Tuesday, December 17, 2013

लोकपाल बनने भर से ‘आप’ नहीं रुकेगी

लोकपाल विधेयक अब पास हो जाएगा. इसे मुख्य धारा के लगभग सभी राजनीतिक दलों का समर्थन हासिल है. समाजवादी पार्टी को छोड़ दें तो बाकी सब इसके पक्ष में आ गए हैं, भाजपा भी. उसकी केवल दो आपत्तियाँ हैं. जाँच के दौरान सीबीआई अधिकारियों के तबादले को लेकर और दूसरी सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के पहले उन्हें सूचना देने के बाबत. लोकसभा से पास हुए विधेयक में राज्यसभा में इतने संशोधन आए कि उसे प्रवर समिति को सौंपना पड़ा था. प्रवर समिति ने सुझाव दिया है कि लोकपाल द्वारा भेजे गए मामलों पर लोकपाल की निगरानी रहेगी. इसके अलावा जिन मामलों की जाँच चलेगी उनसे जुड़े अफसरों का तबादला लोकपाल की सहमति से ही हो सकेगा. पर सरकार चाहती है कि उसके पास तबादला करने का अधिकार रहे. सरकार यह भी चाहती है कि किसी अफसर के खिलाफ कार्रवाई करने के पहले उसे सूचित किया जाए. झूठी शिकायतें करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की व्यवस्था भी विधेयक में हैं. इसके अंतर्गत अधिकतम एक साल की सज़ा और एक लाख रुपए तक के जुर्माने की व्यवस्था है. भारतीय दंड संहिता में व्यवस्था है कि शिकायत झूठी पाई जाने पर भी यदि उसके पीछे सदाशयता है तो यह नियम लागू नहीं होता. प्रवर समिति की अनुशंसा है कि यह बात इस कानून में दर्ज की जाए.

Sunday, December 15, 2013

नई राजनीति की आहट

अभी तक राजनीति का मतलब हम पार्टियों के गठबंधन, सरकार बनाने के दावों और आरोपों-प्रत्यारोपों तक सीमित मानते थे। एक अर्थ में राजनीति के मायने चालबाज़ी, जोड़तोड़ और जालसाज़ी हो गए थे। पर राजनीति तो राजव्यवस्था से जुड़ा सबसे महत्वपूर्ण कर्म है। पिछले एक हफ्ते में अचानक भारतीय राजनीति की परिभाषा में कुछ नई बातें जुड़ीं हैं। चार राज्यों के विधान सभा चुनाव का यह निष्कर्ष साफ है कि यह कांग्रेस के पराभव का समय है। यह आने वाले तूफान की आहट है। पर इस चुनाव के कुछ और निष्कर्ष भी हैं। पहला यह कि ‘आप’ के रूप में नए किस्म की राजनीति की उदय हो रहा है। यह राजनीति देश के शहरों और गाँवों तक जाएगी। दिल्ली की प्रयोगशाला में इसका परीक्षण हुआ। अब बाकी देश में यह विकसित होगी।

Saturday, December 14, 2013

राजनीति के ढलते-उगते सूरज

पिछले साल उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में भारी सफलता पाने के बाद मुलायम सिंह का अनुमान था कि लोकसभा चुनाव समय से पहले होंगे। उस अनुमान में उनकी राजनीति भी छिपी थी। उन्हें लगता था कि आने वाला वक्त लोकसभा में उनकी पार्टी को स्थापित करेगा। इसी उम्मीद में उन्होंने खुद को केंद्रीय राजनीति के साथ जोड़ा। ऐसा अनुमान ममता बनर्जी और जयललिता का भी था। छह महीने पहले तक लगता था कि केंद्र सरकार 2013 के विधानसभा चुनावों के साथ लोकसभा चुनाव भी कराएगी। ऐसा नहीं हुआ तो सरकार के लिए दिक्कत पैदा होंगी। दीवार पर लिखा था कि उत्तर भारत की विधान सभाएं कांग्रेस के लिए अच्छा संदेश लेकर नहीं आने वाली हैं। झटका लगा तो फिर रिपल इफैक्ट रुकेगा नहीं।  शायद कांग्रेस अपने गेम चेंजर का असर देखने के लिए कुछ समय चाहती थी।

Wednesday, December 11, 2013

अंतरिक्ष में कौन रहता है?

