पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बाद राष्ट्रीय स्तर पर जिस पार्टी के प्रदर्शन का इंतजार था वह है आम आदमी पार्टी। इंतजार इस बात का था कि पंजाब और गोवा में उसका प्रदर्शन कैसा रहेगा। सन 2015 में दिल्ली विधानसभा के चुनाव में उसकी अभूतपूर्व जीत के बाद सम्भावना इस बात की थी कि यह देश के दूसरे इलाकों में भी प्रवेश करेगी। हालांकि बिहार विधानसभा के चुनाव में उसने सीधे हिस्सा नहीं लिया, पर प्रकारांतर से महागठबंधन का साथ दिया। उत्तर प्रदेश में जाने की शुरूआती सम्भावनाएं बनी थीं, पर अंततः उसका इरादा त्याग दिया। इसकी एक वजह यह थी कि वह पंजाब और गोवा से अपनी नजरें हटाना नहीं चाहती थी।
सन 2014 के लोकसभा चुनाव में उसे पंजाब में अपेक्षाकृत सफलता मिली थी। यदि उस परिणाम को आधार बनाया जाए तो उसे 33 विधानसभा क्षेत्रों में पहला स्थान मिला था। इस दौरान उसने अपना आधार और बेहतर बनाया था। बहरहाल पिछले महीने आए परिणाम उसके लिए अच्छे साबित नहीं हुए। और अब इस महीने होने वाले दिल्ली नगर निगम चुनावों में इस बात की परीक्षा भी होगी कि सन 2015 की जीत का कितना असर अभी बाकी है। पंजाब में उसकी जीत हुई होती तो दिल्ली में उससे उत्साह बढ़ता। ऐसा नहीं हुआ।
सन 2014 के लोकसभा चुनाव में उसे पंजाब में अपेक्षाकृत सफलता मिली थी। यदि उस परिणाम को आधार बनाया जाए तो उसे 33 विधानसभा क्षेत्रों में पहला स्थान मिला था। इस दौरान उसने अपना आधार और बेहतर बनाया था। बहरहाल पिछले महीने आए परिणाम उसके लिए अच्छे साबित नहीं हुए। और अब इस महीने होने वाले दिल्ली नगर निगम चुनावों में इस बात की परीक्षा भी होगी कि सन 2015 की जीत का कितना असर अभी बाकी है। पंजाब में उसकी जीत हुई होती तो दिल्ली में उससे उत्साह बढ़ता। ऐसा नहीं हुआ।