इसे कांग्रेस के लिए संकट का समय न भी कहें, तो बहुत नाजुक समय जरूर कहेंगे। पार्टी को अगले तीन हफ्तों में अपने अध्यक्ष का चुनाव करना है। साल के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव होने वले हैं। अगले साल कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव हैं।
दूसरे कई राज्यों में भी चुनाव हैं, पर पाँच
में पहले चार राज्यों में कांग्रेस के महत्वपूर्ण हित जुड़े हुए हैं। तेलंगाना में
उसकी स्थिति फिलहाल अच्छी नहीं है, पर कांग्रेस की राष्ट्रीय स्थिति को बनाए रखने
में तेलंगाना की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। पर राजनीति की निगाहें इससे आगे हैं, वह 2024 और 2029 के चुनावों तक देख रही है।
गुलाम नबी के रहने या जाने से कांग्रेस की सेहत
पर भले ही बड़ा फर्क पड़ने वाला नहीं हो, फिर भी उनके इस्तीफे से धक्का जरूर लगेगा।
ऐसी परिघटनाओं से कार्यकर्ता का मनोबल गिरता है। उनके इस्तीफे के पहले पार्टी-प्रवक्ता
जयवीर
शेरगिल ने इस्तीफा दिया है। दोनों ने बदहाली के लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार
माना है। इसके पहले भी जो लोग पार्टी छोड़कर गए हैं, सबका निशाना राहुल गांधी रहे
हैं।
चुनाव-कार्यक्रम
घोषित कार्यक्रम के अनुसार कांग्रेस के अध्यक्ष पद की चुनाव प्रक्रिया 21 अगस्त से
20 सितंबर के बीच पूरी की जानी है। चुनाव की तारीख कार्यसमिति तय करेगी, जिसकी
बैठक 28 को होने जा रही है। इस चुनाव में सभी राज्यों के 9,000 से अधिक प्रतिनिधि मतदाता होंगे। मधुसूदन मिस्त्री
की अध्यक्षता में पार्टी की चुनाव-समिति ने कहा है कि हम समय पर चुनाव के लिए
तैयार हैं।
वर्तमान स्थितियों में लगता है कि इस प्रक्रिया को पूरा करने में 20 सितंबर की समय सीमा का उल्लंघन हो सकता है। पार्टी के संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल ने स्पष्ट किया है कि चुनाव टाले नहीं जा रहे हैं। अलबत्ता कुछ तकनीकी कारणों से उनमें देरी हो रही है। कहा यह भी जा रहा है कि बीच में पितृ-पक्ष पड़ने के कारण पार्टी देरी कर रही है। राज्यों के अध्यक्षों का चुनाव भी 20 अगस्त तक होना था, लेकिन यह प्रक्रिया किसी भी राज्य में पूरी नहीं हुई है।