कोविंद को लेकर यह बेकार की बहस है कि वह प्रतिभा पाटिल जैसे ‘अनजाने और अप्रत्याशित’ प्रत्याशी हैंPramod Joshi | Published On: Jun 20, 2017 09:21 AM IST | Updated On: Jun 20, 2017 09:21 AM IST
रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी घोषित करने के बाद से एक निरर्थक बहस इस बात को लेकर शुरू हो गई है कि वे क्या प्रतिभा पाटिल जैसे ‘अनजाने और अप्रत्याशित’ प्रत्याशी हैं? उनकी काबिलियत क्या है और इसके पीछे की राजनीति क्या है वगैरह.
भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रत्याशी का नाम अपने दूरगामी राजनीतिक उद्देश्यों के विचार से ही तय किया है, पर इसमें गलत क्या है? राष्ट्रपति का पद अपेक्षाकृत सजावटी है और उसकी सक्रिय राजनीति में कोई भूमिका नहीं है, पर राजेंद्र प्रसाद से लेकर प्रणब मुखर्जी तक सत्तारूढ़ दल के प्रत्याशी राजनीतिक कारणों से ही चुने गए.
रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी घोषित करने के बाद से एक निरर्थक बहस इस बात को लेकर शुरू हो गई है कि वे क्या प्रतिभा पाटिल जैसे ‘अनजाने और अप्रत्याशित’ प्रत्याशी हैं? उनकी काबिलियत क्या है और इसके पीछे की राजनीति क्या है वगैरह.
भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रत्याशी का नाम अपने दूरगामी राजनीतिक उद्देश्यों के विचार से ही तय किया है, पर इसमें गलत क्या है? राष्ट्रपति का पद अपेक्षाकृत सजावटी है और उसकी सक्रिय राजनीति में कोई भूमिका नहीं है, पर राजेंद्र प्रसाद से लेकर प्रणब मुखर्जी तक सत्तारूढ़ दल के प्रत्याशी राजनीतिक कारणों से ही चुने गए.