पाकिस्तानी प्रधानमंत्री राजा परवेज की अजमेर शरीफ की निजी यात्रा
को भारतीय मीडिया ने इस तरीके से कवर किया मानो ओबामा की सरकारी यात्रा हो। प्रायः
हर चैनल में एंकर दिन भर यह सवाल पूछते रहे कि पाकिस्तान हमारे फौजियों की गर्दनें
काट रहा है और हम उनके प्रधानमंत्री को लंच दे रहे हैं। शायद श्रोताओं और दर्शकों को
यह सवाल पसंद आता है। पर पसंद क्यों आता है? इसकी एक वजह यह भी है कि यही मीडिया अपने दर्शकों, पाठकों को चुनींदा जानकारी
देता है। यह बात सरहद के दोनों ओर है। इतिहास के क्रूर हाथों ने दोनों देशों को एक-दूसरे
का दुश्मन क्यों बनाया और क्या यह दुश्मनी अनंतकाल तक चल सकती है? क्या हम एक-दूसरे के अंदेशों, संदेहों और जानकारियों से परिचित हैं? पाकिस्तान क्या वैसा ही है जैसा हम समझते हैं? और क्या
भारत वैसा ही है जैसा पाकिस्तानियों को बताया जाता है?
Tuesday, March 12, 2013
इटली बनाम भारत!!!
पिछले दिनों जब वेस्टलैंड ऑगस्टा हेलिकॉप्टर की खरीद के मामले में कमीशनखोरी का मामला इटली की अदालत में पहुँचा तो भारत सरकार ने विवरण माँगे तो वहाँ की व्यवस्था ने इनकार कर दिया। संयोग से उन्हीं दिनों इटली के नौसैनिकों का मामला भारतीय अदालतों में चल रहा था। केरल से होता हुआ यह सुप्रीम कोर्ट पहुँचा। देश की अदालत ने इन कर्मचारियों को अपने देश जाकर वहाँ चुनाव में हिस्सा लेने की छूट भी दे दी। अब इटली के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत में हत्या के आरोपों का सामना कर रहे इटली के नौसैनिक भारत वापस नहीं लौटेंगे। इन सैनिकों पर आरोप है कि एक साल पहले उन्होंने दो भारतीय मछुआरों को गाली मार दी थी। ये सैनिक इटली के एक जहाज़ पर तैनात थे ताकि उसे समुद्री लुटेरों से बचा सकें जबकि नौसैनिकों का कहना है कि उन्होंने हिंद सागर में भारतीय मछुआरों को समुद्री लुटेरे समझ कर उन पर गोलियां चला दीं थी।
Tuesday, March 5, 2013
हम भी छू सकते हैं सूरज और चाँद बशर्ते...
बजट सत्र
की शुरूआत करते हुए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने घोषणा की कि भारत इस साल अपना उपग्रह
मंगल ग्रह की ओर भेजेगा। केवल मंगलयान ही नहीं। हमारा चन्द्रयान-2 कार्यक्रम तैयार
है। सन 2016 में पहली बार दो भारतीय अंतरिक्ष यात्री स्वदेशी यान में बैठकर पृथ्वी
की परिक्रमा करेंगे। सन 2015 या 16 में हमारा आदित्य-1 प्रोब सूर्य की ओर रवाना होगा।
और सन 2020 तक हम चन्द्रमा पर अपना यात्री भेजना चाहते हैं। किसी चीनी यात्री के चन्द्रमा
पहुँचने के पाँच साल पहले। देश का हाइपरसोनिक स्पेसक्राफ्ट अब किसी भी समय सामने आ
सकता है। अगले दशक के लिए न्यूक्लियर इनर्जी का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम तैयार है।
एटमी शक्ति से चलने वाली भारतीय पनडुब्बी ‘अरिहंत’ नौसेना के बेड़े में शामिल
हो चुकी है। हमारा अपना बनाया ‘तेजस’ विमान
तैयार है। युद्धक टैंक अर्जुन-2 दुनिया के सबसे अच्छे टैंकों से भी बेहतर बताया जा
रहा है। भारत के डिज़ाइन से तैयार हो रहा है अपना विमानवाहक पोत। हम रूस के साथ मिलकर
पाँचवी पीढ़ी का युद्धक विमान विकसित कर रहे हैं। रूस के साथ मिलकर ही बहुउद्देश्यीय
माल-वाहक विमान भी हम डिज़ाइन करने जा रहे हैं।
Monday, March 4, 2013
बांग्लादेश का एक और मुक्ति संग्राम
बांग्लादेश में जिस वक्त हिंसा का दौर चल रहा है हमारे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की यात्रा माने रखती है। पर बांग्ला विपक्ष की नेता खालिदा ज़िया ने प्रणव मुखर्जी से मुलाकात को रद्द करके इस आंदोलन को नया रूप दे दिया है। देश में एक ओर जमात-ए-इस्लामी का आंदोलन चल रहा है, वहीं पिछले तीन हफ्ते से ढाका के शाहबाग चौक में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रवाद के समर्थक जमा हैं। इस साल के अंत में बांग्लादेश में चुनाव भी होने हैं। शायद इस देश में स्थिरता लाने के पहले इस प्रकार के आंदोलन अनिवार्य हैं।
