Wednesday, October 11, 2023

इस लड़ाई को जल्द रोकना संभव नहीं होगा


हमास के अचानक हमले ने इसराइल समेत सारी दुनिया को हैरत में डाल दिया है. यह हमला, जिस समय और जितने सुनियोजित तरीके से हुआ है, उससे कुछ सवाल खड़े हुए हैं. साफ है कि हमले का उद्देश्य राजनीतिक है, सामरिक नहीं. इरादा अमेरिकी मध्यस्थता में सऊदी अरब और इसराइल के बीच संभावित करार में खलल डालना है. यह बात चीनी मीडिया ने भी मानी है. भारत के नज़रिए से यह पश्चिम एशिया कॉरिडोर के खेल को बिगाड़ने के इरादे से हुआ है.  

जिस समय पश्चिम एशिया में सऊदी अरब और इसराइल के बीच समझौते की बातें हो रही हैं, यह हमला उसी वक्त होने का मतलब साफ है. यह योजना केवल हमास ने बनाई होगी, इसे लेकर संदेह है. हमला यह मानकर हुआ है कि इसकी वजह से शांति-प्रक्रिया और भारत-अरब कॉरिडोर पर आगे बात रुक जाएगी. बहरहाल अब इसराइल और हमास दोनों के अगले कदम बहुत महत्वपूर्ण होंगे.

हमास की भूमिका

इसराइल का कहना है कि हम हमास के नेतृत्व को नेस्तनाबूद कर देंगे, पर यह काम आसान नहीं है. साबित यह हो रहा है कि फलस्तीन के सवाल को ज्यादा देर तक अधर में रखने से अशांति बनी रहेगी. उसका निपटारा होना चाहिए. यह सवाल जरूर है कि फलस्तीनियों का प्रतिनिधि कौन है? कौन उनकी तरफ से बात करेगा? फतह, हमास या कोई और?  इस हमले का एक उद्देश्य यह साबित करना भी है कि हमास ही वास्तविक प्रतिनिधि है. कुछ पर्यवेक्षक मानते हैं कि हमास चाहता है कि इसराइल उससे बात करे.

Tuesday, October 10, 2023

खेल की दुनिया में बड़ा कदम



हैंगजाऊ एशियाई खेलों में भारत की सफलता को दो तरह से देखना चाहिए। कई प्रकार के रिकॉर्ड तोड़ते हुए भारतीय खिलाड़ियों ने खेल की दुनिया में पहला बड़ा कदम रखा है। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है पदक तालिका में सौ की मानसिक सीमा-रेखा को पार करना। यह उपलब्धि देश के आकार को देखते हुए पर्याप्त नहीं है, पर पिछले प्रदर्शनों से इसकी तुलना करें, तो बहुत बड़ी है। यह भारत के विकसित होते बदलते सामाजिक-आर्थिक स्तर को भी रेखांकित कर रही है। उम्मीद है कि अगले साल पेरिस में होने वाले ओलिंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ी सफलता के एक और चरण को पार करेंगे।

कुछ खेल ऐसे भी हैं, जिनमें इस एशियाड में मनोनुकूल सफलता नहीं मिली। इनमें कुश्ती और भारोत्तोलन शामिल हैं। कॉमनवैल्थ खेलों में हमने इन्हीं खेलों में बड़ी सफलता हासिल की थी। इसकी एक वजह यह भी है कि एशिया खेलों में कंपटीशन ज्यादा मुश्किल है। दूसरी तरफ हमारे खिलाड़ी घुड़सवारी, ब्रिज, गोल्फ, शतरंज, वुशु और सेपक टकरा जैसे खेलों में भी मेडल जीतकर लाए हैं। फिर भी कम से कम दो खेल ऐसे हैं, जिनमें हमें विश्व स्तर को छूना है। एक है जलाशय से जुड़े खेल यानी एक्वैटिक्स और दूसरे जिम्नास्टिक्स। इन दोनों खेलों में मेडलों की भरमार होती है।

फलस्तीन में हिंसा पर बदलता भारतीय-दृष्टिकोण


हमास के हमले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बयान सोशल मीडिया पर जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि इसराइल में आतंकवादी हमलों की खबर से गहरा धक्का लगा है. हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं. हम इस कठिन समय में इसराइल के साथ एकजुटता से खड़े हैं. इस वक्तव्य के जवाब में भारत में इसराइल के राजदूत नाओर गिलोन ने भारत को धन्यवाद कहा है.

