Sunday, January 15, 2023

‘ग्लोबल-साउथ’ की आवाज़ बनेगा भारत


गुजरे हफ्ते गुरुवार और शुक्रवार को हुए वॉयस ऑफ ग्लोबल-साउथ समिट ने दो बातों की तरफ ध्यान खींचा है। कुछ लोगों के लिए ग्लोबल-साउथ शब्द नया है। उन्हें इसकी पृष्ठभूमि को समझना होगा। भारत की विदेश-नीति के लिहाज से इसके महत्व को रेखांकित करने की जरूरत भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके उद्घाटन और समापन सत्रों को संबोधित किया। सम्मेलन में 120 से ज्यादा विकासशील देशों की शिरकत के साथ यह ग्लोबल-साउथकी सबसे बड़ी वर्चुअल सभा साबित हुई। इन देशों में दुनिया की करीब तीन-चौथाई आबादी निवास करती है। वस्तुतः पूरी दुनिया का दिल इन देशों में धड़कता है।

वैश्विक-संकट

यह सम्मेलन कोविड-19, जलवायु-परिवर्तन और वैश्विक-मंदी की पृष्ठभूमि के साथ आयोजित हुआ है। इन तीनों बातों की तपिश विकासशील देशों को झेलने पड़ी है, जबकि तीनों के लिए ग्लोबल साउथ के ये देश जिम्मेदार नहीं है। दूसरी तरफ वैश्विक-संकट गहरा रहा है। ऐसे में भारत समाधान देने और खासतौर से ग्लोबल साउथ यानी इन विकासशील देशों की आवाज़ बनने जा रहा है। इस वर्ष भारत जी-20 और शंघाई सहयोग संगठन का अध्यक्ष भी है, इस लिहाज से यह समय भी महत्वपूर्ण है। पिछले मंगलवार को इंदौर में संपन्न हुए 17वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के अंतिम दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक तरफ गुयाना के राष्ट्रपति इरफान अली और दूसरी तरफ सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी थे। यह पहल भारतवंशियों के मार्फत दुनिया से जुड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

विकासशील-आवाज़

शिखर सम्मेलन में विदेशमंत्री एस जयशंकर ने कहा कि विकासशील दुनिया की प्रमुख चिंताओं को जी-20 की चर्चाओं में शामिल नहीं किया जा रहा है। कोविड-19, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, कर्ज-संकट और रूस-यूक्रेन संघर्ष का समाधान तलाशने में विकासशील देशों की जरूरतों को तवज्जोह नहीं दी गई। हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जी-20 में भारत की अध्यक्षता के दौरान विकासशील देशों की आवाज, मुद्दे, दृष्टिकोण और ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताएं सामने आएं। इस पूरी परियोजना के साथ भू-राजनीति से जुड़े मसले हैं, जो यूक्रेन-युद्ध और दक्षिण चीन सागर में बढ़ते तनाव के रूप में नजर आ रहे हैं।

व्यापक दायरा

सम्मेलन का फलक काफी व्यापक था। इसके व्यावहारिक-प्रतिफल भी सामने आए हैं। सम्मेलन में कुल दस सत्र हुए, जिनमें वित्तीय-परिस्थितियों, ऊर्जा, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े सत्र महत्वपूर्ण थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समिट के समापन सत्र में कहा कि नए साल की शुरूआत एक नई आशा का समय है। विकासशील देश ऐसा वैश्वीकरण चाहते हैं, जिससे जलवायु संकट या ऋण संकट उत्पन्न न हो, जिसमें वैक्सीन का असमान वितरण न हो, जिसमें समृद्धि और मानवता की भलाई हो। उन्होंने यह भी कहा कि भारत एक 'ग्लोबल साउथ सेंटर ऑफ एक्सेलेंस' स्थापित करेगा। उन्होंने एक नए प्रोजेक्ट 'आरोग्य मैत्री' की जानकारी भी दी। इसके तहत भारत प्राकृतिक आपदाओं और मानवीय संकट का सामना कर रहे विकासशील देशों को मेडिकल सहायता उपलब्ध कराएगा। विकासशील देशों के छात्रों के लिए भारत में उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए ग्लोबल साउथ स्कॉलरशिप भी शुरू होगी।

