Tuesday, September 12, 2023

वैश्विक-मंच पर भारत के आगमन का संदेश


सम्मेलन का समापन हो गया. अब कोई कार्यक्रम नहीं है, सिर्फ प्रतिक्रियाएं हैं. सम्मेलन के निष्कर्ष और निहितार्थ भी धीरे-धीरे समझ में आ रहे हैं. कुछ मेहमान अभी रुके हुए हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण हैं सऊदी अरब के शहज़ादे मोहम्मद बिन सलमान अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद.

आज उनके साथ पीएम मोदी की द्विपक्षीय बातचीत हुई है. यह वार्ता दोनों देशों के दीर्घकालीन सहयोग का संकेत दे रही है. एक दिन का यह दौरा दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत करेगा.

कुल मिलाकर वैश्विक मंच पर यह भारत के आगमन की घोषणा है. वैसे ही जैसे 2008 के ओलिंपिक खेलों के साथ चीन का वैश्विक मंच पर आगमन हुआ था. पर्यवेक्षकों की आमतौर पर प्रतिक्रिया है कि भारत में हुआ शिखर सम्मेलन और भारतीय अध्यक्षता कई मायनों में अभूतपूर्व रही है.

ऐसा मानने के दो कारण हैं. एक, आयोजन की भव्यता और दूसरे, ऐसे दौर में जब दुनिया में कड़वाहट बढ़ती जा रही है, सभी पक्षों को संतुष्ट कर पाने में सफल होना. भारत ने जी-20, जी-7, ईयू, रूस और चीन जैसे विभिन्न हितधारकों के बीच अधिकतम सहमतियाँ बनाने की कोशिश की है.

Monday, September 11, 2023

त्वरित-सर्वानुमति ने दिल्ली-सम्मेलन का क्लाइमैक्स बदला


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिखर सम्मेलन के अंतिम दिन प्रतीक रूप में व्यवस्था-दंड (गैवेल) राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो दा सिल्वा को सौंपते हुए जी-20 की अध्यक्षता अगले वर्ष के लिए ब्राज़ील को सौंप दी. भारत-मंडपम में सम्मेलन क तीसर सत्र एक भविष्य के साथ ही दिल्ली-सम्मेलन का समापन हो गया.

समापन के साथ पीएम मोदी ने नवंबर में जी-20 के एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन का प्रस्ताव भी किया है, जिसमें दिल्ली सम्मेलन के फैसलों और सुझावों की समीक्षा की जाए. जी-20 की अध्यक्षता 30 नवंबर तक भारत के पास है. इसका अर्थ है कि अभी भारत के पास करीब ढाई महीने और हैं.

जिस दिल्ली-घोषणा को लेकर कई तरह के कयास थे, वह अंतिम दिन जारी होने के बजाय, पहले दिन ही ज़ारी हो गई. इससे शिखर-सम्मेलन का पूरा क्लाइमैक्स ही बदल गया. सम्मेलन के दूसरे दिन दुनिया की निगाहें, भू-राजनीति के बजाय जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा जैसे मसलों पर टिक गईं.

जलवायु परिवर्तन

ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने शिखर सम्मेलन में घोषणा की कि जलवायु परिवर्तन के कारण विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रहे विकासशील देशों की सहायता के लिए ब्रिटेन ग्रीन क्लाइमेट फंड (जीसीएफ) में दो अरब डॉलर का योगदान करेगा. यह धनराशि यूके की ओर से अब तक का सबसे बड़ा सिंगल फंडिंग’  योगदान है.

शिखर-सम्मेलन का दूसरा दिन अपेक्षाकृत तनाव-मुक्त था. एक भविष्य विषय पर तीसरा सत्र सुबह 10 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक हुआ, जिसके बाद सम्मेलन का समापन हो गया. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन इस सत्र में शामिल नहीं हुए और वे अपने एयरफोर्स वन विमान पर बैठकर हनोई चले गए, जहाँ वे वियतनाम के नेताओं से भेंट कर रहे हैं.

