Thursday, August 10, 2023

एक नज़र करवट बदलते पाकिस्तान पर

पाकिस्तान से आई चार खबरों ने इस हफ्ते ध्यान खींचा है. पहली है पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तोशाखाना मामले में मिली तीन तीन साल की कैद की सज़ा, गिरफ्तारी पाँच साल तक चुनाव लड़ने पर रोक. प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ की घोषणा कि नेशनल असेंबली 9 अगस्त को भंग कर दी जाएगी. इन दो खबरों से पहले शहबाज़ शरीफ का भारत से बातचीत की पहल से जुड़ा एक और बयान, तीसरी खबर है.

चौथी खबर राजनीति के बजाय, खेल के मैदान से है. पाकिस्तान सरकार ने इस साल भारत में अक्तूबर-नवंबर में हो रही एकदिनी क्रिकेट की विश्वकप प्रतियोगिता में अपनी टीम को भेजने की अनुमति दे दी है. इन दिनों चेन्नई में हो रही हॉकी की एशिया चैंपियन ट्रॉफी प्रतियोगिता में भी पाकिस्तान की टीम खेल रही है. खेल की खबरें भी बदलाव का संदेश दे रही हैं. सरकार ने जाते-जाते क्रिकेट का फैसला कुछ सोचकर किया है.    

नेशनल असेंबली को अपने समय से तीन दिन पहले भंग करने का मतलब है कि अब चुनाव 9 नवंबर तक कराने होंगे. संसद अपना कार्यकाल पूरा करती, तो नियमानुसार 12 अक्तूबर तक कराने होते. सरकार चुनाव कराने के लिए थोड़ा ज्यादा समय चाहती है.

इमरान गिरफ्तार

सनसनी के लिहाज से ज्यादा बड़ी खबर है इमरान खान को दी गई तीन साल की सज़ा. लगता यह है कि उनकी गति नवाज़ शरीफ जैसी होने वाली है. उन्हें चुनाव की राजनीति से बाहर किया जा रहा है. वे सेना की मदद से बढ़े थे और सेना ही उन्हें निपटा रही है. अलबत्ता उनकी पार्टी तहरीके इंसाफ पाकिस्तान की लोकप्रियता में कमी दिखाई पड़ती नहीं है.

हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल के…

 


आज़ादी के सपने-01

वैबसाइट आवाज़ द वॉयस में 6 से 14 अगस्त, 2023 को प्रकाशित नौ लेखों की सीरीज़ का पहला लेख

पिछले साल इन्हीं दिनों जब हम अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे कर रहे थे, तब हमारे मन में स्वतंत्रता के 100वें वर्ष की योजनाएं जन्म ले रही थीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2022 को लालकिले के प्राचीर से जो भाषण दिया, उसमें भविष्य के भारत की परिकल्पना थी.

उन्होंने 2047 का खाका खींचा, जिसके लिए अगले 25 वर्षों को ‘अमृत-काल’ बताते हुए कुछ संकल्पों और कुछ संभावनाओं का जिक्र किया. एक देश जिसने अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे किए हैं, और जो 100 वर्ष की ओर बढ़ रहा है, उसकी महत्वाकांक्षाओं और इरादों को उसमें पढ़ना होगा.

उसके पहले एक नज़र उन वर्षों पर भी डालनी चाहिए, जिनसे गुज़र कर हम यहाँ तक आए हैं. 15 अगस्त, 1947 को जब हम स्वतंत्र हो रहे थे, तब हमने कुछ सपने देखे थे. पिछले 76 साल में कुछ पूरे हुए और कुछ नहीं हुए.

सपना क्या था?

उस भव्य भारतवर्ष की पुनर्स्थापना, जो कभी वास्तव में सच था. नागरिकों की खुशहाली. क्या हैं क्या हैं हमारी 76 साल की उपलब्धियाँ? और अगले 25 साल में ऐसा क्या हम कर पाएंगे, जो हमें अपने सपनों को साकार करने में मददगार बने?

भारत के नीति आयोग ने संयुक्त राष्ट्र मल्टी डायमेंशनल पोवर्टी इंडेक्स (एमपीआई) के आधार पर हाल में जानकारी दी है कि मार्च 2021 को पूरे हुए पाँच वर्षों में देश में करीब 13.5 करोड़ लोग गरीबी की रेखा से ऊपर आए हैं.

इसके कुछ साल परले संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और ऑक्सफोर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल (ओपीएचआई) के आँकड़ों के अनुसार 2005-06 से 2015-16 के दौरान भारत में 27.3 करोड़ लोग गरीबी के दायरे से बाहर निकले.

हम कहाँ हैं?

