सायबर खतरे-2
सायबर हमले को ‘डिनायल ऑफ सर्विस अटैक (डॉस अटैक)’ कहा जाता है। इसमें हमलावर
उपभोक्ता की मशीन या उसके नेटवर्क को अस्थायी या स्थायी रूप से निष्क्रिय कर देता
है। इतना ही नहीं उस मशीन या सर्वर पर तमाम निरर्थक चीजें भर दी जाती हैं, ताकि
सिस्टम ओवरलोड हो जाए। इनपर नजर रखने वाले डिजिटल अटैक मैप के अनुसार ऐसे ज्यादातर हमले वित्तीय केंद्रों
या संस्थाओं पर होते हैं।
दुनिया में काफी
संस्थागत सायबर हमले चीन से हो रहे हैं। हांगकांग में चल रहे आंदोलन को भी चीनी
हैकरों ने निशाना बनाया। अमेरिका और चीन के बीच कारोबारी संग्राम चल रहा है, जिसके
केंद्र में चीन की टेलीकम्युनिकेशंस कंपनी ह्वावे का नाम भी है। उधर अमेरिका की
कंपनियों पर एक के बाद एक सायबर हमले हो रहे हैं। मई के महीने में राष्ट्रपति
डोनाल्ड ट्रंप ने सायबर हमलों को देखते हुए देश में सायबर आपातकाल की घोषणा भी कर दी है।
हांगकांग के
आंदोलनकारी एलआईएचकेजी नामक जिस इंटरनेट प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं उसे
पिछले हफ्ते हैक कर लिया गया। एलआईएचकेजी की कई
सेवाएं ठप हो गईं। इसे फिर से सक्रिय करने में कई घंटे लगे। हाल में यह दूसरा मौका
था, जब हांगकांग के प्रदर्शनकारियों से जुड़े नेट प्लेटफॉर्मों पर हमला किया गया।
जून में मैसेजिंग सेवा टेलीग्राम ने कहा था कि चीन से जन्मे शक्तिशाली आक्रमण के
कारण उसकी सेवाएं प्रभावित हुई थीं। हांगकांग की मुख्य कार्याधिकारी कैरी लाम ने
हाल में कहा था, आंदोलन को हतोत्साहित करने के लिए हम नेट सेवाओं और चुनींदा एप्स को ठप कर सकते हैं।
अखबार भी निशाने
पर
दिसंबर 2018 में अमेरिका
में कई अख़बारों के दफ़्तरों पर सायबर हमलों की खबरें आईं थीं। ट्रिब्यून पब्लिशिंग ग्रुप के कई प्रकाशनों पर सायबर हमले
हुए जिससे द लॉस एंजेलस टाइम्स, शिकागो ट्रिब्यून, बाल्टीमोर सन और कुछ अन्य प्रकाशनों का वितरण
प्रभावित हुआ। लॉस एंजेलस टाइम्स का कहना था, लग रहा है कि ये हमले अमेरिका से
बाहर किसी दूसरे देश से किए गए। वॉल स्ट्रीट जरनल और न्यूयॉर्क टाइम्स के वेस्ट कोस्ट संस्करणों पर
भी असर पड़ा जो लॉस
एंजेलस में इस प्रिंटिंग प्रेस से छपते हैं। हमले के एक जानकार ने लॉस
एंजेलस टाइम्स को बताया, हमें लगता है कि
हमले का उद्देश्य बुनियादी ढाँचे, ख़ासतौर से सर्वर्स
को निष्क्रिय करना था, ना कि सूचनाओं की
चोरी करना।