भारत की तुरत-प्रतिक्रिया और इसराइली जवाब दोनों बातों का प्रतीकात्मक महत्व है. आमतौर पर ऐसे मसलों पर भारत फौरन अपनी राय व्यक्त नहीं करता है. प्रधानमंत्री ने संभवतः यह बयान वक्त की नज़ाकत को देखते हुए जारी किया है. उनके बयान की दो बातें ध्यान खींचती हैं. एक आतंकवादी हमला और दूसरे इसराइल के साथ एकजुटता. इन दोनों बातों के राजनीतिक निहितार्थ हैं और इनसे बदलता भारतीय दृष्टिकोण भी व्यक्त होता है.

Sunday, October 8, 2023

जातियों का मसला, समस्या या समाधान


बिहार में जातियों की जनगणना के नतीजे आने के बाद देश में जातिगत-आरक्षण की बहस फिर से तेज होने जा रहा है, जिसका असर लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा। सर्वेक्षण का फायदा गरीब, पिछड़ों और दलितों को मिले या नहीं मिले, पर इसका राजनीतिक लाभ सभी दल लेना चाहेंगे। राष्ट्रीय स्तर पर जाति-जनगणना की माँग और शिक्षा तथा नौकरियों में आरक्षण की 50 फीसदी की कानूनी सीमा पर फिर से विचार करने की माँग जोर पकड़ेगी। न्यायपालिका से कहा जाएगा कि आरक्षण पर लगी कैप को हटाया जाए। हिंदुओं के व्यापक आधार तैयार करने की मनोकामना से प्रेरित भारतीय जनता पार्टी और ओबीसी, दलितों और दूसरे सामाजिक वर्गों के हितों की रक्षा के लिए गठित राजनीतिक समूहों के टकराव का एक नया अध्याय अब शुरू होगा। 

यह टकराव पूरी तरह नकारात्मक नहीं है। इसके सकारात्मक पहलू भी हैं। यह जानकारी भी जरूरी है कि हमारी सामाजिक-संरचना वास्तव में है क्या। सर्वेक्षण से पता चला है कि बिहार की 13 करोड़ आबादी के 63 फीसदी हिस्से का ताल्लुक अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की श्रेणियों में शामिल की गई जातियों से है। इसमें लोगों के सामाजिक-आर्थिक विवरण भी दर्ज किए गए हैं, लेकिन वे अभी सामने नहीं आए हैं। उधर गत 31 जुलाई को रोहिणी आयोग ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। हालांकि उसकी सिफारिशों को सार्वजनिक नहीं किया गया है, पर उसके निहितार्थ महत्वपूर्ण होंगे। जो स्थिति अगड़ों की थी, वह अब पिछड़ों में अगड़ों की होगी। इससे एक नई राजनीति जन्म लेगी। बिहार का डेटा उसकी तरफ इशारा कर रहा है।  

Wednesday, October 4, 2023

मालदीव में राजनीतिक-परिवर्तन के मायने


मालदीव में राष्ट्रपति पद के चुनाव में चीन-समर्थक मुहम्मद मुइज़्ज़ू की विजय का हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय रणनीति पर कितना प्रभाव पड़ेगा, यह कुछ समय बाद स्पष्ट होगा, पर आमतौर पर माना जा रहा है कि प्रभाव पड़ेगा ज़रूर. नए राष्ट्रपति मुहम्मद मुइज़्ज़ू ने पहली घोषणा यही की है कि मैं देश में तैनात भारतीय सैनिकों को वापस भेजने के वायदे को पूरा करूँगा. अलबत्ता पिछले कुछ वर्षों का अनुभव कहता है कि हालात 2013 से 2018 के बीच जैसे नहीं बनेंगे. देश की नई सरकार भारत और चीन के बीच संतुलन बनाकर चलना चाहेगी.

यह चुनाव मुइज़्ज़ू के 'इंडिया आउट' और इब्राहिम सोलिह के इंडिया फर्स्ट के बीच हुआ था, जिसमें मुइज़्ज़ू को जीत मिली. दोनों देशों में मालदीव पर अपने असर को लेकर अरसे से होड़ चल रही है. चुनाव का यह नतीजा भारत और चीन से मालदीव के रिश्तों को एक बार फिर परिभाषित करेगा.

पिछले पाँच साल से वहाँ भारत-समर्थक सरकार थी, पर अब चीन फिर से वहाँ की राजनीति में अपने पैर जमाएगा. इस दौर में चीन को वैसी ही सफलता मिलेगी या नहीं, अभी कहना जल्दबाजी होगी. चीन के कर्जों को लेकर हाल के वर्षों में बांग्लादेश, श्रीलंका और यहाँ तक कि पाकिस्तान में भी विरोध हुआ है. क्या मालदीव इस बात से बचा रहेगा?