Thursday, November 2, 2017

ट्रंप के नाम आतंक की खुली चुनौती

डोनाल्ड ट्रंप के नाम यह खुली चुनौती है, क्योंकि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद से इस्लामी आतंकवाद की अपने किस्म की बड़ी घटना है. राष्ट्रपति ट्रंप ने दुनिया से जिस इस्लामी आतंकवाद के सफाए की जिम्मेदारी ली है वह उनके घर के भीतर घुसकर मार कर रहा है. शायद इसीलिए लोअर मैनहटन में हुए नवीनतम आतंकी हमले के बाद उनकी प्रतिक्रिया काफी तेजी से आई है.

ट्रंप ने अपने ट्वीट में कहा है कि आइसिस को हमने पश्चिम एशिया में परास्त कर दिया है, उसे हम अमेरिका में प्रवेश करने नहीं देंगे. ट्रंप ने मैनहटन की घटना को बीमार व्यक्ति की कार्रवाई बताया है. इस साल इस तरह की यह दूसरी घटना है. इससे पहले बोस्टन में इसी तरह की घटना में एक सिरफिरे ने कार को भीड़ के ऊपर चढ़ा दिया था. वहाँ 11 लोग घायल हुए थे. 

Tuesday, October 31, 2017

सरदार पटेल से कांग्रेस का विलगाव?



आज सुबह के टाइम्स ऑफ इंडिया, हिन्दुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस और हिन्दू समेत काफी अखबारों में पहले सफे पर कांग्रेस पार्टी की ओर से जारी एक विज्ञापन में श्रीमती इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि दी गई है। ज्यादातर अखबारों में दूसरे पेज पर भारत सरकार के एक विज्ञापन में राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में सरदार वल्लभ भाई पटेल को श्रद्धांजलि दी गई है। आज श्रीमती गांधी की पुण्यतिथि थी और सरदार पटेल का जन्मदिन। किसी को आश्चर्य इस बात पर नहीं हुआ कि कांग्रेस पार्टी ने पटेल को याद क्यों नहीं किया। हालांकि कभी किसी ने नहीं कहा कि सरदार पटेल इंदिरा गांधी से कमतर नेता थे या राष्ट्रीय पुनर्गठन में उनकी भूमिका कमतर थी। पर इस बात पर ध्यान तो जाता ही है। खासतौर से इस बात पर कि बीजेपी ने सरदार पटेल को अंगीकार किया है। 

Monday, October 30, 2017

बैंक-सुधार में भी तेजी चाहिए

केंद्र सरकार ने पिछले मंगलवार को सार्वजनिक क्षेत्र के संकटग्रस्त बैंकों में 2.11 लाख करोड़ रुपये की नई पूँजी डालने की घोषणा दो उद्देश्यों से की है। पहला लक्ष्य इन बैंकों को बचाने का है, पर अंततः इसका उद्देश्य अर्थ-व्यवस्था को अपेक्षित गति देने का है। पिछले एक दशक से ज्यादा समय में देश के राष्ट्रीयकृत बैंकों ने जो कर्ज दिए थे, उनकी वापसी ठीक से नहीं हो पाई है। बैंकों की पूँजी चौपट हो जाने के कारण वे नए कर्जे नहीं दे पा रहे हैं, इससे कारोबारियों के सामने मुश्किलें पैदा हो रही हैं। इस वजह से अर्थ-व्यवस्था की संवृद्धि गिरती चली गई।

Sunday, October 29, 2017

‘मदर इंडिया’ के साठ साल बाद का भारत


फिल्म मदर इंडिया की रिलीज के साठ साल बाद एक टीवी चैनल के एंकर इस फिल्म के एक सीन का वर्णन कर रहे थे, जिसमें फिल्म की हीरोइन राधा (नर्गिस) को अपने कंधे पर रखकर खेत में हल चलाना पड़ता है। चैनल का कहना था कि 60 बरस बाद हमारे संवाददाता ने महाराष्ट्र के सतारा जिले के जावली तालुक के भोगावाली गाँव में खेत में बैल की जगह महिलाओं को ही जुते हुए देखा तो उन्होंने उस सच को कैमरे के जरिए सामने रखा, जिसे देखकर सरकारें आँख मूँद लेना बेहतर समझती हैं। गाहे-बगाहे आज भी ऐसी तस्वीरें सामने आती हैं, जिन्हें देखकर शर्मिंदगी पैदा होती है। सवाल है कि क्या देश की जनता भी इन बातों से आँखें मूँदना चाहती है?


महबूब खान की मदर इंडिया उन गिनी-चुनी फिल्मों में से एक है, जो आज भी हमारे दिलो-दिमाग पर छाई हैं। यदि मुद्रास्फीति की दर के साथ हिसाब लगाया जाए तो मदर इंडिया देश की आजतक की सबसे बड़ी बॉक्स ऑफिस हिट फिल्म है। क्या वजह है इसकी? आजादी के बाद के पहले दशक के सिनेमा की थीम में बार-बार भारत का बदलाव केंद्रीय विषय बनता था। इन फिल्मों की सफलता बताती है कि बदलाव की चाहता देश की जनता के मन में थी, जो आज भी कायम है।

Sunday, October 22, 2017

क्या कहती है बाजार की चमक

दीपावली के मौके पर बाजारों में लगी भीड़ और खरीदारी को लेकर कई किस्म की बातें एक साथ सुनाई पड़ रहीं हैं। बाजार में निकलें तो लगता नहीं कि लोग अस्वाभाविक रूप से परेशान हैं। आमतौर पर जैसा मिज़ाज गुजरे वर्षों में रहा है, वैसा ही इस बार भी है। अलबत्ता टीवी चैनलों पर व्यापारियों की प्रतिक्रिया से  लगता है कि वे परेशान हैं। इस प्रतिक्रिया के राजनीतिक और प्रशासनिक निहितार्थ भी हैं। यह भी सच है कि जीडीपी ग्रोथ को इस वक्त धक्का लगा है और अर्थ-व्यवस्था बेरोजगारी के कारण दबाव में है।

अमेरिका के अख़बार वॉशिंगटन पोस्ट में दिल्ली के चाँदनी चौक की एक मिठाई की दुकान के मालिक के हवाले से बड़ी सी खबर छपी है मेरे लिए इससे पहले कोई साल इतना खराब नहीं रहा। इस व्यापारी का कहना है कि जो लोग पिछले वर्षों तक एक हजार रुपया खर्च करते थे, इस साल उन्होंने 600-700 ही खर्च किए। अख़बार की रिपोर्ट का रुख उसके बाद मोदी सरकार के वायदों और जनता के मोहभंग की ओर घूम गया।