Tuesday, December 30, 2014

‘छवि’ की राजनीति से घिरी कांग्रेस

कांग्रेस के लिए आने वाला साल चुनौतियों से भरा है। चुनौतियाँ बचे-खुचे राज्यों में इज्जत बचाए रखने और अपने संगठनात्मक चुनावों को सम्पन्न कराने की हैं। साथ ही पार्टी के भीतर सम्भावित बगावतों से निपटने की भी। पर उससे बड़ी चुनौती पार्टी के वैचारिक आधार को बचाए रखने की है। इस हफ्ते अचानक खबर आई कि राहुल गांधी ने पार्टी के महासचिवों से कहा है कि वे कार्यकर्ताओं से सम्पर्क करके पता करें कि क्या हमारी छवि हिन्दू विरोधी पार्टी के रूप में देखी जा रही है। लगता है कि राहुल का आशय केवल हिन्दू विरोधी छवि के सिलसिले में पता लगाना ही नहीं है, बल्कि पार्टी की सामान्य छवि को समझने का है। राहुल ने यह काम देर से शुरू किया है। खासतौर से पराजय के बाद किया है। इसके खतरे भी हैं। पिछले तीनेक दशक में कांग्रेस संगठन हाईकमान-मुखी हो गया है। कार्यकर्ता जानना चाहता है कि हाईकमान का सोच क्या है। पार्टी के भीतर नीचे से ऊपर की ओर विचार-विमर्श की कोई पद्धति नहीं है। यह दोष केवल कांग्रेस का दोष नहीं है। भारतीय जनता पार्टी से लेकर जनता परिवार से जुड़ी सभी पार्टियों में यह कमी दिखाई देगी। आम आदमी पार्टी ने इस दोष को रेखांकित करते हुए ही नए किस्म की राजनीति शुरू की थी, पर कमोबेश वह भी इसकी शिकार हो गई।

Monday, December 29, 2014

रक्षा और तकनीक की चुनौतियाँ

विज्ञान, तकनीक और खासतौर से रक्षा तकनीक के मामलों में हमें सन 2015 में काफी उम्मीदें हैं। पिछले साल की शुरूआत भारत के मंगलयान के प्रक्षेपण की खबरों से हुई थी। सितम्बर में मंगलयान अपने गंतव्य तक पहुँच गया। साल का अंत होते-होते दिसम्बर जीएसएलवी मार्क-3 की सफल उड़ान के बाद भारत ने अंतरिक्ष में समानव उड़ान का एक महत्वपूर्ण चरण पूरा कर लिया है। अंतरिक्ष में भारत अपने चंद्रयान-2 कार्यक्रम को अंतिम रूप दे रहा है। साथ ही शुक्र और सूर्य की ओर भारत के अंतरिक्ष यान उड़ान भरने की तैयारी कर रहे हैं। एक अरसे से रक्षा के क्षेत्र में हमें निराशाजनक खबरें सुनने को मिलती रही हैं। पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह की तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखी गई चिट्ठी के लीक होने के बाद इस आशय की खबरें मीडिया में आईं कि सेना के पास पर्याप्त सामग्री नहीं है।

रक्षा से जुड़े अनेक फैसलों का कार्यान्वयन रुका रहा। युद्धक विमान तेजस, अर्जुन टैंक और 155 मिमी की संवर्धित तोप के विकास में देरी हो रही है। मोदी सरकार के सामने रक्षा तंत्र को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी है। कई प्रकार की शस्त्र प्रणालियाँ पुरानी पड़ चुकी हैं। मीडियम मल्टी रोल लड़ाकू विमानों के सौदे को अंतिम रूप देना है। सन 2011 में भारत ने तय किया था कि हम फ्रांसीसी विमान रफेल खरीदेंगे और उसका देश में उत्पादन भी करेंगे। वह समझौता अभी तक लटका हुआ है। तीनों सेनाओं के लिए कई प्रकार के हेलिकॉप्टरों की खरीद अटकी पड़ी है। विक्रमादित्य की कोटि के दूसरे विमानवाहक पोत के काम में तेजी लाने की जरूरत है। अरिहंत श्रेणी की परमाणु शक्ति चालित पनडुब्बी को पूरी तरह सक्रिय होना है। इसके साथ दो और पनडुब्बियों के निर्माण कार्य में तेजी लाने की जरूरत है।

Sunday, December 28, 2014

हिन्दू विरोधी नहीं उलझनों भरी पार्टी है कांग्रेस

'हिंदू विरोधी’ छवि कांग्रेस के पतन का कारण ?