नॉमिनल जीडीपी के आधार पर इस समय भारत, दुनिया की पाँचवीं और पर्चेज़िंग पावर पैरिटी (पीपीपी) के आधार पर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. इक्कीसवीं सदी की शुरुआत से ही देश की औसत सालाना संवृद्धि 6 से 7 फीसदी की रही है. सन 2016 में नोटबंदी और 2017 में गुड्स एंड सर्विस टैक्स लागू होने के कारण और 2020 से 2022 तक कोविड के कारण अर्थव्यवस्था को झटके भी लगे हैं.

Tuesday, August 8, 2023

मॉनसून-सत्र और नई रणनीतियाँ


दिल्ली सेवा-विधेयक को लोकसभा ने पास कर दिया और सोमवार 7 अगस्त वह राज्यसभा से भी पास हो गया। लोकसभा में सत्तारूढ़ दल के बहुमत को देखते हुए इसके पास होने में संदेह नहीं था। राज्यसभा में भी उसके पास होने के आसार थे, पर जिस बहुमत से वह पास हुआ है, उससे लगता है कि विरोधी गठबंधन से भी कुछ वोट उसके पक्ष में गए हैं। ऐसा तब हुआ, जब विपक्ष ने अपनी पूरी ताकत लगा दी, यहाँ तक कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ह्वील चेयर पर बैठकर वोट देने आए और शिबू सोरेन भी मौजूद रहे। मतदान के समय गैर-भाजपा पार्टियों का जो रुख रहा है, वह भविष्य की राजनीति की ओर इशारा कर रहा है। इस दौरान आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा का एक प्रस्ताव विवाद का विषय बन गया, जिसी जाँच होगी. 

आज मंगलवार से अविश्वासप्रस्ताव पर भी चर्चा होगी। 10 अगस्त को प्रधानमंत्री जब इसपर हुई बहस का उत्तर देंगे, तब देश की निगाहें बहुत सी बातों पर होंगी। पिछले साढ़े चार या साढ़े नौ साल के प्रसंग उठेंगे। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी। उनकी संसद सदस्यता भी बहाल हो गई है। वे भी अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेंगे। सत्र में अब यही हफ्ता शेष है, पर जो भी होगा वह रोचक और सनसनीखेजहोगा। बीजेपी ने लोकसभा सदस्यों को ह्विप जारी कर दिया है, जिसमें उनसे 7 से 11 अगस्‍त के बीच सदन में उपस्थित रहने और सरकार का समर्थन करने के लिए कहा गया है।

Sunday, August 6, 2023

मॉनसून-सत्र और नई रणनीतियाँ


दिल्ली के अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े अध्यादेश के स्थान पर लाए गए विधेयक को लोकसभा ने पास कर दिया है। संभवतः सरकार अब इसे सोमवार 7 अगस्त को राज्यसभा में पेश करेगी। लोकसभा में सत्तारूढ़ दल के बहुमत को देखते हुए इसके पास होने में संदेह नहीं था। राज्यसभा में भी उसके पास होने के आसार हैं, पर देखना होगा कि वहाँ मतदान के समय गैर-भाजपा पार्टियों का रुख क्या रहेगा। यह रुख भविष्य की राजनीति की ओर इशारा करेगा। इस हफ्ते अविश्वास प्रस्ताव पर भी चर्चा होगी। 10 अगस्त को प्रधानमंत्री जब इसपर हुई बहस का उत्तर देंगे, तब देश की निगाहें बहुत सी बातों पर होंगी। पिछले साढ़े चार या साढ़े नौ साल के प्रसंग उठेंगे। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी। अब उनकी संसद सदस्यता बहाल हो जानी चाहिए। कब होगी और कैसे होगी, देखना अब यह है। क्या इसी सत्र में उनकी वापसी संभव है? क्या वे अविश्वास प्रस्ताव पर बोलेंगे? ऐसे कुछ सवाल हैं। सत्र में अब यही हफ्ता शेष है, पर जो भी होगा रोचक और सनसनीखेज होगा। बीजेपी ने लोकसभा सदस्यों को ह्विप जारी कर दिया है, जिसमें उनसे 7 से 11 अगस्‍त के बीच सदन में उपस्थित रहने और सरकार का समर्थन करने के लिए कहा गया है।

