स्वतंत्रता दिवस की 73 वीं वर्षगाँठ के मौके पर देश तीन तरह की परेशानियों का सामना कर रहा है। सीमा पर चीन ने चुनौती दी है। दूसरी तरफ कोरोना वायरस की महामारी से भारत ही नहीं पूरी दुनिया परेशान है। तीसरी चुनौती है अर्थव्यवस्था की। भारत वैश्विक महाशक्तियों की कतार में शामिल जरूर हो चुका है, पर हम अभी संधिकाल में है। इस संधिकाल को पूरा करने के बाद ही खुशहाली की राह खुलेगी। आशंका है कि इस साल हमारी अर्थव्यवस्था की विकास-गति शून्य से भी नीचे चली जाएगी।
इन सब चुनौतियों के अलावा स्वतंत्रता दिवस के ठीक दस दिन पहले अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू होने के साथ एक नए युग की शुरुआत हुई है। पर इसके साथ ही कुछ सवाल भी खड़े हुए हैं। क्या यह राष्ट्र निर्माण का मंदिर बन पाएगा? क्या यह एक नए युग की शुरुआत है? ये बड़े जटिल प्रश्न हैं। मंदिर का भूमि पूजन होने के एक दिन पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक लम्बे प्रेस नोट के साथ ट्वीट किया कि ‘बाबरी मस्जिद थी और हमेशा ही मस्जिद रहेगी। अन्यायपूर्ण, दमनकारी, शर्मनाक और बहुसंख्यक तुष्टीकरण के आधार पर किया गया फैसला इसे नहीं बदल सकता।’