टी-20 क्रिकेट की तरह आखिरी ओवर में कहानी बदल गई. कर्नाटक के चुनाव
परिणाम जब क्लाइमैक्स पर पहुँच रहे थे तभी उलट-फेर हो गया. बीजेपी सबसे बड़ी
पार्टी बनने में तो सफल हो गई, पर बहुमत से पाँच छह सीटें दूर रहने की वजह से पिछड़
गई. उसके पास कोई विकल्प नहीं बचा. पहले से अनुमान था जेडीएस ‘किंगमेकर’ बनेगी. अब कोई पेच पैदा नहीं हुआ तो एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व में
कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनेगी. कुमारस्वामी ने अपना दावा भी पेश कर दिया है. उधर
येदियुरप्पा का भी दावा है. राज्यपाल के पास सबसे बड़े दल को बुलाने का विकल्प है,
पर कुमारस्वामी बहुमत दिखा रहे हैं, तो सम्भव है कि उन्हें ही बुलाया जाए.
Wednesday, May 16, 2018
फिलहाल बैकफुट पर है भाजपा
कर्नाटक चुनाव ने एक साथ कई विसंगतियों को जन्म दिया है। कांग्रेस
पार्टी चुनाव हारने के बाद सत्ता पर काबिज रहना चाहती है। तीसरे नम्बर पर रहने के
बाद भी एचडी कुमारस्वामी अपने सिर पर ताज चाहते हैं। जैसे कभी मधु कोड़ा थे, उसी
तरह वे भी कांग्रेस के रहमोकरम पर मुख्यमंत्री पद की शोभा बढ़ाएंगे। कांग्रेस बाहर
से राज करेगी या भीतर से, यह सब अभी तय नहीं है।
मंगलवार की दोपहर लगने लगा कि बीजेपी न केवल सबसे बड़ी पार्टी बनकर
उभरी है, बल्कि बहुमत के करीब पहुँच रही है. तभी सस्पेंस थ्रिलर की तरह कहानी में
पेच आने लगा। उधर कांग्रेस हाईकमान ने बड़ी तेजी से कुमारस्वामी को बिना शर्त
समर्थन देने का फैसला किया। सोनिया गांधी ने एचडी देवेगौडा से बात की और शाम होने
से पहले राज्यपाल के नाम चिट्ठी भेज दी गई। इस तेज घटनाक्रम के कारण बीजेपी बैकफुट
पर आ गई।
Sunday, May 13, 2018
राहुल गांधी का पहला इम्तहान
कर्नाटक की रैलियों में नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इस चुनाव के बाद
कांग्रेस ‘पीपीपी (पंजाब,
पुदुच्चेरी और परिवार) पार्टी’ बनकर रह जाएगी। उधर राहुल गांधी ने कहा, हम मुद्दों पर चुनाव लड़ रहे हैं और राज्य
में अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं। दो दिन बाद पता चलेगा कि किसकी बात सच है।
बीजेपी के मुकाबले यह चुनाव कांग्रेस के लिए न केवल प्रतिष्ठा का बल्कि जीवन-मरण
का सवाल है। कांग्रेस को अपनी 2013 की जीत को बरकरार रख पाई, तभी साल के अंत में
चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में सिर उठाकर खड़ी हो सकेगी।
2014 के लोकसभा चुनाव
के बाद से कांग्रेस के सिर पर पराजय का साया है। बेशक उसने इस बीच पंजाब में जीत
हासिल की है, पर एक दर्जन से ज्यादा राज्यों से हाथ धोया है। सन 2015 में बिहार के
महागठबंधन को चुनाव में मिली सफलता पिछले साल हाथ से जाती रही। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ
गठबंधन के बावजूद पार्टी सात सीटों पर सिमट गई। पिछले साल गुजरात के चुनाव में
पार्टी तैयारी से उतरी थी, पर सफलता नहीं मिली।
Friday, May 11, 2018
कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा का सीन
दो महीने पहले जब कर्नाटक विधानसभा चुनाव का
बिगुल बजना शुरू हुआ था, तब लगता था कि मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच है। पर
अब लगता है कि जेडीएस को कमजोर आँकना ठीक नहीं होगा। चुनावी सर्वेक्षण अब
धीरे-धीरे त्रिशंकु विधानसभा बनने की सम्भावना जताने लगे हैं। ज्यादातर विश्लेषक भी यही मानते हैं। इसका मतलब है कि वहाँ का सीन चुनाव
परिणाम के बाद रोचक होगा।
त्रिशंकु विधानसभा हुई तब बाजी किसके हाथ लगेगी? विश्लेषकों की राय में कांग्रेस पार्टी
सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी, पर जरूरी नहीं कि वह सरकार बनाने की स्थिति में हो। वह
सबसे बड़ी पार्टी बनने में कामयाब होगी, तो इसकी वजह राहुल गांधी या सोनिया गांधी
की रैलियाँ नहीं हैं, बल्कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की चतुर राजनीति है। माना जा
रहा है कि देश में मोदी को टक्कर देने की हिम्मत सिद्धारमैया ने ही दिखाई है। प्रचार
के दौरान सिद्धारमैया अपना मुकाबला येदियुरप्पा से नहीं, मोदी से बता रहे हैं।
इतना होने के बाद भी विश्वास नहीं होता कि
बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह का चुनाव-मैनेजमेंट आसानी से व्यर्थ होगा। सच है कि इस चुनाव ने बीजेपी को बैकफुट पर पहुँचा दिया है। कांग्रेस अपने संगठनात्मक
दोषों को दूर करके राहुल गांधी के नेतृत्व में खड़ी हो रही है। गुजरात में बीजेपी
जीती, पर कांग्रेसी ‘डेंट’ लगने के बाद। केन्द्र के खिलाफ एंटी इनकम्बैंसी भी बढ़ रही है। कर्नाटक के बाद अब
बीजेपी को राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की चिंता करनी होगी।
Wednesday, May 9, 2018
संशय में कर्नाटक का मुस्लिम वोट
कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में लिंगायत और वोक्कालिगा
वोट के अलावा जिस बड़े वोट आधार पर विश्लेषकों की निगाहें हैं, वह है मुसलमान। मुसलमान
किसके साथ जाएगा? अलीगढ़ में जब
मुहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को लेकर घमासान मचा है, उसी वक्त कर्नाटक में
कांग्रेस यह साबित करने की कोशिश में है कि वह मुसलमानों की सच्चे हितैषी है। पर
कांग्रेस इस वोट को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं है। उसे डर है कि मुसलमानों का वोट
कहीं बँट न जाए। इस वोट को लेकर उसका मुकाबला एचडी देवेगौडा की जेडीएस से है।
कर्नाटक की सभाओं में राहुल गांधी मुसलमानों से कह रहे हैं कि जेडीएस बीजेपी की ‘बी’ टीम है, उससे बचकर रहना।
कर्नाटक में दलित और मुस्लिम वोट कुल मिलाकर 30 फीसदी के
आसपास है। इसमें 13-14 फीसदी वोट मुसलमानों का है। जेडीएस ने मायावती की बहुजन
समाज पार्टी और असदुद्दीन ओवेसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन
(एआईएमआईएम) के साथ गठबंधन किया है। सवाल है कि क्या जेडीएस इस वोट बैंक का लाभ
उठा पाएगी?
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