Wednesday, October 19, 2016

चीनी मीडिया : व्यापार असंतुलन पर भारत को भौंकने दो

चीन के सरकारी अंग्रेजी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' के कुछ लेखों ने भारत में पाठकों का ध्यान खींचा है। इस हफ्ते यह तीसरा लेख है जिसपर मेरा ध्यान गया है। इसके लेखक गौरव त्यागी हैं जो भारतीय मूल के हैं, जो चीन में ही रहते हैं। उनके बारे में मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है, पर उनके लेख की टोन बताती है कि वे चीन को व्यापारिक परामर्श दे रहे हैं। इसका शीर्षक है 'चीनी कम्पनियों को भारत में निवेश करने के बजाय आंतरिक साधनों पर ध्यान देना चाहिए।'  यह  लेख 18 अक्तूबर को प्रकाशित हुआ है।इसमें 'भारतीय अधिकारियों को भौंकने दो' जैसे शब्द संदोह पैदा करते हैं। हैरत होती है कि इतना सतही किस्म का लेख इस तरह की भाषा के साथ चीन के राष्ट्रीय मीडिया में जगह बनाए। हो सकता है कि यह वास्तव में किसी भारतीय ने लिखा हो, पर मुझे संदेह है। इस लेख में गहराई नहीं है और सतही सी जानकारी या खामखयाली पर आधारित लगता है। फिर भी इसे पढ़िए। इससे यह जरूर समझ में आता है कि विदेशी पाठकों को सम्बोधित करने वाले चीन के सरकारी मीडिया का रुख क्या है और क्यों है। लेख के मुख्य अंशों का हिन्दी अनुवाद नीचे पेश हैः-

हाल में भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया में चीनी उत्पादों के बॉयकॉट की बातें काफी प्रकाशित हुई हैं, पर मुझपर यकीन कीजिए मुझे भारतीय समझ से वाकिफ हूँ। यह सिर्फ लफ्फाजी है। कई वजह से भारतीय उत्पाद, चीनी माल से टक्कर नहीं ले सकते।

एक बात साफ है कि भारत इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में पिछड़ा है। पूरे देश को जोड़ने के लिए अब भी  सड़कों और राजमार्गों की जरूरत है। भारत बिजली और पानी की भारी किल्लत है। सबसे खराब यह कि देश के हरेक सरकारी विभाग में ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार भरा पड़ा है। देश के राजनेता बजाय चीन से रिश्ते बेहतर करने के पश्चिमी देशों पर निहाल हो रहे हैं। अमेरिका किसी का दोस्त नहीं है। चूंकि अमेरिका को चीन के विकास और उसके वैश्विक शक्ति बनने से ईर्ष्या है, इसलिए वह भारत को इस्तेमाल कर रहा है।

चीनी लेखक के अनुसार मोदी ने भारत को सक्रिय किया

India uses BRICS to outmaneuver Pakistan
By Shi Lancha Source:Global Times Published: 2016/10/18 21:13:39

Over the weekend, the 8th BRICS summit was held in the Indian seaside resort state Goa. The leaders of Brazil, Russia, India, China and South Africa met to discuss issues ranging from regional security, to financial infrastructure, to global economic and financial governance. India, which assumed BRICS chairmanship on February 15 this year, hosted the summit with the core theme "building responsive, inclusive and collective solutions."

During the summit, India presented itself as a bright spot in a bloc whose other members have been buffeted by economic headwinds to varying degrees. With a GDP growth rate of 7.5 percent in 2015 against a rather gloomy global backdrop, India has replaced China as the world's fastest-growing large economy.

Only three years ago, India was still labeled as one of the "RIBS," whose feeble and volatile growth contrasted sharply to China's robust performance. Nowadays, the Russian and Brazilian economies have deteriorated into recession, South Africa struggles to avoid the same fate, and China's decades-long economic boom has geared down. But India finds confidence in talking about economic matters. After all, the setbacks undergone by its fellow countries made India's recent economic achievements shine even brighter in comparison.

Although India's domestic reforms have only made limited inroads in key areas such as land acquisition and labor regulation, an aspirant Modi equipped with newly gained confidence on India's growth prospects has clearly made the country more proactive. For India, this BRICS summit has been a wonderful platform to coordinate efforts in reforming current global economic and finance governance.

ग्लोबल टाइम्स : भारतीय बॉयकॉट से चीनी सामान पर फर्क नहीं पड़ा

India boycott hasn’t hurt China goods
By Zhen Bo Source:Global Times Published: 2016-10-13 19:28:39
 
Diwali, one of the most important Hindu festivals and one of the biggest shopping seasons in India, is coming at the end of October, but encouragement to boycott Chinese goods has been spreading in the last few days on Indian social media, and even a few Indian politicians are exaggerating facts.

