मोदी
सरकार का अंतिम बजट वैसा ही लुभावना और उम्मीदों से भरा है, जैसा सन 2014 में इस
सरकार का पहला बजट था. इसमें गाँवों और किसानों के लिए तोहफों की भरमार है और साथ
ही तीन करोड़ आय करदाताओं के लिए खुशखबरी है. कामगारों के लिए पेंशन है. उन सभी
वर्गों का इसमें ध्यान रखा गया है, जो जनमत तैयार करते हैं. ऐसा भी नहीं कि इन
घोषणाओं से खजाना खाली हो जाएगा, बल्कि अर्थ-व्यवस्था बेहतरी का इशारा कर रही है.
दो
हेक्टेयर से कम जोत वाले किसानों सालाना छह हजार रुपये की मदद देने की जो घोषणा की
गई है, उसे सार्वभौमिक न्यूनतम आय कार्यक्रम की शुरूआत मान सकते हैं. बेशक यह
चुनाव से जुड़ा है, पर इस अधिकार से सरकार को वंचित नहीं कर सकते. अलबत्ता पूछ सकते
हैं कि इसे लागू कैसे करेंगे? व्यावहारिक रूप से इन्हें लागू करने
में कोई दिक्कत नहीं आएगी. बल्कि आने वाले वर्षों में ये स्कीमें और ज्यादा बड़े
आकार में सामने आएंगी, क्योंकि अर्थ-व्यवस्था इन्हें सफलता से लागू करने की स्थिति
में है.
पिछले
साल जिस तरह से आयुष्मान भारत कार्यक्रम की घोषणा की गई थी, उसी तरह यह एक नई
अवधारणा है, जो समय के साथ विकसित होगी. ‘किसान सम्मान निधि’ से करीब 12 करोड़ छोटे किसानों का भला होगा. इन्हीं परिवारों को उज्ज्वला,
सौभाग्य और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं का लाभ मिलेगा. यह स्कीम 1 दिसम्बर 2018 से
लागू हो रही है. यानी कि इसकी पहली किस्त चुनाव के पहले किसानों को मिल भी जाएगी.