राज्यसभा में विधेयक

करीब चार घंटे की बहस के बाद दिल्ली सेवा विधेयक लोकसभा से पास हो गया, पर संशय अब सिर्फ राज्यसभा की परिस्थितियों को लेकर है। सदन में एनडीए और विरोधी दलों के गठबंधन 'इंडिया' के पास लगभग बराबर सीटें हैं। ऐसे में गुट-निरपेक्ष पार्टियों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। नवीन पटनायक के बीजू जनता दल और आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस ने अपना रुख साफ कर दिया है। दोनों ने गुरुवार को लोकसभा में सरकार का साथ दिया। दोनों के राज्यसभा में नौ-नौ सदस्य हैं। दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी, जेडीएस और टीडीपी ने अपना रुख साफ नहीं किया है। इन तीनों के राज्यसभा में एक-एक सांसद हैं। ये किस तरफ वोटिंग करेंगे इसपर सबकी नजरें हैं। तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति यानी बीआरएस ने स्पष्ट किया है कि वह बिल के विरोध में है। उसके राज्यसभा में सात सांसद हैं। एनडीए के राज्यसभा में 100 सदस्य हैं। बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन से उसे 118 सदस्यों का साथ मिल गया है। माना जा रहा है कि नामित 5 सदस्य भी सरकार का साथ देंगे और तीन निर्दलीय सांसद भी हैं। गठबंधन 'इंडिया' के साथ राज्यसभा में 101 सदस्य हैं। बीआरएस के सात सांसदों के समर्थन से उसके पास 108 सदस्यों का बल होगा। तराजू का पलड़ा एनडीए की तरफ कुछ झुका हुआ लगता है, पर राजनीति का क्या भरोसा?

गतिरोध जारी

दोनों सदनों में मणिपुर हिंसा मामले पर गतिरोध इस हफ्ते भी जारी रहा। 12 दिन हो चुके हैं और सत्र के पाँच दिन बचे हैं। विपक्ष लगातार मणिपुर हिंसा मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग कर रहा है। विरोधी दलों की रणनीति है कि बात चाहे दिल्ली के विधेयक पर हो या अविश्वास प्रस्ताव पर, वे मणिपुर के मसले पर सरकार को घेरेंगे। वे इस बात को लेकर नाराज़ है कि सरकार ने राज्यसभा में मणिपुर पर 11 अगस्त यानी सत्र के आखिरी दिन चर्चा कराने की योजना बनाई है। विरोधी दल चाहते हैं कि सोमवार को ही चर्चा हो। शुक्रवार को उन्होंने राज्यसभा के नेता सदन पीयूष गोयल और संसदीय-कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी से मुलाकात की, ताकि गतिरोध खत्म हो। सरकार भी ऐसा संदेश देना नहीं चाहती कि मणिपुर पर वह कुछ छिपाने की मंशा रखती है या बहस से भाग रही है। विरोधी खेमे में भी लोग मानते हैं कि ऐसा संदेश न जाए कि नियमों की आड़ में विपक्ष बहस से भाग रहा है। राज्यसभा में आप के संजय सिंह और लोकसभा में रिंकू सिंह के निलंबन से विरोधी सदस्यों के व्यवहार में बदलाव आया है। सोमवार को पता लगेगा कि वे आसन के पास आकर विरोध प्रदर्शन करेंगे या नहीं। काफी सदस्य वैल में जाने से हिचक रहे हैं और अपनी-अपनी सीट से ही खड़े होकर विरोध व्यक्त कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि राज्यसभा में कुछ और सदस्य निलंबित हो गए तो सरकार को वोटिंग के दौरान आसानी हो जाएगी।

Thursday, August 3, 2023

विदेश-नीति और आंतरिक-राजनीति की विसंगतियाँ

विदेशमंत्री एस जयशंकर ने पिछले हफ्ते लोकसभा में विरोधी सदस्यों के हंगामे के बीच भारत की विदेश-नीति तथा देश के नेताओं की हाल की विदेश यात्राओं के बारे में जानकारी देने के लिए एक बयान दिया. उस बयान को जिस राजनीतिक-बेरुखी का सामना करना पड़ा, उससे अनुमान लगाया जा सकता है कि आंतरिक-राजनीति, विदेश-नीति को कितना महत्व दे रही है.   

इस बात को स्वीकार करने की जरूरत है कि सरकार किसी भी पार्टी की हो, राष्ट्रीय-सुरक्षा और विदेश-नीति को लेकर आमराय होनी चाहिए. इन नीतियों में क्रमबद्धता होती है. ऐसा नहीं होता कि सरकार बदलने पर इन नीतियों में भारी बदलाव हो जाता हो.

इस महीने दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स का एक महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन होने वाला है. उसके बाद सितंबर में जी-20 का शिखर सम्मेलन दिल्ली में होगा. ये सभी घटनाएं भारत के राष्ट्रीय-हितों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं.

कैसे इंडिया?

संसद में अपने बयान के प्रति बेरुखी को देखते हुए जयशंकर ने कहा कि वे ‘इंडिया’ (विरोधी गठबंधन) होने का दावा करते हैं, लेकिन अगर वे भारत के राष्ट्रीय हितों के बारे में सुनने के लिए तैयार नहीं हैं, तो वे किस तरह के इंडिया हैं?

बहरहाल पिछले दिनों कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं हैं, जिनपर मीडिया का ध्यान कम गया है. एक और घटना संसद से ही जुड़ी है. विदेशी मामलों से जुड़ी संसदीय समिति ने भारत सरकार को सलाह दी है कि यदि पाकिस्तान पहल करे, तो उसके साथ आर्थिक संबंध फिर से कायम करने चाहिए.