Wednesday, October 9, 2024

‘खर्ची-पर्ची’ खा गई, हरियाणा में कांग्रेस को

 


हरियाणा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिली जीत बहुत से लोगों को अप्रत्याशित लग रही है। कांग्रेस पार्टी ने परिणाम आने के पहले ही साज़िश का अंदेशा व्यक्त करके चुनाव आयोग से शिकायत कर दी थी। इससे कुछ देर के लिए उसके कार्यकर्ताओं को दिलासा भले ही मिल गई हो, पर पार्टी की व्यापक रणनीति में छिद्र नज़र आने लगे हैं। कहा यह जा रहा है कि राष्ट्रीय गठबंधन बनाने के बावजूद कांग्रेस जिताऊ पार्टी नहीं है। हरियाणा को छोड़ भी दें, तो जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन को मिली सफलता, कांग्रेस नहीं नेशनल कांफ्रेंस की वजह से है। इन परिणामों के बाद भाजपा के बरक्स कांग्रेस को जो धक्का लगेगा, वह दीगर है, उसे इंडिया गठबंधन में अपने ही सहयोगियों का धक्का भी लगेगा। महाराष्ट्र में सीट-वितरण के वक्त आप इसे देखेंगे।  

वोट बढ़ा, फिर भी…

हरियाणा के परिणाम पर द हिंदू ने अपने संपादकीय में लिखा है, चुनाव विश्लेषकों के अनुमानों के विपरीत, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हरियाणा में अपनी सीटों को 40 से बढ़ाकर 48 और वोट शेयर को 36.5% से बढ़ाकर 39.9% करके लगातार तीसरी बार सत्ता बरकरार रखने में कामयाब रही है। कांग्रेस का वोट शेयर भी 11 अंक बढ़कर 39.1% दर्ज किया गया, लेकिन इसकी सीटों की संख्या मामूली रूप से छह बढ़कर 37 हो गई। प्रभावशाली जाट समुदाय को बढ़ावा देने वाली दो क्षेत्रीय पार्टियों, इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) का प्रदर्शन खराब रहा, क्योंकि उनका संयुक्त वोट शेयर 2019 में 21% से गिरकर 2024 में 7% हो गया, जिससे कांग्रेस को मदद मिली।

Tuesday, October 8, 2024

पश्चिम एशिया में लड़ाई की पहली भयावह-वर्षगाँठ


गज़ा में एक साल की लड़ाई ने इस इलाके में गहरे राजनीतिक, मानवीय और सामाजिक घाव छोड़े हैं. इन घावों के अलावा भविष्य की विश्व-व्यवस्था के लिए कुछ बड़े सवाल और ध्रुवीकरण की संभावनाओं को जन्म दिया है. इस प्रक्रिया का समापन किसी बड़ी लड़ाई से भी हो सकता है.

यह लड़ाई इक्कीसवीं सदी के इतिहास में महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगी. कहना मुश्किल है कि इस मोड़ की दिशा क्या होगी, पर इतना स्पष्ट है कि इसे रोक पाने में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से लेकर संरा सुरक्षा परिषद तक नाकाम हुए हैं. लग रहा है कि यह लड़ाई अपने दूसरे वर्ष में भी बिना किसी समाधान के जारी रहेगी, जिससे इसकी पहली वर्षगाँठ काफी डरावनी लग रही है.

इस लड़ाई के कारण अमेरिका, ब्रिटेन और इसराइल की आंतरिक-राजनीति भी प्रभावित हो रही है, बल्कि दुनिया के दूसरे तमाम देशों की आंतरिक-राजनीति पर इसका असर पड़ रहा है.

Wednesday, October 2, 2024

इसराइल के तूफानी हमलों का निशाना कौन है?


पहले हमास के प्रमुख इस्माइल हानिये और अब हिज़्बुल्ला के प्रमुख हसन नसरल्ला की मौत के बाद सवाल है कि क्या इससे पश्चिम एशिया में इसराइल की प्रतिरोधी-शक्तियाँ घबराकर हथियार डाल देंगी? हो सकता है कि कुछ देर के लिए उनकी गतिविधियाँ धीमी पड़ जाएं, पर यह इसराइल की निर्णायक जीत नहीं है.

किसी एक की जीत देखने की कोशिश करनी भी नहीं चाहिए, बल्कि समझदारी के साथ रास्ता निकालना चाहिए. यह युद्ध है, जिसमें इसराइल की रणनीति है प्रतिस्पर्धियों के मनोबल को तोड़ना और दीर्घकालीन उद्देश्य है ईरानी-चुनौती को कुंठित करना.