Chinese products are often the victim when regional situations get tense, and this phenomenon has been existing for quite a few years.

There have been at least two prominent Indian boycotts of Chinese goods in the past few months.

The first happened in April. It was caused by dissatisfaction over China's stand on the issue of Maulana Masood Azhar, leader of the militant group Jaish-e-Mohammed active in Kashmir, who is accused of committing terrorist acts in India. The second was in July and because of China's lack of support for India's bid to join the Nuclear Suppliers Group.

Now Chinese goods are on the stage again due to the Kashmir issue.

विधि आयोग की प्रश्नावली

विधि आयोग ने समान सिविल कोड से जुड़े मामलों पर जो प्रश्ननावली जारी की है उसे यदि आप पढ़ना चाहते हैं तो वह यहाँ पेश है। इस प्रश्नावली को लेकर भी बहस शुरू हो गई है। यानी कि क्या यह प्रश्नावली खुद में पूर्वग्रही है? या क्या यह दूसरे जरूरी सवालों को नहीं उठा रही है? इस बहस को भी मैं पाठकों के सामने रखना चाहूँगा। पर उसके पहले इस प्रश्नावली को पढ़ें।







इस बहस को भी देखें
NDTV
 https://www.youtube.com/watch?time_continue=1192&v=jB4gArF8Iuk

https://www.youtube.com/watch?v=vYmQPdQx5_A

https://www.youtube.com/watch?v=arWMtHckv2E

ABP News
https://www.youtube.com/watch?v=3bH5mlWmlKU
https://www.youtube.com/watch?v=ewAcaCbhjmk

Tuesday, October 18, 2016

पाकिस्तान अलग-थलग नहीं पड़ा

डीएनए में मंजुल का कार्टून। मोदी- आतंक का मदरशिप। शी-बहुत आकर्षक।
एलओसी पर भारत के सर्जिकल स्ट्राइक्स से देश के भीतर मोदी सरकार को राजनीतिक रूप से ताकत मिली है। हालांकि इसके राजनीतिक दोहन की भाजपा विरोधियों ने निन्दा की है, पर वे सरकार को इसका श्रेय लेने से रोक भी नहीं सकते। बावजूद इसके पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय राजनय में अलग-थलग करने की मोदी सरकार की कोशिशों को उस हद तक सफलता भी नहीं मिली है, जितना दावा किया जा रहा है।

नरेन्द्र मोदी को ब्रिक्स देशों के गोवा में हुए सम्मेलन में पाकिस्तान के खिलाफ आवाज बुलंद करने का मौका मिला भी। उन्होंने कहा कि हमारा पड़ोसी आतंकवाद की जन्मभूमि है। दुनिया भर के आतंकवाद के मॉड्यूल इसी (पाकिस्तान) से जुड़े हैं। वह आतंकियों को पनाह देता है और आतंकवाद की सोच को भी बढ़ावा देता है। उन्होंने पाकिस्तान को आतंक का 'मदर-शिप' बताया। उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिक्स को इस खतरे के खिलाफ एक सुर में बोलना चाहिए।

मोदी की इस अपील के बावजूद चीन और रूस ने जो रुख अपनाया, उससे हमें निष्कर्ष निकालना चाहिए कि ये देश हमारी समस्या को अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का हिस्सा नहीं मानते है। इतना ही नहीं चीन ने गोवा सम्मेलन के दौरान और उसके बाद साफ-साफ पाकिस्तान के समर्थन में बयान दिए। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने मोदी के बयान के बाद कहा, “We should also address issues on the ground with concrete efforts and a multi-pronged approach that addresses both symptoms and root causes.” यह पाकिस्तान का नजरिया है कि कश्मीर की मूल समस्या का समाधान किए बगैर आतंकवाद की समस्या का समाधान सम्भव नहीं है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अपने वक्तव्य में आतंकवाद का जिक्र भी नहीं किया।

ब्रिक्स 109 पैराग्राफ के गोवा घोषणापत्र में उड़ी में हमले का नाम लिए बगैर सामान्य सा हवाला दिया गया। दस्तावेज में आतंकवादी गिरोहों के नाम पर ISIL और Jabhat Al-Nursra के नाम हैं, पर लश्करे तैयबा और जैशे मोहम्मद के नाम नहीं हैं। इसपर भारत के आर्थिक मामलों के विदेश सचिव अमर सिन्हा का कहना था कि दोनों पाकिस्तानी संगठन भारत के विरुद्ध केन्द्रित हैं, हम इन संगठनों के नाम जुड़वाने में कामयाब नहीं हो पाए।