बदलती भूमिका

आर्थिक-विकास और कल्याणकारी-व्यवस्था की पहली शर्त है विश्व-शांति। इस परियोजना के साथ आर्थिक और डिप्लोमैटिक दोनों पहलू जुड़े हैं। संयुक्त राष्ट्र समेत सभी अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भारत की भूमिका बढ़ रही है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा में हम केंद्रीय-भूमिका निभाने जा रहे हैं। शिखर-सम्मेलन में चीन की भागीदारी से जुड़े कुछ सवाल भी उठे हैं। चीन की प्रत्यक्ष भागीदारी इसमें नहीं थी, अलबत्ता चीनी विदेश-मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने गुरुवार को संवाददाताओं को बताया कि भारत ने हमें इस सम्मेलन के बारे में सूचना दी थी। भारत ने चीन को जानकारी क्यों दी, इसे भी विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि भारत का जी-20 से जुड़े मसलों पर अन्य देशों के साथ मजबूत सहयोग है। यह उस विचार के तहत है कि हमने उस प्रत्येक देश से परामर्श किया, जिसके साथ हमारी मजबूत विकास साझेदारी है। बदलते वैश्विक-परिप्रेक्ष्य में भारत की इस भूमिका को विशेषज्ञों ने प्रशंसा की नज़रों से देखा है।

Saturday, January 14, 2023

चीन के साथ व्यापार घाटा 100 अरब डॉलर के पार


भारत और चीन के बीच व्यापार 2022 में बढ़कर 135.98 अरब डॉलर के अबतक के उच्च स्तर पर पहुंच गया। इसके साथ भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़कर 100 अरब डॉलर के पार हो गया। चीन के सीमा शुल्क विभाग के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार भारत-चीन व्यापार 2022 में 8.4 प्रतिशत बढ़कर 135.98 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। चीन के सरकारी मीडिया के अनुसार 2022 में देश ने कोविड-19 के कारण आई सारी बाधाओं को पार करते हुए 5.96 ट्रिलियन डॉलर का कारोबार किया।

Friday, January 13, 2023

जोशीमठ : 2-3 जनवरी की रात आखिर क्या हुआ?


जोशीमठ में घर और जमीन धँसने का सिलसिला जारी है। 12 जनवरी को जोशीमठ के सिंहधार इलाके में एक नई जगह से जमीन से पानी फट पड़ा। यहां भय का माहौल बढ़ता जा रहा है, लेकिन इन सब के बीच लोगों के जहन में अभी भी यह सवाल बना हुआ है कि दो-तीन जनवरी की रात अचानक ऐसा क्या हुआ कि उनके घरों में आई हल्की दरारें न केवल चौड़ी हो गई, बल्कि दो होटल सहित कई घर झुक भी गए। डाउन टु अर्थ में पढ़ें राजू सजवान की पूरी रिपोर्ट

विफल क्यों रहती हैं भारत-पाक वार्ताएं?

इस हफ्ते की शुरुआत में, पाकिस्तानी स्तंभकार हामिद मीर और जावेद चौधरी ने बताया कि 2018 की गुप्त बैठकों ने इतिहास के पाठ्यक्रम को लगभग बदल दिया. अप्रैल 2021 में हिंगलाज माता मंदिर की तीर्थ यात्रा के बाद, उनके मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ मिलना था और कश्मीर में यथास्थिति को बनाए रखने के लिए एक डील की घोषणा करनी थी. राजनीतिक प्रतिक्रिया के डर से खान के समझौते से पीछे हटने के बाद शिखर सम्मेलन की योजना ध्वस्त हो गई. इन नाटकीय खुलासों पर न तो इस्लामाबाद और न ही नई दिल्ली की ओर से कोई प्रतिक्रिया आई है. इसके अलावा, बताई गई बातों के बारे में संदेह होने के बहुत सारे कारण हैं, जो कि जनरल बाजवा द्वारा आयोजित ब्रीफिंग पर काफी हद तक निर्भर करते हैं. दिप्रिंट में पढ़ें प्रवीण स्वामी का रोचक आलेख। इसके साथ प्रवीण स्वामी का एक और लेख पढ़ें दिल्ली में अपना प्रतिनिधि रखना चाहते हैं तालिबान

जीडीपी अनुमानों के आंकड़ों की खामियां

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) किसी भी एक वर्ष के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के वार्षिक आकार का अनुमान निकालने की प्रक्रिया छह बार दोहराता है। ये आंकड़े 36 महीने यानी तीन साल की अवधि में जारी किए जाते हैं। उसी वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) संख्या के अनुमान की पहली और अंतिम दोहराई गई प्रक्रिया के बीच की तुलना करने पर कई महत्त्वपूर्ण अंतर सामने दिखने लगते हैं। कुछ वर्षों में यह अंतर पहली बार में ही अधिक अनुमान के रूप में दिखता है जबकि अन्य दोहराई गई प्रक्रिया में अनुमानों का आंकड़ा कम हो जाता है। उदाहरण के तौर पर पहले अग्रिम अनुमान (एफएई) के अनुसार वर्ष 2016-17 में भारत के जीडीपी में वास्तविक वृद्धि 7.1 प्रतिशत थी। लेकिन तीसरे संशोधित अनुमान के माध्यम से उस संख्या की छठी और अंतिम पुनरावृत्ति के मुताबिक वर्ष 2016-17 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 8.3 प्रतिशत थी। वर्ष 2017-18 में भी कुछ ऐसा ही हुआ था, हालांकि संशोधित अनुमानों के अंतर का दायरा छोटा था और यह पहले अनुमान के 6.5 प्रतिशत से बढ़कर अंतिम चरण के दौरान 6.8 प्रतिशत तक हो गया। बिजनेस स्टैंडर्ड में एके भट्टाचार्य का लेख

