हिन्दू में केशव का कार्टून |
कांग्रेस पार्टी ने सिर्फ चार महीने में राजनीति बदल कर रख दी है। राष्ट्रपति चुनाव के पहले लगता था कि कांग्रेस पार्टी अपने प्रत्याशी को जिता ही नहीं पाएगी। जिताना तो दूर की बात है अपना प्रत्याशी घोषित ही नहीं कर पाएगी। ऐन मौके पर ममता बनर्जी ने ऐसे हालात पैदा किए कि कांग्रेस ने आनन-फानन प्रणव मुखर्जी का नाम घोषित कर दिया। कांग्रेस के लिए ममता बनर्जी का साथ जितना कष्टकर था उतना ही उसे फिर से जगाने में काम आया। ममता बनर्जी ने पहले तीस्ता पर, फिर एफडीआई, फिर रेलमंत्री, फिर एनसीटीसी और फिर राष्ट्रपति प्रत्याशी पर हठी रुख अख्तियार करके खुद को अलोकप्रिय बनाया। कांग्रेस ने उनकी पार्टी को सही समय पर हैसियत बताकर दो तीर एक साथ चलाए। एक तो ममता को किनारे किया, दूसरे एकताबद्ध होकर भविष्य की रणनीति तैयार की। पार्टी ने अपने आर्थिक सुधार के एजेंडा पर वापस आकर कुछ गलत नहीं किया। यह बात चुनाव के वक्त पता लगेगी।