दुनिया का सबसे बड़ा अनुत्तरित सवाल

अमेरिका से एक साप्ताहिक पत्रिका निकलती थी वीकली वर्ल्ड न्यूज। इस पत्रिका की खासियत थी ऊल-जलूल, रहस्यमय, रोमांचकारी और मज़ाकिया खबरें। इन खबरों को वड़ी संजीदगी से छापा जाता था। यह पत्रिका सन 2007 में बंद हो गई, पर आज भी यह एक टुकड़ी के रूप में लोकप्रिय टेब्लॉयड सन के इंसर्ट के रूप में वितरित होती है। अलबत्ता इसकी वैबसाइट लगातार सक्रिय रहती है। इस अखबार की ताजा लीड खबर हैएलियन स्पेसशिप टु अटैक अर्थ इन डेसेम्बर दिसम्बर में धरती पर हमला करेंगे अंतरिक्ष यान। खबर के अनुसार सेटी (सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस) के वैज्ञानिकों ने घोषणा की है कि सुदूर अंतरिक्ष से तीन यान धरती की ओर बढ़ रहे हैं, जो दिसम्बर तक धरती के पास पहुँच जाएंगे। इनमें सबसे बड़ा यान तकरीबन 200 मील चौड़ा है। बाकी दो कुछ छोटे हैं। इस वक्त तीनों वृहस्पति के नजदीक से गुजर रहे हैं और अक्टूबर तक धरती से नजर आने लगेंगे। यह खबर कोरी गप्प है, पर इसके भी पाठक हैं। पश्चिमी देशों में अंतरिक्ष के ज़ीबा और गूटान ग्रहों की कहानियाँ अक्सर खबरों में आती रहतीं हैं, जहाँ इनसान से कहीं ज्यादा बुद्धिमान प्राणी निवास करते हैं। अनेक वैबसाइटें दावा करती हैं कि दुनिया के देशों की सरकारें इस तथ्य को छिपा रही हैं कि अंतरिक्ष के प्राणी धरती पर आते हैं। आधुनिक शिक्षा के बावजूद दुनिया में जीवन और अंतरिक्ष विज्ञान को लेकर अंधविश्वास और रहस्य ज्यादा है, वैज्ञानिक जानकारी कम।

Monday, December 9, 2013

राजनीति में गांधी टोपी की वापसी

 सोमवार, 9 दिसंबर, 2013 को 08:12 IST तक के समाचार
चार राज्यों के विधान सभा चुनाव का पहला निष्कर्ष है कि कांग्रेस के पराभव शुरू हो गया है.
पार्टी यदि इन परिणामों को लोकसभा चुनाव के लिए ओपिनियन पोल नहीं मानेगी तो यह उसकी बड़ी गलती होगी.
चुनाव का दूसरा बड़ा निष्कर्ष है ‘आप’ के रूप में नए किस्म की राजनीति की उदय हो रहा है, जो अब देश के शहरों और गाँवों तक जाएगा. इसका पायलट प्रोजेक्ट दिल्ली में तैयार हो गया है.
यह भी कि देश का मध्य वर्ग, प्रोफेशनल युवा और स्त्रियाँ ज्यादा सक्रियता के साथ राजनीति में प्रवेश कर रहे हैं. राजनीतिक लिहाज से ये परिणाम भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी के आत्म विश्वास को बढ़ाने वाले साबित होंगे.
अशोक गहलोत और शीला दीक्षित ने सीधे-सीधे नहीं कहा, पर प्रकारांतर से कहा कि यह क्लिक करेंकेंद्र-विरोधी परिणाम है. सोनिया गांधी का यह कहना आंशिक रूप से ही सही है कि लोकसभा चुनाव और विधान सभा चुनाव के मसले अलग होते हैं. सिद्धांत में अलग होते भी होंगे, पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी की रणनीति भी केंद्रीय उपलब्धियों के सहारे प्रदेशों को जीतने की ही तो थी.