मौके की नज़ाकत को देखते हुए अब ईरान के रुख पर भी नज़र रखनी होगी. काफी दारोमदार उसपर है, क्योंकि शेष इस्लामिक देशों के हौसले आज वैसे नहीं हैं, जैसे सत्तर साल पहले हुआ करते थे. ईरान ने मंगलवार की रात इसराइल के ऊपर दो सौ से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें दागकर शुरुआत कर दी है, जिनमें से ज्यादातर को इसराइल ने बीच में ही रोक लिया.

Wednesday, September 25, 2024

अमेरिका-दौरा और वृहत्तर-भूमिका में क्वॉड


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका-यात्रा भले ही ऐसे वक्त में हुई है, जब राष्ट्रपति जो बाइडेन का कार्यकाल पूरा हो रहा है, फिर भी अमेरिका के साथ द्विपक्षीय-रिश्ते हों या क्वॉड का शिखर सम्मेलन दोनों मामलों में सकारात्मक प्रगति हुई है. ‘बदलते और उभरते भारत पर केंद्रित इस दौरे की थीम भी सार्थक हुई.  

क्वॉड शिखर-सम्मेलन मूलतः चीन-केंद्रित था, पर, भारत इसे केवल चीन-केंद्रित मानने से बचता है. इसबार के सम्मेलन में समूह ने प्रत्यक्षतः भारतीय-दृष्टिकोण को अंगीकार कर लिया. इसे एशियाई-नेटो के बजाय, हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साझा-हितों के रक्षक के रूप में स्वीकार कर लिया गया है. बावजूद इसके चीन का नाम लिए बगैर, जो कहना था, कह दिया गया.

वृहत्तर-सहयोग

हिंद-प्रशांत देशों के बीच इंफ्रास्ट्रक्चर, सेमी कंडक्टर, स्वास्थ्य और प्राकृतिक-आपदाओं के बरक्स राहत-सहयोग जैसे मसलों को इसबार के सम्मेलन में रेखांकित किया गया. संयुक्त राष्ट्र की संरचना में सुधार और सुरक्षा परिषद की स्थायी सीट को लेकर भी इस सम्मेलन में सहमति व्यक्त की गई.

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि क्वॉड किसी के खिलाफ नहीं है बल्कि यह नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और संप्रभुता के पक्ष में है. स्वतंत्र, खुला, समावेशी और समृद्ध हिंद-प्रशांत हमारी प्राथमिकता है.

इनके साथ-साथ संरा समिट ऑफ फ्यूचर में ग्लोबल साउथ के संदर्भ में  भारतीय पहल को समझने की जरूरत है. यहाँ भी मुकाबला चीन से है. इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने भविष्य के खतरों की ओर दुनिया का ध्यान खींचा. साथ ही उन्होंने विश्वमंच को आइना भी दिखाया, जिसने सुरक्षा-परिषद की स्थायी सीट से भारत को वंचित कर रखा है.

Wednesday, September 18, 2024

विश्व-शांति के प्रयास और भारत की बढ़ती भूमिका


इस हफ्ते भारतीय विदेश-नीति का फोकस अमेरिका पर रहेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर जा रहे हैं. पिछले साल जून की उनकी अमेरिका-यात्रा ने राजनीतिक और राजनयिक दोनों मोर्चों पर कुछ बड़ी परिघटनाओं को जन्म दिया था. इसबार हालांकि भारत-अमेरिका रिश्ते पूरी तरह विमर्श के केंद्र में नहीं होंगे, पर होंगे जरूर. साथ ही भारत और शेष-विश्व के रिश्तों पर रोशनी भी पड़ेगी.

हाल में बांग्लादेश में हुए सत्ता-परिवर्तन के बाद इस क्षेत्र में अमेरिका की भूमिका की ओर अभी तक हमारा ध्यान गया नहीं है. अमेरिकी विदेश विभाग में दक्षिण और मध्य एशिया के लिए सहायक विदेशमंत्री डोनाल्ड लू भारत का दौरा पूरा करके सोमवार तक बांग्लादेश में थे.

बताया जा रहा है कि उनकी इस यात्रा का उद्देश्य बांग्लादेश के ताजा हालात की समीक्षा करने के अलावा भारत और बांग्लादेश के बीच के मसलों को समझना भी है. शायद कड़वाहट को दूर करना भी. इस दौरान वे भारत-अमेरिका टू प्लस टू अंतर-सत्र वार्ता में भी शामिल हुए. दोनों देशों के बीच छठी वार्षिक टू प्लस टू वार्ता इस साल किसी वक्त वॉशिंगटन में होनी है.

टू प्लस टू

दोनों देशों के बीच 2018 से शुरू हुई ‘टू प्लस टू’ स्तर की वार्ता ने कई स्तर पर रिश्तों को पुष्ट किया है. पिछली वार्ता नवंबर में हुई थी, जिसमें भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिका के विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकन व रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भाग लिया.