Tuesday, March 6, 2018

चिदम्बरम को घेर पाएगी सरकार?

पिछले हफ्ते जब सारे टीवी चैनल श्रीदेवी के निधन की खबरों से घिरे थे, अचानक सुबह कार्ति चिदम्बरम की गिरफ्तारी की खबर आई। इसके साथ इस आशय की खबरें भी आईं कि सरकार आर्थिक अपराधों के खिलाफ एक मजबूत कानून संसद के इसी सत्र में पेश करने जा रही है। पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के कारण अर्दब में आई सरकार अचानक आक्रामक मुद्रा में दिखाई पड़ने लगी है। नोटबंदी के दौरान चार्टर्ड अकाउंटेंटों और बैंकों की भूमिका को लेकर काफी लानत-मलामत हुईं थी। अब दोनों तरफ से घेराबंदी चल रही है। देखना होगा कि सरकर विपक्षी घेरे में आती है या पलटवार करती है।

पी चिदम्बरम के बेटे कार्ति चिदम्बरम की गिरफ्तारी के कई मायने हैं। इसे एक आपराधिक विवेचना की तार्किक परिणति, देश में सिर उठा रहे आर्थिक अपराधियों को एक चेतावनी, राजनीतिक बदले और नीरव मोदी प्रकरण की पेशबंदी के रूप में अलग-अलग तरीके से देखा जा रहा है। सभी बातों का कोई न कोई आधार है, पर इसका सबसे बड़ा निहितार्थ राजनीतिक है। पूर्वोत्तर के चुनाव-परिणामों से प्रफुल्लित भारतीय जनता पार्टी पूरे वेग के साथ अब कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनावों में उतरेगी, जहाँ निश्चित रूप से यह मामला बार-बार उठेगा।

Monday, February 26, 2018

पूर्वोत्तर में जागीं बीजेपी की हसरतें

सन 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी के सामने जिन महत्वपूर्ण परीक्षाओं को पास करने की चुनौती है, उनमें से एक के परिणाम इस हफ्ते देखने को मिलेंगे। यह परीक्षा है पूर्वोत्तर में प्रवेश की। सन 2016 में असम के विधानसभा चुनाव में मिली सफलता ने बीजेपी के लिए पूर्वोत्तर का दरवाजा खोला था, जिसे अब वह तार्किक परिणति तक पहुँचाना चाहेगी। पिछले लोकसभा चुनाव में बड़ी सफलता पाने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी का विस्तार पूरे देश में नहीं है। दक्षिण भारत में उसकी आंशिक पहुँच है और पूर्वोत्तर में असम को छोड़ शेष राज्यों में उसकी मौजूदगी लगभग शून्य थी। असम, मणिपुर और अरुणाचल में सफलता हासिल करने के बाद पार्टी के हौसले बुलंद हैं। इस साल पूर्वोत्तर के चार राज्य चुनाव की कतार में हैं। त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में इस महीने चुनाव हो रहे हैं। मिजोरम में साल के अंत में होगें।
त्रिपुरा में 18 फरवरी को वोट पड़ चुके हैं। अब 27 को शेष दो राज्यों में वोट पड़ेंगे। ईसाई बहुल इन दोनों राज्यों में भाजपा की असल परीक्षा है। तीनों के परिणाम 3 मार्च को घोषित होंगे। पहली बार पूर्वोत्तर की राजनीति पर देश की गहरी निगाहें हैं। वजह है वाममोर्चा और कांग्रेस के सामने खड़ा खतरा और बीजेपी का प्रवेश। इन तीनों या चारों राज्यों के विधानसभा चुनाव आगामी लोकसभा चुनाव की बुनियाद तैयार करेंगे। तीनों राज्यों में बीजेपी का हिन्दुत्व-एजेंडा ढका-छिपा है। नगालैंड में उसने जिस पार्टी के साथ गठबंधन किया है, वह ईसाई पहचान पर लड़ रही है।

