पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के दो फैसले देश में राजनीति और अपराध के रिश्तों पर रोशनी डालते हैं. इनमें एक है पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को सीवान जेल से हटाकर दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखने का फैसला. शहाबुद्दीन पर 45 मामलों में विचार चल रहा है और 10 मामलों में उन्हें दोषी पाया गया है. इन सारे मामलों को तार्किक परिणति तक पहुँचते-पहुँचते कितना समय लगेगा, कहना मुश्किल है. फिर भी संतोष की बात है कि देश की उच्चतम अदालत ऐसे मामलों में पहल ले रही है.
हाल में जिस दूसरे मामले ने ध्यान खींचा, वह है तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता और उनके कुछ सहयोगियों की आय का मामला. इस फैसले के बाद तमिलनाडु की राजनीति में उथल-पुथल है. भारत में राजनीति और अपराध के बीच गहरे रिश्ते हैं. अक्सर अपराधों से जुड़े नेता अपने इलाकों में खासे लोकप्रिय होते हैं और चुनावों की जीत या हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसीलिए उनका महत्व बना रहता है. आरजेडी के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन अपने समर्थकों व विरोधियों के बीच रॉबिनहुड के रूप में जाने जाते थे. कहते हैं कि एक दौर में सीवान में कानून का राज नहीं, शहाबुद्दीन का शासन चलता था.
हाल में जिस दूसरे मामले ने ध्यान खींचा, वह है तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता और उनके कुछ सहयोगियों की आय का मामला. इस फैसले के बाद तमिलनाडु की राजनीति में उथल-पुथल है. भारत में राजनीति और अपराध के बीच गहरे रिश्ते हैं. अक्सर अपराधों से जुड़े नेता अपने इलाकों में खासे लोकप्रिय होते हैं और चुनावों की जीत या हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसीलिए उनका महत्व बना रहता है. आरजेडी के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन अपने समर्थकों व विरोधियों के बीच रॉबिनहुड के रूप में जाने जाते थे. कहते हैं कि एक दौर में सीवान में कानून का राज नहीं, शहाबुद्दीन का शासन चलता था.