Monday, August 3, 2020

पीछे क्यों नहीं हट रही चीनी सेना?

प्रधानमंत्री से लेकर रक्षामंत्री तक ने कहा है कि देश की एक इंच जमीन पर भी कब्जा होने नहीं दिया जाएगा, पर तीन महीने से ज्यादा लम्बी कशमकश के बाद कोई नहीं कह सकता कि चीनी सेना की वापसी हो चुकी है। जो बातें सामने आ रही हैं, उनसे लगता है कि चीन ने लम्बा जाल फेंका है। भारत सरकार इसके लिए तैयार नहीं थी। इस घुसपैठ के समांतर कई परिघटनाएं हुई हैं, जिनका राजनयिक महत्व है। नेपाल तो था ही अब भूटान और बांग्लादेश के साथ रिश्तों में खलिश पैदा करने की कोशिश भी हुई है।

Sunday, August 2, 2020

प्रगति का पहिया यानी शिक्षा

Monday, July 27, 2020

चीन-ईरान समझौते से चोट लगेगी भारत को

ईरान और चीन एक लम्बा सहयोग समझौता करने जा रहे हैं, जिससे वैश्विक समीकरण बदल जाने की संभावना है। चीन और ईरान की योजना के बरक्स यदि यूरोपीय देश निकट या सुदूर भविष्य में अमेरिकी प्रभा-मंडल से बाहर निकल गए, तो दुनिया की सूरत बदल जाएगी। साथ ही पश्चिम एशिया में चीन एक जबर्दस्त ताकत बनकर उभरेगा। ईरान को सऊदी अरब के वर्चस्व को समाप्त करने का मौका मिलेगा। पर ये सब संभावनाएं हैं और इस किस्म की हरेक अटकल के साथ उसके अंतर्विरोध भी जुड़े हैं। यह दो समान वजन वाली ताकतों का समझौता नहीं है। चीन विचारधारा से प्रेरित मूल्यबद्ध देश नहीं है। उसके पीछे अपनी महानता की जुनूनी मनोकामना है।

इलाके में ईरान अकेला ऐसा महत्वपूर्ण देश है, जो अमेरिका के खिलाफ खुलकर खड़ा हो सकता है। ऐसे देश की चीन को जरूरत है। चीन और ईरान दोनों को इस साल डोनाल्ड ट्रंप की पराजय का इंतजार भी है। जो बायडन का संभावित नया निजाम शायद ईरान को भटकने से रोके। ईरान के भीतर एक तत्व ऐसा भी है, जो चीन के दुर्धर्ष ‘आर्थिक अश्वमेध’ को समझता है। समझौते के दायरे में आर्थिक, सांस्कृतिक और सामरिक हर तरह का सहयोग शामिल होगा और यह कम से कम 25 साल के लिए किया जाएगा। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने यह खबर इसी अंदाज में लिखी है कि यह समझौता हो गया है। सबूत के तौर पर एक दस्तावेज भी प्रकाशित किया गया है, जो समझौते का प्रारूप है।

Sunday, July 26, 2020

कांग्रेसी नेतृत्व का रसूख दाँव पर

राजस्थान में कांग्रेस पार्टी का जो संकट खड़ा हुआ है, वह है क्या? क्या यह कि अशोक गहलोत की सरकार बचे? या यह कि कांग्रेस बचे? अशोक गहलोत इसे अपने ऊपर आए संकट के रूप में भले ही देख रहे हों, पर यह संकट कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व और खासतौर से गांधी-नेहरू परिवार पर है। गहलोत सरकार बच भी गई, तो इस बात की गारंटी नहीं कि कांग्रेस का पराभव रुक जाएगा। पार्टी संकट में है। वह फिर से खड़ी होने की कोशिश में डगमगा रही है। और यह संकट केवल कांग्रेस पार्टी पर ही नहीं है, बल्कि यूपीए के गठबंधन पर भी है।

राजस्थान का विवाद जम्मू-कश्मीर के अब्दुल्ला परिवार के साथ किस तरह जुड़ गया, क्या हमने इसके बारे में सोचा है? महाराष्ट्र में एनसीपी कांग्रेस के साथ हैं, पर वह कब धोखा दे दे, इसका ठिकाना नहीं। हाल में चीन के संदर्भ में शरद पवार ने राहुल गांधी को सचेत किया कि मोदी की आलोचना ठीक नहीं। ये बातें संगठनात्मक कौशल के साथ-साथ वैचारिक भटकाव की ओर भी इशारा कर रही हैं। इनका दूरगामी असर यूपीए के स्वास्थ्य पर पड़ेगा।

Monday, July 20, 2020

पायलटों पर लगी वैश्विक पाबंदियों से गिरी पाकिस्तान की साख

गरीबी, अशिक्षा और कोरोना जैसी महामारी के दुष्प्रभाव से लड़ते जूझते दक्षिण एशिया में जब भारत और पाकिस्तान के रिश्तों पर नजर डालते हैं, तो बेहद निराशाजनक तस्वीर उभर कर आती है। हाल में खबरें हैं कि पाकिस्तान ने कश्मीर मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने के लिए अपने प्रयास बढ़ा दिए हैं। दूसरी तरफ वह एफएटीएफ की काली सूची में जाने से वह इसलिए बच गया, क्योंकि कोरोना के कारण दुनिया के पास इन बातों के लिए वक्त नहीं है। भारत के साथ रिश्तों को सुधारने की बात करने का मतलब पाकिस्तान में पाप माना जाता है, जबकि जरूरत इस बात की है कि दोनों देश मिलकर आर्थिक-सामाजिक बदहाली से लड़ाई लड़ें।

कुछ समय पहले इमरान खान ने ट्वीट किया कि हमने कोरोना महामारी के दौर में नौ हफ्तों में देश के एक करोड़ परिवारों को 120 अरब रुपये की सहायता पहुँचाई है। भारत चाहे, तो हम उसे मदद पहुँचाने का तरीका बता सकते हैं और पैसे से मदद भी कर सकते हैं। उनके इस ट्वीट का पाकिस्तान में ही काफी मजाक बना। दूसरी तरफ खबरें हैं कि पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था नीचे गिरने के नए प्रतिमान स्थापित कर रही है। वहाँ से सत्ता परिवर्तन की अफवाहें भी आती रहती हैं। खासतौर से इमरान खान के नेतृत्व को लेकर सवाल हैं। इसी संदर्भ में ‘माइनस वन’ फॉर्मूला भी चर्चित हुआ है। इसका मतलब है इमरान खान को हटाकर सरकार के वर्तमान स्वरूप को बनाए रखना।

गिरती साख

हाल में देश का बजट पेश हुआ। उसके पहले पेश की गई आर्थिक समीक्षा में चेतावनी दी गई कि नैया डूब रही है। विदेशी कर्जा जीडीपी का 88 फीसदी हो गया है। करीब 60 फीसदी आबादी गरीबी की रेखा के नीचे जाने का अंदेशा है। अर्थव्यवस्था लगातार विदेशी कर्ज के सहारे है। कब तक कर्ज मिलेगा? देश की साख वैश्विक मंच पर लगातार गिर रही है। ऐसे में एक खराब खबर नागरिक उड्डयन के क्षेत्र से मिली है। पाकिस्तानी पायलटों के विमान संचालन पर तकरीबन पूरी दुनिया में रोक लग गई है।