उन्हें नहीं
भेजी हैं।
गृह-मंत्रालय
की टीम
उधर केंद्रीय गृह मंत्रालय के चार सदस्यों की एक टीम ने शुक्रवार को राज्यपाल से भी मुलाकात की। इतनी सरगर्मियों के बावजूद इस मामले में राष्ट्रीय मीडिया की बेरुखी भी ध्यान खींचती है। ज्यादातर खबरें पार्टी प्रवक्ताओं या सरकारी संस्थाओं के माध्यम से आ रही हैं। सोशल मीडिया पर जानकारियों की बाढ़ है, पर इनमें बहुत सी बातें भ्रम को बढ़ाने वाली हैं। शायद जान-बूझकर बहुत सी गलत जानकारियाँ भी फैलाई जा रही हैं, ताकि वास्तविक घटनाओं को लेकर भ्रम की स्थिति बने। मुख्यधारा का मीडिया ग्राउंड रिपोर्ट करे, तो ऐसे भ्रमों की सम्भावनाएं कम हो जाएंगी।