Thursday, February 1, 2024

गज़ा में लड़ाई भले न रुके, पर इसराइल पर दबाव बढ़ेगा


गज़ा में हमास के खिलाफ चल रही इसराइली सैनिक कार्रवाई को लेकर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस (आईसीजे) का पहला आदेश पहली नज़र में खासा सनसनीख़ेज़ लगता है, पर उसे ध्यान से पढ़ें, तो लगता नहीं कि लड़ाई रोकने में उससे मदद मिलेगी.

बहुत से पर्यवेक्षकों को इस आदेश का मतलब एक राजनीतिक वक्तव्य से ज्यादा नहीं लगता. वस्तुतः अदालत ने इसराइल से लड़ाई रोकने को कहा भी नहीं है, पर जो भी कहा है, उसपर अमल करने के लिए इसराइल के फौजी अभियान की प्रकृति में बदलाव करने होंगे. यकीनन अब इसराइल पर लड़ाई में एहतियात बरतने का दबाव बढ़ेगा.  

अदालत ने कहा है कि दक्षिण अफ्रीका ने इसराइल पर जिन कार्यों को करने और जिनकी अनदेखी करने के आरोप लगाया है, उनमें से कुछ बातें  नरसंहार के दायरे में रखी जा सकती हैं. इसराइल का दावा है कि वह आत्मरक्षा में लड़ रहा है और युद्ध के सभी नियमों का पालन कर रहा है.

यह भी सच है कि आईसीजे के सामने युद्ध-अपराध का मुकदमा नहीं है. उसका रास्ता अलग है, पर इस अदालत ने इसराइल को सैनिक कार्रवाई में सावधानी बरतने के साथ एक महीने के भीतर अपने कदमों की जानकारी देने को भी कहा है.

Wednesday, January 31, 2024

यह 'ब्रेन चिप' क्या आपके विचार भी छीनेगा?


अमेरिकी उद्योगपति एलन मस्क ने घोषणा की है कि उनके स्टार्टअप न्यूरालिंक ने पहली बार एक इंसान के दिमाग में वायरलेस चिप को इम्प्लांट किया है। इस चिप की मदद से वह व्यक्ति केवल मन में सोचकर ही किसी मोबाइल फोन, लैपटॉप या किसी अन्य उपकरण को संचालित कर सकेगा।

एलन मस्क ने इस क्षमता को टेलीपैथी नाम दिया है। यह उपकरण पहली नज़र में जितना क्रांतिकारी लग रहा है, उतना ही इसका खतरनाक रूप भी संभव है। एक खतरा मेंटल प्राइवेसी के छिन जाने का भी है।

इस खबर के पहले पिछले साल मई में अमेरिका की सर्वोच्च चिकित्सा संस्था फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने न्यूरालिंक को मानवीय अध्ययन की और उसके चार महीने बाद इस चिप के परीक्षण की अनुमति दी। उसके पहले रायटर्स ने यह खबर भी दी थी कि इस कंपनी की इससे पहले की एप्लीकेशंस को अनुमति नहीं मिल रही है। अनुमति न मिलने के पीछे सुरक्षा जैसे अनेक कारण थे।

Monday, January 29, 2024

गणतांत्रिक-व्यवस्था और ‘लोकतंत्र की जननी’ भारत

साँची के स्तूप में अंकित मल्ल महाजनपद की राजधानी कुशीनगर। इतिहासकार मानते हैं कि गौतम बुद्ध के समय में मल्ल क्षेत्र में दुनिया की पहली गणतांत्रिक व्यवस्था थी

इस साल गणतंत्र दिवस परेड में देश की सांस्कृतिक विरासत और विविधता को एक नए रूप में पेश किया गया. परेड की मुख्य थीम थी, विकसित भारतऔर भारत-लोकतंत्र की मातृका. यह परेड महिला केंद्रित भी थी. 

पहली बार इस परेड के आगे सैनिक बैंड के बजाय 100 महिला कलाकार भारतीय वाद्ययंत्रों के संगीत की खुशबू बिखेरती हुई चल रही थीं और शेष परेड उनके पीछे थी. 

इसके पहले सैनिक टुकड़ियों का नेतृत्व करती महिला अधिकारी आपने देखी हैं, पर इसबार तीनों सेनाओं की 144 महिला कर्मियों की मिली जुली टुकड़ी भी इस परेड में थी.

लोकतंत्र की जननी

यह परेड भारत को 'लोकतंत्र की जननी' के रूप में प्रदर्शित करने का प्रतीक बनेगी. लोकतंत्र अपेक्षाकृत आधुनिक विचार है, और उसका काफी श्रेय पश्चिमी समाज के दिया जाता है. हालांकि उसके विकास में उन समाजों की भी भूमिका है, जो अतीत में उन मूल्यों से जुड़े थे, जो आज लोकतंत्र की बुनियाद हैं.

हम गर्व से कहते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत में है. हर पाँच साल में होने वाला आम चुनाव दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक गतिविधि है. चुनावों की निरंतरता और सत्ता के निर्बाध-हस्तांतरण ने हमारी सफलता की कहानी भी लिखी है.

Saturday, January 27, 2024

असाधारण ऊँचाई पर भारत-फ्रांस रिश्ते


फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की दो दिन की राजकीय-यात्रा को आकस्मिक कहना उचित होगा. ऐसी यात्राओं का कार्यक्रम महीनों पहले बन जाता है, पर इस यात्रा का कार्यक्रम अचानक तब बना, जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की भारत-यात्रा रद्द हो गई.

इस यात्रा से बहुत कुछ निकले या नहीं निकले, फ्रांस ने बहुत नाज़ुक मौके पर भारत की लाज बचाई है. इस यात्रा के दौरान कोई बड़ा समझौता नहीं हुआ. अलबत्ता इस दौरान टाटा और एयरबस के बीच हल्के हेलीकॉप्टर के भारत में निर्माण के समझौते की घोषणा जरूर हुई है.

इसके पहले भी फ्रांस ने भारत का साथ दिया है. मैक्रों फ्रांस के छठे ऐसे राष्ट्रपति हैं, जो भारत में गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि बने हैं. गणतंत्र परेड में सबसे ज्यादा बार मुख्य अतिथि बनने का गौरव भी फ्रांस के नाम है.

Friday, January 19, 2024

यमन पर हमलों के बाद लड़ाई का दायरा बढ़ने का खतरा


पश्चिम एशिया में चल रही गज़ा की लड़ाई के बीच पिछले गुरुवार को अमेरिका और ब्रिटेन ने यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर हमले करके लड़ाई के एक नया आयाम दे दिया है. यह गज़ा की लड़ाई का विस्तार है और इसके असर का दायरा ज्यादा बड़ा है.

शुरुआती जानकारियों के अनुसार यमन में हुए पहले हमलों की वजह से हूती बागियों के ठिकानों पर 20 से 30 फीसदी का नुकसान हुआ है, पर इतना नहीं कि वे हमले करने के काबिल नहीं रहें. इसके बाद कई और हमले हूती ठिकानों पर किए गए हैं और अमेरिका ने उनके संगठन को आतंकवादी घोषित किया है. 

अमेरिका चाहता है कि लड़ाई को लाल सागर तक आने से रोका जाए, पर हूती बागियों का कहना है कि गज़ा में इसराइल अपनी कार्रवाई रोके, तो हम भी अपनी कार्रवाई रोक देंगे.