 

Thursday, January 12, 2023

भारत में विश्वकप हॉकी प्रतियोगिता

बिरसा मुंडा हॉकी स्टेडियम

हालांकि भारतीय मीडिया की निगाहें अपने कथित राष्ट्रीय खेल हॉकी पर नहीं हैं, पर खबर यह है कि ओडिशा के राउरकेला और भुवनेश्वर में
13 से 29 जनवरी तक 15वें पुरुष हॉकी विश्वकप का आयोजन हो रहा है। प्रतियोगिता का औपचारिक उद्घाटन 11 जनवरी को हो भी गया है। इस विश्व कप के लिए स्टील सिटी के नाम से मशहूर राउरकेला में आदिवासी क्रांतिकारी बिरसा मुंडा के नाम पर स्टेडियम का खासतौर से निर्माण किया गया है, जो भारत का सबसे बड़ा हॉकी स्टेडियम है। इसके निर्माण के लिए सरकार ने 120 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था. इंटरनेशनल हॉकी फेडरेशन ने हॉकी विश्व कप के आयोजन के लिए दो स्टेडियम की अनिवार्यता रखी थी. जिसे देखते हुए बिरसा मुंडा इंटरनेशनल हॉकी स्टेडियम का निर्माण किया गया। बीबीसी हिंदी पर पढ़ें विशेष रिपोर्ट

कितना बदल गया हॉकी का खेल

2018 में भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम में कट्टर प्रतिद्वंद्वियों और तीन बार के चैंपियन नीदरलैंड के खिलाफ खेलते हुए बेल्जियम ने अपना पहला हॉकी खिताब ‘पुरुष हॉकी विश्व कप’ जीता था। 2014 में फेडरेशन इंटरनेशनेल डी हॉकी (FIH) द्वारा अनिवार्य किए गए नए नियमों के लागू होने के बाद यह चौथा विश्व कप है। तब से यह भारत में होने वाला तीसरा टूर्नामेंट भी है। हॉकी के FIH नियम ओलिंपिक या विश्व कप के बाद हर दो साल में अपडेट किए जाते हैं। नीदरलैंड के हेग में 2014 विश्व कप से पहले संबंधित कमेटी ने उस साल के बाद लागू किए जाने वाले बदलावों की एक सूची की घोषणा की थी, जो यकीनन 1992 में ऑफसाइड नियम की समाप्ति के साथ-साथ 1970 के दशक में एस्ट्रोटर्फ पिचों के आगमन के प्रभाव को दर्शाता है। दिप्रिंट में नए नियमों के बारे में दी गई जानकारी को पढ़ें

चीनी-युक्त खाद्य-सामग्री रोकने का सुझाव

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दुनिया के देशों को मसौदा दिशानिर्देश जारी किए हैं। इनमें में सुझाया गया है कि स्वस्थ आहार को बढ़ावा देने के लिए दुनिया के देश किस तरह राजकोषीय नीतियां तैयार कर सकते हैं। दिशानिर्देशों के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से पर फिलहाल मंत्रणा चल रही है। विकासशील देशों सहित पूरी दुनिया में आवश्यकता से अधिक चीनी का इस्तेमाल मधुमेह (टाइप 2 डायबिटीज) का एक प्रमुख कारण माना जाता है। कार्बन युक्त पेय पदार्थ (कार्बोनेटेड ड्रिंक्स), एनर्जी ड्रिंक्स़, फलों के रस ये सभी एसएसबी की श्रेणी में रखे गए हैं। मधुमेह जीवन-शैली से जुड़ा रोग है जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। विशेषकर, उन देशों में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है जहां मधुमेह की बीमारी तेजी से फैल रही है। डब्ल्यूएचओ के अनुमान के अनुसार खराब गुणवत्ता वाले, अति प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ पूरी दुनिया में धूम्रपान से भी अधिक संख्या में लोगों को लील रहे हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड में पढ़ें संपादकीय

 

Wednesday, January 11, 2023

क्रिकेट-विश्वकप-23 और भारत की कहानी

विश्वकप क्रिकेट-1987

 देस-परदेश

भारत में क्रिकेट राष्ट्रीय-भावनाओं के साथ जुड़ गया है. एक समय तक हम हॉकी को राष्ट्रीय खेल मानते थे. वह सम्मान अब भी अपनी जगह होगा, पर क्रिकेट ने कहानी बदली दी है. भारत में इस साल हॉकी और क्रिकेट दोनों की विश्वकप प्रतियोगिताएं होने वाली हैं. आप दोनों की कवरेज के फर्क से इस बात का अनुमान लगा लीजिएगा.  

