Saturday, February 1, 2014

केजरीवाल ने जारी की राजनीति की सूची, दिल्ली में बिजली का झटका

हिंदू में केशव का कार्टून परीकथा प्रिंसेस एंड द पी की तरह राजकुमारी परीक्षा के लिए रखा गया मटर का दाना आप 
मंजुल का कार्टून
अरविंद केजरीवाल ने कुछ नेताओं की सूची जारी करके उन्हें भ्रष्ट बताया है। इन नेताओं में सभी पार्टियों के लोग हैं। आम आदमी पार्टी यदि इन्हें लक्ष्य करके चुनाव लड़ेगी तो उसका असर तो होगा। हाल के वर्षों में नेताओं ने अपनी छवि को काफी सस्ता कर दिया था। अगले चुनाव में छवि भी महत्वपूर्ण साबित होने वाले है।  इस छवि को व्यावसायिक रूप से बेहतर बनाने के लिए कांग्रेस ने कुछ विदेशी कम्पनियों को 500 करोड़ का काम दिया है। क्या इसका कोई फायदा मिलेगा? देखते हैं। आज के अखबारों में दिल्ली में बिजली, दूध और डीजल महंगा होने की खबरें काफी जोरदार तरीके से छपी हैं। कुछ अखबारों ने अरुणाचल के विधायक के बेटे की दिल्ली में हत्या को महत्व दिया है।  कुछ रोचक खबरें और हैं, जो अक्सर नजरों से गुजर जाती हैं। देखें आज की कतरनें

नवभारत टाइम्स

Friday, January 31, 2014

गैस सिलेंडर ने आर्थिक सुधार को अँगूठा दिखाया. चुनाव के पहले का शोर

आंध्र की नूरा-कुश्ती पर सुरेंद्र का हिंदू में कार्टून
गैस सिलेंडरों की संख्या 9 से 12 करना आज की बड़ी खबर है। यह खबर कई दिन से माहौल में थी। पिछली 17 जनवरी को राहुल गांधी ने कांग्रेस महासमिति की बैठक में प्रधानमंत्री से इस आशय का आग्रह भी किया था। पर इस विषय पर विमर्श नहीं हुआ कि यह फैसला किस दिशा में ले जा रहा है। कल रात आईबीएन सीएनएन पर राजदीप सरदेसाई इस पर बात कर रहे थे। कल रिजर्व बैक के गवर्नर रघुराज राजन ने कहा कि इसका लाभ उन्हें नहीं मिलेगा जिन्हें पहँचाने की बात कही जा रही है, बल्कि उन्हें मिलेगा जिनकी सामर्थ्य इन्हें खरीदने की है। हिन्दी के किसी अखबार में इस विषय पर सम्पादकीय देखने को नहीं मिला। दिल्ली में बिजली कटौती की चेतावनी भी आज की बड़ी खबर है। राहुल गांधी के इंटरव्यू के बाद सिखों के प्रदर्शन की खबर भी बड़ी है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर है कि जस्टिस जेएस वर्मा के परिवार ने पद्मभूषण सम्मान ठुकरा दिया है। देखें आज की कतरनें

नवभारत टाइम्स

Thursday, January 30, 2014

1984 के दंगों पर फँसी कांग्रेस और एनसीपी की मोदी पर असहमति

धारा 377 पर मंजुल का कार्टून
राहुल गांधी के इंटरव्यू के बाद मोदी पर हमले होने के बजाय उल्टे कांग्रेस फँस गई है। इधर नेकां और एनसीपी ने कांग्रेस की मुसीबत और बढ़ा दी है। नेपथ्य में कांग्रेस की पराजय का शोर सुनाई पड़ रहा है। उधर दिल्ली में आप वाले आप स्टाइल के आंदलनों की चपेट में हैं और आप सरकार पुरानी सरकारों की तरह कर्मचारियों को बर्खास्त करने की धमकी दे रही है। एक रोचक खबर यह है कि सरकार निजी एयरलाइंसों में सांसदों को शाही सुविधाएं देना चाहती है। आज की कतरनों पर नजर डालें
नवभारत टाइम्स

Wednesday, January 29, 2014

राहुल से राज ठाकरे तक

इंडियन एक्सप्रेस में उन्नी का कार्टून



मंजुल का कार्टून

हिंदू में केशव का कार्टून

आज दिल्ली के अखबारों के लिए सबसे बड़ी खबर आठ करोड़ के डाके की है। इस डाके के पीछे जिस गिरोह का भी हाथ हो उसने हाल में चार ऐसी घटनाएं की हैं। पिछले हफ्ते हम दिल्ली की अराजकता को लेकर बेचैन थे। यह घटना उस अराजकता की परिचायक है। अलबत्ता आठ करोड़ जैसी बड़ी रकम इस तरीके से जा रही थी, यह भी विचारणीय है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर है कि यह रकम जिसकी है, वे बुकी भी हैं और हैंसी क्रोन्ये वाले मामले से जुड़े रहे हैं। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने आँकड़े जारी किए हैं जिनके अनुसार देश में पिछले दशक में औसत आयु में पाँच साल का इजाफा हुआ है। टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर पहले सफे पर और इसी से जुड़ा भारत निर्माण का विज्ञापन आखिरी सफे पर है। यह विज्ञापन काफी अखबारों में है। लोकसभा चुनाव के पहले इस किस्म के विज्ञापन और आएंगे। पर मोटे तौर पर मीडिया पर आज भी राहुल का इंटरव्यू हावी है।

                                            अमर उजाला


Tuesday, January 28, 2014

राहुल सवालों को टालेंगे तो फँसेंगे

 मंगलवार, 28 जनवरी, 2014 को 16:52 IST तक के समाचार
राहुल गांधी की सरलता को लेकर सवाल नहीं है. पार्टी की व्यवस्था को रास्ते पर लाने की उनकी मनोकामना को लेकर संशय नहीं. वह सच्चे मन से अपनी बात कहते हैं, इससे भी इनकार नहीं.
पर लगता है कि कांग्रेस को घेरने वाले जटिल सवालों की गंभीरता से या तो वह वाकिफ नहीं हैं, वाकिफ होना नहीं चाहते या पार्टी और सरकार ने उन्हें वाकिफ होने नहीं दिया है.
पिछले दस साल की सक्रिय राजनीति में राहुल का यह पहला इंटरव्यू था. उम्मीद थी कि वह अपने मन की बातें दमदार तरीके से कहेंगे.
खासतौर से इस महीने हुई कांग्रेस महासमिति की बैठक में उनके उत्साहवर्धक भाषण के संदर्भ में उम्मीद काफी थी. पर ऐसा हो नहीं पाया.
उनसे काफी तीखे सवाल पूछे गए, जिनके तीखे जवाब देने के बजाय वह सवालों को टालते नजर आए.
उनसे पूछा गया कि वह टू जी के मामले में कुछ क्यों नहीं बोले, कोल-गेट मामले में चुप क्यों रहे? पवन बंसल और अश्विनी कुमार के मामले में संसद में छह दिन तक गतिरोध रहा, आपको नहीं लगता कि उस समय बोलना चाहिए था? महंगाई पर नहीं बोलना चाहिए था?