यह लेख 18 नवंबर को लिखा गया था। मासिक-पत्रिका में प्रकाशित यह लेख 18 नवंबर को लिखा गया था। मासिक-पत्रिका में प्रकाशित होने के कारण अक्सर समय के साथ विषय का मेल ठीक से हो नहीं पाता है। बहरहाल अब संसद ने महुआ मोइत्रा की सदस्यता खत्म करने का फैसला कर लिया है। इस लेख में इतना जोड़ लें, विषय से जुड़े संदर्भ बहुत पुराने नहीं हुए हैं।
महात्मा गांधी ने जिन सात पापों से बचने की
सलाह दी, वे हैं-सिद्धांतों के बिना राजनीति, नैतिकता के बिना व्यापार, चरित्र के बिना
शिक्षा, काम के बिना धन, विवेक
के बिना खुशी, मानवता के बिना विज्ञान और बलिदान के
बिना पूजा। अपने आसपास देखें, तो आप पाएंगे कि हम इन सातों पापों के साथ जी रहे
हैं। पिछले कुछ समय का राजनीतिक घटनाक्रम इस बात की पुष्टि करता है।
दो पक्षों के वाग्युद्ध के शुरू हुआ महुआ
मोइत्रा प्रकरण अब जटिल सांविधानिक-प्रक्रिया की शक्ल ले ल रहा है। लोकसभा की आचार
समिति (एथिक्स कमेटी) ने तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा पर कैश लेकर सवाल
पूछने से जुड़े बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के लगाए आरोपों की जाँच पूरी कर ली है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार कमेटी ने महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने की
सिफ़ारिश की है। इस रिपोर्ट के मसौदे में बीएसपी सांसद दानिश अली को लोकसभा के
नियम 275 के उल्लंघन पर फटकार लगाने की सिफारिश भी है।
इस रिपोर्ट में अली समेत विपक्ष के उन सांसदों
का भी ज़िक्र है, जिन्होंने कमेटी की बैठक के दौरान चेयरमैन
विनोद कुमार सोनकर के पूछे गए सवालों पर आपत्ति जताई थी। मोइत्रा और विपक्ष के पाँच
सांसद-दानिश अली, कांग्रेस के उत्तम कुमार रेड्डी और वी वैथीलिंगम,
सीपीएम सांसद पीआर नटराजन और जेडीयू के गिरिधारी यादव 2 नवंबर को हुई
बैठक को छोड़कर चले गए थे।
संसदीय प्रक्रिया के अलावा यह मामला आपराधिक-जाँच के दायरे में भी आ रहा है। निशिकांत दुबे ने मीडिया को जानकारी दी है कि उन्होंने मोइत्रा के ख़िलाफ़ लोकपाल के पास शिकायत भेजी थी, जिसे लोकपाल ने जाँच के लिए सीबीआई के पास भेज दिया है। अब एक तरफ यह मामला लोकसभा के भीतर है और वहीं बाहर भी है।