उत्तर
भारत और खासतौर से दिल्ली पर छाए ‘स्मॉग’ के कारण कई तरह के असमंजस सामने आए हैं. ‘स्मॉग’ ने प्रशासनिक संस्थाओं की विफलता को साबित किया
है, वहीं राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के महत्व को रेखांकित भी किया है.
अफरातफरी में दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों में छुट्टी कर दी
गई. फिर दिल्ली सरकार ने ‘ऑड-ईवन’ स्कीम को फिर से लागू करने की घोषणा कर दी.
यह स्कीम भी रद्द हो गई, क्योंकि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने कुछ ऐसी शर्तें
रख दीं, जिनका पालन करा पाना मुश्किल होता.
जल, जंगल और जमीन
सन 2010 में स्थापना के बाद से यह न्यायाधिकरण देश के
महत्वपूर्ण पर्यावरण-रक्षक के रूप से उभर कर सामने आया है. इसके हस्तक्षेप के कारण
उद्योगों और कॉरपोरेट हाउसों को मिलने वाली त्वरित अनुमतियों पर लगाम लगी है. खनन
और प्राकृतिक साधनों के अंधाधुंध दोहन पर रोक लगी है.