हॉकी विश्वकप आज से तीन दिन बाद 13 जनवरी से शुरू हो रहा है. मीडिया ने कितनी जानकारी आपको दी? ऐसा तब है, जब हाल के वर्षों में भारतीय हॉकी टीम ने अपनी बिगड़ी कहानी को काफी हद तक सुधारा है. ओलिंपिक-कांस्य तक पहुँच गए हैं. उम्मीद जगाई है, ओडिशा जैसे राज्य ने, जहाँ हॉकी का इंफ्रास्ट्रक्चर बना है.

हो सकता है कि आने वाले समय में कॉरपोरेट जगत हॉकी की मदद में भी आगे आएं. फिलहाल हमारी दिलचस्पी हॉकी और क्रिकेट की तुलना करने में नहीं, बल्कि राष्ट्रीय-जीवन में खेल की भूमिका में है. बैडमिंटन, कुश्ती, बॉक्सिंग और आर्चरी जैसे खेलों का भी यह उदयकाल है.

विश्वकप फुटबॉल

हाल में क़तर में हुई विश्वकप फुटबॉल प्रतियोगिता के दौरान मोरक्को की टीम के सेमीफाइनल तक पहुँचने पर मुस्लिम देशों, खासतौर से अरब देशों में उत्साह की लहर देखी गई. क्रिस्टियानो रोनाल्डो की टीम पुर्तगाल को हराने के बाद मोरक्को वर्ल्ड कप के सेमीफ़ाइनल तक पहुँचने वाला पहला अफ़्रीकी अरब देश बना था. प्रतियोगिता के आयोजक देश कतर को भले ही सफलता नहीं मिली, पर उसका आयोजन शानदार था. अलबत्ता सेनेगल, ट्यूनीशिया, ईरान और सऊदी अरब ने भी किसी न किसी रूप में अच्छा प्रदर्शन किया. 

अब तक इन अफ्रीकी-अरब देशों के खिलाड़ी यूरोपियन टीमों में शामिल होकर उनका गौरव बढ़ाते रहे हैं, पर लगता है कि अब एक नया चलन शुरू होने जा रहा है. विश्वकप जीतने का सपना टूटने के कुछ सप्ताह बाद पुर्तगाल के कप्तान क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने यूरोपीय फ़ुटबॉल क्लब मैनचेस्टर यूनाइटेड छोड़कर, सऊदी अरब के 'अल-नस्र' से नाता जोड़ लिया है.

सऊदी अरब का सपना

अल नस्र और रोनाल्डो के बीच हुआ क़रार अब तक का सबसे महंगा सौदा बताया जा रहा है. अल-नस्र 2025 तक हर साल रोनाल्डो को क़रीब 1800 करोड़ रुपये का भुगतान करेगा. रोनाल्डो का सऊदी अरब पहुँचना बड़े बदलाव का संकेत है.

सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान क़तर विश्व कप के दौरान फीफा के प्रमुख जीवी इनफ़ैंन्तिनो के साथ कई बार नज़र आए थे. वे अपने देश को आधुनिक बना रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने विज़न-2030 के नाम से पूरा एक कार्यक्रम बनाया है. इस कार्यक्रम में खेलों को भी शामिल किया गया है. क्राउन प्रिंस मानते हैं कि पश्चिम एशिया अब नया यूरोप बनेगा. अब आप आएं भारत की ओर.

क्रिकेट विश्वकप

ब्रिटिश पत्रिका इकोनॉमिस्ट हर साल नवंबर के दूसरे सप्ताह में एक विशेष अंक का प्रकाशन करती है, जिसका नाम होता है द वर्ल्ड अहैड. इसमें आने वाले वर्ष की संभावित-प्रवृत्तियों और घटनाओं का अनुमान किया जाता है. इस साल के द वर्ल्ड अहैड-2023 में भारत को लेकर तीन आलेख हैं. एक नरेंद्र मोदी की 2024 में विजय-संभावनाओं पर, दूसरा अर्थव्यवस्था पर. तीसरे का शीर्षक है, द क्रिकेट वर्ल्ड कप इन इंडिया इन 2023 विल बी मोर दैन जस्ट अ गेम.