Sunday, September 10, 2023

दिल्ली-घोषणा से साबित हुआ भारत का राजनयिक-कौशल


लीडर्स घोषणा पत्र पर आमराय बन जाने के साथ जी-20 का नई दिल्ली शिखर सम्मेलन पहले दिन ही पूरी तरह से सफल हो गया है. यूक्रेन-युद्ध प्रसंग सबसे जटिल मुद्दा था, जिसका बड़ी खूबसूरती से हल निकाल लिया गया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख़ुद आमराय की जानकारी शिखर-सम्मेलन में दी. उन्होंने कहा, हमारी टीम के हार्ड वर्क से और आप सभी के सहयोग से नई दिल्ली जी-20 लीडर्स घोषणा पत्र पर आम सहमति बनी है.

राजनीतिक-दृष्टि से प्रधानमंत्री मोदी ने पश्चिम एशिया के रास्ते यूरोप से जुड़ने की जिस महत्वाकांक्षी-योजना की घोषणा की है, वह एक बड़ा डिप्लोमैटिक-कदम है. इस परियोजना में भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, यूएई, यूरोपियन संघ, फ्रांस, इटली और जर्मनी शामिल होंगे.

वैश्विक-भरोसा कायम करने में सफल जी-20


लीडर्स घोषणा पत्र पर आमराय बन जाने के साथ जी-20 का नई दिल्ली शिखर सम्मेलन पूरी तरह से सफल हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख़ुद इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा, हमारी टीम के हार्ड वर्क से और आप सभी के सहयोग से नई दिल्ली जी-20 लीडर्स घोषणा पत्र पर आम सहमति बनी है। घोषणापत्र पर आमराय बनना और अफ्रीकन यूनियन को समूह का इक्कीसवाँ सदस्य बनाना इस सम्मेलन की उपलब्धियाँ हैं। ऐसा लगता है कि भारत की सहायता करने के लिए पश्चिमी देशों ने अपने रुख में थोड़ी नरमी भी बरती है। 

सम्मेलन की औपचारिक शुरुआत हालांकि शनिवार को हुई, पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के भारत की ज़मीन पर आगमन के साथ ही समां बन गया था। हवाई जहाज से उतरते ही वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर पहुँचे, जो अपने आप में असाधारण गतिविधि है। देर रात हुई द्विपक्षीय-वार्ता और उसके बाद ज़ारी संयुक्त बयान से भारत-अमेरिका रिश्तों, वैश्विक-राजनीति की दिशा और जी-20 की भूमिका इन तीनों बातों पर रोशनी पड़ी है। सम्मेलन का मूल-स्वर इसी मुलाक़ात से स्थिर हुआ है। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अनुपस्थिति ने कुछ अनिश्चय जरूर पैदा किए, पर सम्मेलन सफल हो गया।

जी-20 से आगे वैश्विक-मंच पर भारत की संभावनाएं


भारत-उदय-08

पिछले साल 1 दिसंबर को जब जी-20 समूह की अध्यक्षता एक साल के लिए भारत के पास आई थी, तभी स्पष्ट था कि यह अध्यक्षता बड़े चुनौती भरे समय में भारत को मिली है. दुनिया तेजी से दो ध्रुवों में बँटती जा रही है. बाली सम्मेलन में घोषणापत्र की शब्दावली को तय कर पाना मुश्किल हो गया था.

अब दिल्ली शिखर सम्मेलन में शी चिनफिंग और व्लादिमीर पुतिन की अनुपस्थिति से वैश्विक-एकता और सहयोग के प्रयासों को एकबारगी धक्का लगा है. सम्मेलन में वैश्विक-सर्वानुमति बना पाने में दिक्कतें हैं. उससे ज्यादा बड़ा खतरा जी-20 के विभाजन का है.

शी चिनफिंग की भी वैश्विक राजनीति में भूमिका कमज़ोर होगी और आंतरिक-राजनीति में भी आलोचना झेलनी होगी. उनका निशाना भारत नहीं अमेरिका है. अलबत्ता इसी सम्मेलन में भारत के भावी राजनय की दिशा स्पष्ट हो रही है.

दबाव में चीन

चीन भी दबाव में है. शी चिनफिंग का नहीं आना, चीन की निराशा को व्यक्त कर रहा है. जी-7 की तुलना में जी-20 का आधार ज्यादा बड़ा है. संयुक्त राष्ट्र को अलग कर दें, तो जी-20 ही ऐसे व्यापक आधार वाला समूह है. इसमें रूस-चीन और पश्चिमी देश आमने-सामने बैठ सकते हैं. इस प्रकार का दूसरा कोई समूह नहीं है.