भारत के लिए बांग्लादेश प्रतिष्ठा का प्रश्न रहा है। इस देश
का जन्म भाषा, संस्कृति, धर्म और राष्ट्रवाद के कुछ बुनियादी सवालों के साथ हुआ था।
इन सारे सवालों का रिश्ता भारतीय इतिहास और संस्कृति से है। इन सवालों के जवाब आज भी
पूरी तरह नहीं मिले हैं। पश्चिम में पाकिस्तान और पूर्व में बांग्लादेश भारत के अंतर्विरोधों
के प्रतीक हैं। संयोग है तीनों देश इस साल चुनाव की देहलीज पर हैं। पाकिस्तान में अगले
दो महीने और भारत और बांग्लादेश में अगला एक साल लोकतंत्र की परीक्षा का साल है। इस
दौरान इस इलाके की जनता को तय करना है कि उसे आधुनिकता, विकास और संस्कृति का कैसा
समन्वय चाहिए। पर बांग्लादेश की हिंसा अलग से हमारा ध्यान खींचती है।
जमात-ए-इस्लामी के नेता दिलावर हुसैन सईदी को मौत की सज़ा सुनाए
जाने के बाद बांग्लादेश के अलग-अलग इलाकों में दंगे भड़के हैं। अभी तक बांग्लादेश नेशनल
पार्टी ने इस मामले में पहल नहीं की थी, पर शुक्रवार को उसकी नेता खालिदा जिया ने सरकार
पर नरसंहार का आरोप लगाकर इसे राजनीतिक रंग दे दिया है। देश के 15 ज़िले
हिंसा से प्रभावित हैं। कई शहरों में सत्तारूढ़ अवामी लीग और जमात-ए-इस्लामी कार्यकर्ताओं
के बीच टकराव हुए हैं। सन 1971 के बाद से देश में यह सबसे बड़ी हिंसा है। नेआखाली के
बेगमगंज में मंदिरों और हिंदू परिवारों पर हमले हुए हैं। जमात-ए-इस्लामी और उसकी छात्र
शाखा इस्लामी छात्र शिविर ने मंदिरों को ही नहीं मस्जिदों को भी निशाना बनाया है। बांग्लादेश
की शाही मस्जिद कहलाने वाली बैतुल मुकर्रम मस्जिद में कट्टरपंथियों ने तोड़फोड़ की
है। यह हिंसा लगभग एक महीने से चल रही है। और इस कट्टरपंथी हिंसा के जवाब में पिछले
एक महीने से धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रवादी नौजवानों का आंदोलन भी चल रहा है। यह आंदोलन
भी देश भर में फैल गया है। देखना यह है कि क्या बांग्लादेश आधुनिकतावाद को अपनी राजनीतिक
संस्कृति का हिस्सा बना पाएगा।
Wednesday, February 27, 2013
पवन बंसल का राम भरोसे रेल बजट
रेल किराए या इसी किस्म की लोकलुभावन बातों पर गौर न करें तो
भारत के आधुनिकीकरण में रेलवे की भावी भूमिका और अंदेशों का संकेत तो इस बार के रेल
बजट में मिलता है, पर जवाब कहीं नहीं मिलता। रेल बजट को लोकलुभावन बनाने का ममता बनर्जी
का फ़र्मूला किराया न बढ़ाना था तो पवन बंसल का फ़ॉर्मूला विकास के कार्यों को रोक
देने का है। लगता है सरकार ने सारे काम भविष्य पर छोड़ दिए हैं। रेलवे की सबसे बड़ी
ज़रूरत है माल ढोने के लिए आधार ढाँचे को तैयार करना, यात्रियों की सुरक्षा और सहूलियतों
में इज़ाफा, विद्युतीकरण, आमान परिवर्तन और नई लाइनों का निर्माण। हमें अपने बजट को
इसी लिहाज से देखना चाहिए। और यह देखना चाहिए कि सरकार कितना निवेश इन कामों पर करने
जा रही है। इसके लिए पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में रेलवे के लिए 5.19 लाख करोड़ रुपए
के निवेश की ज़रूरत है। इसमें से आंतरिक साधनों से 1.05 लाख करोड़ की व्यवस्था करने
का निश्चय किया गया है। इसमें से केवल 10,000 करोड़ रुपए की व्यवस्था पिछले साल के
बजट में की गई थी। यानी 95,000 करोड़ रुपए का इंतज़ाम अगले चार साल पर छोड़ दिया गया।
पिछले साल रेलवे का योजनागत व्यय 60,100 करोड़ रुपए था, जो संशोधित कर 52,265 करोड़
रु कर दिया गया। यानी वह व्यवस्था भी नहीं हो पाई। इस साल 63, 363 करोड़ रु की व्यवस्था
बजट में की गई है। यानी दो साल में योजनागत व्यय एक लाख 15, 628 करोड़ रु हुआ। यानी
अगले तीन साल में 4.04 लाख करोड़ रु की व्यवस्था करनी होगी। यानी अगले तीन साल तक रेलवे
को योजनागत व्यय में इस साल के व्यय का तकरीबन ढाई गुना खर्च करना होगा। यह काम लगभग
असम्भव है।
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