प्रमोद जोशी
वरिष्ठ पत्रकार, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
सोमवार, 9 जून, 2014 को 21:11 IST तक के समाचार
संसद के दोनों सदनों के सामने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण में केंद्र की नई सरकार का आत्मविश्वास बोलता है. पिछली सरकार के भाषणों के मुकाबले इस सरकार के भाषण में वैश्वीकरण और आर्थिक उदारीकरण एक सच्चाई के रूप में सामने आती है, मजबूरी के रूप में नहीं. उसमें बुनियादी तौर पर बदलते भारत का नक्शा है.
‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम सुशासन’ के मंत्र जैसी शब्दावली से भरे इस भाषण पर नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत मुहर साफ़ दिखाई पड़ती है. ट्रेडीशन, टैलेंट, टूरिज्म, ट्रेड और टेक्नोलॉजी के 5-टी के सहारे ब्रांड-इंडिया को कायम करने की मनोकामना इसके पहले नरेंद्र मोदी किसी न किसी रूप में व्यक्त करते रहे हैं.
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भाषण में कई जगह महात्मा गांधी का उल्लेख है- 1915 में भारत के महानतम प्रवासी भारतीय महात्मा गांधी भारत लौटे थे और उन्होंने भारत की नियति को ही बदल डाला. अगले वर्ष हम गांधी के भारत लौटने की शतवार्षिकी मनाएंगे और साथ ही ऐसे कदम भी उठाएंगे जिनसे प्रत्येक प्रवासी भारतीय का भारत के साथ संबंध प्रगाढ़ हो और वे भारत के विकास में भागीदार बने.
सुनने में अच्छे लगते हैं
नरेंद्र मोदी का नारा है, 'पहले शौचालय, फिर देवालय'. राष्ट्रपति ने इसी तर्ज पर कहा, देश भर मे ‘स्वच्छ भारत मिशन’ चलाया जाएगा और ऐसा करना महात्मा गांधी को उनकी 150वीं जयंती पर हमारी श्रद्धांजलि होगी जो वर्ष 2019 में मनाई जाएगी.
भविष्य में सॉफ़्टवेयर के अलावा भारत को रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में एक विश्वव्यापी प्लेटफॉर्म के रूप में उभारने की सम्भावना को भी इस भाषण में रेखांकित किया है. भारत अभी तक रक्षा सामग्री के निर्यात से बचता रहा है.