Saturday, February 17, 2018

राफेल पर गैर-वाजिब राजनीति

पिछले कुछ समय से कांग्रेस पार्टी राफेल विमान के सौदे को लेकर सवाल उठा रही है. वह मतदाता को मन में संशय के बीज बोकर राजनीतिक लाभ उठाना चाहती है. बेशक राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मसलों पर सवाल उठाइए, पर उसकी बुनियादी वजह को भी बताइए. सन 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 126 विमान खरीदने का फैसला किया था. इस फैसले को लागू करने की प्रक्रिया 2007 से शुरू हुई और 2012 में तय हुआ कि दासो का राफेल विमान खरीदा जाए. पर यूपीए सरकार ने समझौता नहीं किया. क्यों नहीं किया, यह कांग्रेस को बताना चाहिए.
यह सौदा दो देशों की सरकारों के बीच हुआ है, इसलिए इसमें बिचौलियों के कमीशन वगैरह का मसला नहीं है. कांग्रेस का कहना है कि यूपीए ने जो समझौता किया था, उसमें कीमत कम थी. अब ज्यादा है. मूल कार्यक्रम बदल चुका है. अब 126 के बजाय केवल 36 विमान जरूर खरीदे जा रहे हैं. पर विमानों के पूरे उपकरण और लम्बी अवधि का रख-रखाव भी इसमें शामिल है. यूपीए सरकार जिस समझौते को करना चाहती थी, उसमें केवल 18 विमान फ्रांस से आने थे. शेष 108 विमान भारत में ही बनने थे. वे फ्लाई अवे विमान थे, उनमें लाइफ साइकिल कॉस्ट शामिल नहीं थी.

Friday, February 16, 2018

भारत के 'नव मध्य वर्ग' का मिथक

आसिया इस्लाम

ज़रूरी डिग्रियों व कौशल के अभाव में लोग मध्यवर्गीय दिखाई पड़ने वाली ऐसी नौकरियों के भंवर में फंस गए हैं, जिनके कामकाजी हालात मजदूरों जैसे हैं.

दावोस में हुए हालिया वर्ल्ड इकनोमिक फोरम के प्लेनरी सत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जोरदार स्वागत हुआ. फोरम के संस्थापक क्लॉस श्वाब ने उनका परिचय ऐसे देश के नेता के तौर पर कराया, जिसकी छवि गतिशीलता और उम्मीदों से दमक रही है. अपनी तरफ से मोदी जी ने साझे भविष्य का एक ऐसा दृष्टिकोण पेश किया जो असमानता, गरीबी, बेरोजगारी और अवसरों की कमी की दरारों को पाट सकता है.

दौरे से ऐन पहले मोदी जी ने भारत को पूरी दुनिया के आकर्षण के केंद्र के रूप में पेश किया. जब मोदी भारत को उभरती हुई वैश्विक शक्ति के तौर पर परोस रहे थे, करीब उसी वक्त नीति आयोग (दुर्भाग्य से जिसका नेतृत्व स्वयं मोदी जी करते हैं) ने देश में बेरोजगारी की भयावह स्थिति पर एक रिपोर्ट जारी की. इसी समय 'असर 2017' रिपोर्ट ने खुलासा किया कि शिक्षा तथा युवाओं को पेशेवर प्रशिक्षण देने के लिए चलाए जा रहे अनेक कार्यक्रम बेअसर साबित हुए हैं. विश्व बैंक के हाल के एक बयान के मुताबिक़ भारत के 1% सबसे धनवान लोग देश की 73% सम्पत्ति पर काबिज हैं. कुल मिलाकर देश के भविष्य की तस्वीर बहुत अच्छी नहीं दिखाई देती.

Thursday, February 15, 2018

क्या कांग्रेस के नेतृत्व में महागठबंधन बनेगा?

कांग्रेस पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव के सिलसिले में राष्ट्रीय स्तर पर विरोधी-दलों की एकता का प्रयास कर रही है। इस एकता के सूत्र उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति से भी जुड़े हैं। सन 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त बना महागठबंधन जुलाई 2017 में टूट गया, जब जेडीयू ने एनडीए में शामिल होने का निश्चय किया। उसके पहले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, पर वहाँ बहुजन समाज पार्टी ने इस गठबंधन को स्वीकार नहीं किया। सवाल है कि क्या अब उत्तर प्रदेश में तीन बड़े दलों का गठबंधन बन सकता है? इस सवाल का जवाब देने के लिए दो मौके फौरन सामने आने वाले हैं।

कांग्रेस इस वक्त गठबंधन राजनीति की जिस रणनीति पर काम कर रही है, वह सन 2015 के बिहार चुनाव में गढ़ी गई थी। यह रणनीति जातीय-धार्मिक वोट-बैंकों पर आधारित है। पिछले साल पार्टी ने उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ इसी उम्मीद में गठबंधन किया था कि उसे सफलता मिलेगी, पर ऐसा हुआ नहीं। उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा एकसाथ नहीं आए हैं। क्या ये दोनों दल कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन में शामिल होंगे? इस सवाल का जवाब उत्तर प्रदेश में इस साल होने वाले राज्यसभा चुनावों में मिलेगा।