शेर मोहम्मद स्तानिकज़ाई |
अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी पूरी तरह से होने के साथ 31 अगस्त को दो खबरें और भारतीय मीडिया में थीं। पहली यह कि दोहा में भारतीय राजदूत और तालिबान के एक प्रतिनिधि की बातचीत हुई है और दूसरी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 2593 में तालिबान से कहा गया कि भविष्य में अफगान जमीन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों में नहीं होना चाहिए। इन तीनों खबरों को एकसाथ पढ़ने और उन्हें समझने की जरूरत है, क्योंकि निकट भविष्य में तीनों के निहितार्थ देखने को मिलेंगे।
अफगानिस्तान में सरकार बनने में हो रही देरी को
लेकर भी कुछ पर्यवेक्षकों ने अटकलें लगाई हैं, पर इस बात को मान लेना चाहिए कि देर-सबेर
सरकार बन जाएगी। ज्यादा बड़ा सवाल उस सरकार की नीतियों को लेकर है। वह अपने पुराने
नजरिए पर कायम रहेगी या कुछ नया करेगी? 15 अगस्त को काबुल पर कब्जे के बाद
तालिबान प्रतिनिधि ने जो वायदे दुनिया से किए हैं, क्या वे पूरे होंगे? और क्या वे वायदे तालिबान के काडर को पसंद हैं?
तीन बातें
इसके बाद अब यह देखें कि नई सरकार के बारे में वैश्विक-राय क्या है, दूसरे भारत और अफगानिस्तान रिश्तों का भविष्य क्या है और तीसरे पाकिस्तान की भूमिका अफगानिस्तान में क्या होगी। इनके इर्द-गिर्द ही तमाम बातें हैं। फिलहाल हमारी दिलचस्पी इन तीन बातों में है। मंगलवार को संरा सुरक्षा परिषद में भारत की अध्यक्षता का अंतिम दिन था।