Thursday, December 3, 2020

अफगान सरकार और तालिबान के बीच पहला समझौता


अफगानिस्तान में शांति-स्थापना के लिए सरकार और तालिबान प्रतिनिधियों के बीच बुधवार 2 दिसंबर को दोहा में एक प्राथमिक समझौता हो गया है। करीब 19 साल की खूंरेज़ी के बाद यह पहला समझौता है। इस लिखित समझौते का उद्देश्य केवल आगे की चर्चा के लिए तौर-तरीके तय करना है, पर इसे भी बड़ी सफलता मान जा रहा है, क्योंकि इस समझौते के होने से वार्ताकारों को युद्ध विराम पर वार्ता सहित अधिक महत्वपूर्ण मुद्दों पर आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।

अफगान सरकार की वार्ता टीम के एक सदस्य नादर नादरी ने रॉयटर्स को बताया, ‘बातचीत की प्रस्तावना सहित प्रक्रिया को अंतिम रूप दे दिया गया है और अब, एजेंडा पर बातचीत शुरू होगी। तालिबान प्रवक्ता ने ट्विटर पर इस बात की पुष्टि की। अमेरिका के प्रयास से दोनों पक्षों के बीच कतर की राजधानी दोहा में महीनों से यह बातचीत चल रही है।

Wednesday, December 2, 2020

चीनी यान चंद्रमा पर उतरा

चीन की समाचार एजेंसी शिनह्वा ने चंद्रमा की सतह पर उतरे अपने यान की यह तस्वीर जारी की है।

चीन ने मंगलवार 1 दिसंबर को अपना यान चंद्रमा पर उतारने में सफलता हासिल कर ली है। चीन ने चैंग ई-5 यान का प्रक्षेपण गत 24 नवंबर को किया था। यह यान चंद्रमा की सतह से वहाँ के नमूने लेकर धरती पर वापस आएगा। पौराणिक आख्यान में चैंग ई को चंद्रमा की देवी माना जाता है। यह मिशन चंद्रमा की सतह पर लावा के बने क्षेत्र ओशनस प्रोसीलैरम यानी तूफानों का सागर पर उतरा है, जहाँ इसके पहले धरती का कोई यान नहीं उतरा था। यह चंद्रमा से करीब दो किलोग्राम सामग्री लेकर वापस आएगा।

यह मिशन पूरा होने के बाद चीन ऐसा तीसरा देश होगा, जिसे चंद्रमा की सतह से नमूने धरती पर लाने में सफलता मिली होगी। इसके पहले अमेरिका और सोवियत संघ को इस काम में सफलता मिली है। चंद्रमा की सतह पर उतरने वाले वाहन की रोबोटिक भुजा सतह पर ड्रिलिंग करेगी और उससे प्राप्त सामग्री को वापस जाने वाले वाहन में रखेगी। यह वाहन वापस उड़ान भरेगा और चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगा रहे वाहन से जुड़ेगा, जो पृथ्वी पर वापस आएगा।

कोरोना के केस शहरों में घटे, ग्रामीण इलाकों में बढ़े


भारत में कोविड-19 संक्रमण के आँकड़ों पर नजर डालें, तो दो बातें स्पष्ट हो रही हैं। पहली, देशभर में संक्रमणों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है। 17 सितंबर को यह संख्या सबसे ज्यादा 97,894 थी, जो उसके बाद से लगातार गिरती ही रही है। अब 2 दिसंबर को यह संख्या 36,604 है। इसके एक दिन पहले 1 दिसंबर को यह 31,118 थी।

हर रोज के आँकड़ों पर गौर करें, तो पाएंगे कि यह संख्या घटती-बढ़ती रहती है, पर अब लगता है कि यह 40 हजार के नीचे आ गई है। यों 17 नवंबर को यह 29,163 थी। इस दौरान इस संक्रमण के निदान के लिए टेस्ट भी भारी संख्या में हुए हैं। गत 24 सितंबर को देश में 14,92,409 टेस्ट हुए थे, जो सबसे बड़ी संख्या है।

एक हफ्ते के भीतर मिले इन दो धातु स्तम्भों का रहस्य क्या है?


हाल में दुनिया के दो देशों में दो रहस्यमय धातु स्तम्भ देखे गए हैं, जिन्हें लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। इन दो के बाद कैलिफोर्निया में एक तीसरा स्तम्भ मिलने की खबर आई है। इनके पीछे किसी सिरफिरे कलाकार की परिकल्पना से लेकर अंतरिक्ष के किसी बुद्धिमान प्राणी का हाथ तक माना जा रहा है। पिछले नवंबर महीने में अमेरिका के यूटा (Utah) क्षेत्र में वन्य-जीवन से जुड़ी एक संस्था एक निर्जन क्षेत्र में हेलीकॉप्टर से सर्वे कर रही थी कि उसे एक पथरीली घाटी की तलहटी में धातु का स्तम्भ नजर आया। 

हेलीकॉप्टर उतारा गया और उसे देखने के बाद किसी को समझ में नहीं आया कि उस स्तम्भ का उद्देश्य क्या हो सकता है। किसने इसे स्थापित किया होगा? बहरहाल 23 नवंबर को यूटा के डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक सेफ्टी ने इस स्तम्भ के मिलने की घोषणा की और यह अनुमान भी लगाया कि शायद यह किसी मूर्तिकार-कलाकार की परिकल्पना है, जिसने इसे ऐसी अनोखी जगह लगाया है। या किसी का वैज्ञानिक प्रयोग है? किसी स्टंटमैन की करामात?

Tuesday, December 1, 2020

क्या है भाग्यलक्ष्मी मंदिर और भाग्यनगर की पृष्ठभूमि?


शनिवार को गृहमंत्री अमित शाह ने हैदराबाद के भाग्यलक्ष्मी मंदिर में दर्शन किए। उनके साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने इस शहर का नाम बदल कर भाग्यनगर रखने का सुझाव दिया। क्या इन दोनों का कोई आपसी संबंध है?

क्या है भाग्यलक्ष्मी मंदिर की पृष्ठभूमि? हैदराबाद की प्रसिद्ध चारमीनार की दक्षिण पश्चिम मीनार की दीवार से लगा यह देवी महालक्ष्मी का मंदिर है। यह कोई प्राचीन इमारत नहीं है। इसकी छत टीन की है और इसकी पिछली दीवार वस्तुतः मीनार की दीवार है। इस बात का कोई आधिकारिक विवरण उपलब्ध नहीं है कि यह मंदिर कब बना, पर ज्यादातर लोग मानते हैं कि यह साठ के दशक में पहली बार देखा गया था।


एंड्रयू पीटरसन की डिक्शनरी ऑफ इस्लामिक आर्किटेक्चर के अनुसार हैदराबाद शहर का पुराना नाम बाग़नगर यानी बगीचों का शहर था। मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने इसका नाम बदलकर हैदराबाद कर दिया। किंवदंती यह भी है कि कुली कुतुब शाह की प्रेमिका (और रानी, जो हिंदू थी) भागमती के नाम पर यह नाम पड़ा। इस आशय के किस्से काफी प्रचलन में हैं। लिखित इतिहास के अनुसार कुली कुतुब शाह ने अपनी राजधानी को गोलकुंडा से बाहर ले जाने के लिए इस शहर का निर्माण किया था।