इस साल हुए लोकसभा चुनाव के बाद के राजनीतिक परिदृश्य का
पता इस महीने हो रहे महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा के चुनावों से लगेगा। दोनों
राज्यों में सभी सीटों पर प्रत्याशियों के नाम तय हो चुके हैं, नामांकन हो चुके
हैं और अब नाम वापसी के लिए एक दिन बचा है। दोनों ही राज्यों में एक तरफ भारतीय
जनता पार्टी के बढ़ते हौसलों की और दूसरी तरफ कांग्रेस के अस्तित्व-रक्षा से जुड़े
सवालों की परीक्षा है। एक प्रकार से अगले पाँच वर्षों की राजनीति का यह
प्रस्थान-बिंदु है।
कांग्रेस के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए कहीं न कहीं अपने
पैर जमाने होंगे। ये दोनों राज्य कुछ साल पहले तक कांग्रेस के गढ़ हुआ करते थे। अब
दोनों राज्यों में उसे अपने अस्तित्व को कायम रखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
इन चुनावों में उसकी संगठनात्मक सामर्थ्य के अलावा वैचारिक आधार की परीक्षा भी है।
पार्टी कौन से नए नारों को लेकर आने वाली है? क्या वह लोकसभा
चुनाव में अपनाई गई और उससे पहले मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा
चुनावों में तैयार की गई रणनीति को दोहराएगी?