सतलुज-यमुना लिंक नहर के विवाद में पानी सिर के ऊपर जाए इससे पहले ही केंद्र सरकार को अब अपनी भूमिका निभानी चाहिए। पंजाब विधानसभा ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना करते हुए यह कहते हुए नहर के निर्माण के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है कि उसके पास हरियाणा को देने के लिए पानी नहीं है। पंजाब विधानसभा के चुनाव करीब होने के कारण इसे पंजाब का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है, पर यह बात राष्ट्रीय एकता के खिलाफ है और इसके दूरगामी दुष्परिणाम होंगे।
पंजाब के तकरीबन सभी राजनीतिक दल इस मामले को चुनाव के नजरिए से देख रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल ने कांग्रेस से यह मुद्दा छीन लिया है। अकाली दल विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कराने में कामयाब हुआ है। उसका सहयोगी दल होने के नाते भारतीय जनता पार्टी ने भी उसका साथ दिया है। पर हरियाणा में भी उसकी सरकार है। उधर आम आदमी पार्टी भी इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जल्दबाजी में इस विवाद का रुख हरियाणा-दिल्ली के विवाद के रूप में मोड़ दिया था। अलबत्ता उन्होंने फौरन ही अपने रुख को बदला।
पंजाब के तकरीबन सभी राजनीतिक दल इस मामले को चुनाव के नजरिए से देख रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल ने कांग्रेस से यह मुद्दा छीन लिया है। अकाली दल विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कराने में कामयाब हुआ है। उसका सहयोगी दल होने के नाते भारतीय जनता पार्टी ने भी उसका साथ दिया है। पर हरियाणा में भी उसकी सरकार है। उधर आम आदमी पार्टी भी इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जल्दबाजी में इस विवाद का रुख हरियाणा-दिल्ली के विवाद के रूप में मोड़ दिया था। अलबत्ता उन्होंने फौरन ही अपने रुख को बदला।