  • 1 घंटा पहले
राहुल गांधी, सोनिया गांधी, कांग्रेस
लोकसभा चुनावों में हार के बाद विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे कांग्रेस पार्टी के लिए निराशाजनक रहे हैं.
मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार पार्टी अपनी 'बिगड़ती छवि' पर चिंतन करने के मूड में है. वहीं यह भी कहा गया कि एक के बाद एक हार मिलने की वजह है पार्टी की 'हिंदू विरोधी' छवि.
हालांकि कांग्रेस के बारे में ऐसे बयान नए नहीं हैं.
लेकिन पार्टी की लोकप्रियता में कमी के कारण शायद कुछ और हैं, जिन्हें समझने के लिए ज़रूरी आत्ममंथन से पार्टी शायद गुज़रना नहीं चाहती?

पढ़ें, लेख विस्तार से

राहुल गांधी, कांग्रेस
कांग्रेस क्या वास्तव में अपनी बिगड़ती छवि से परेशान है? या इस बात से कि उसकी छवि बिगाड़कर ‘हिंदू विरोधी’ बताने की कोशिश की जा रही हैं?
इससे भी बड़ा सवाल यह है कि वह अपनी बदहाली के कारणों को समझना भी चाहती है या नहीं?
छवि वाली बात कांग्रेस के आत्ममंथन से निकली है. पर क्या वह स्वस्थ आत्ममंथन करने की स्थिति में है? आंतरिक रूप से कमज़ोर संगठन का आत्ममंथन उसके संकट को बढ़ा भी सकता है.
अस्वस्थ पार्टी स्वस्थ आत्ममंथन नहीं कर सकती. कांग्रेस लम्बे अरसे से इसकी आदी नहीं है. इसे पार्टी की प्रचार मशीनरी की विफलता भी मान सकते हैं. और यह भी कि वह राजनीति की ‘सोशल इंजीनियरिंग’ में फेल हो रही है.

आरोप नया नहीं

सोनिया गांधी, कांग्रेस
यह मामला केवल ‘हिंदू विरोधी छवि’ तक सीमित नहीं है.
पचास के दशक में जब हिंदू कोड बिल पास हुए थे, तबसे कांग्रेस पर हिंदू विरोधी होने के आरोप लगते रहे हैं पर कांग्रेस की लोकप्रियता में तब कमी नहीं आई.
साठ के दशक में गोहत्या विरोधी आंदोलन भी उसे हिंदू विरोधी साबित नहीं कर सका.
वस्तुतः इसे कांग्रेस के नेतृत्व, संगठन और विचारधारा के संकट के रूप में देखा जाना चाहिए. एक मोर्चे पर विफल रहने के कारण पार्टी दूसरे मोर्चे पर घिर गई है.
कांग्रेस की रणनीति यदि सांप्रदायिकता विरोध और धर्मनिरपेक्षता की है, तो वह उसे साबित करने में विफल रही.

Ironies of INDIA हमारी विसंगतियाँ

A policeman makes us nervous rather than feeling safe

A boy writes a brilliant 1500 words essay in IAS exam on how Dowry is a social evil. One year later He demands a dowry of 1 crore.

We are obsessed with screen guards on our smartphones but don't wear helmet riding bikes.


We teach 'Not to Get Raped', rather 'Don't Rape' !

Worst movies earn most.

A porn-star is accepted as celebrity, but a rape victim is not accepted as a normal human being.

इधर-उधऱ से जोड़ी गई कुछ और सामग्री



Saturday, December 27, 2014

मोदी के अलोकप्रिय होने का इंतज़ार करती कांग्रेस

सन 2014 कांग्रेस के लिए खौफनाक यादें छोड़ कर जा रहा है। इस साल पार्टी ने केवल लोकसभा चुनाव में ही भारी हार का सामना नहीं किया, बल्कि आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, हरियाणा, महाराष्ट्र, सिक्किम के बाद अब जम्मू-कश्मीर और झारखंड विधान सभाओं में पिटाई झेली है। यह सिलसिला पिछले साल से जारी है। पिछले साल के अंत में उसे राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीस गढ़ और दिल्ली में यह हार गले पड़ी थी। हाल के वर्षों में उसे केवल कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में सफलता मिली है। आंध्र के वोटर ने तो उसे बहुत बड़ी सज़ा दी। प्रदेश की विधान सभा में उसका एक भी सदस्य नहीं है। चुनाव के ठीक पहले तक उसकी सरकार थी। कांग्रेस ने सन 2004 में दिल्ली में सरकार बनाने की जल्दबाज़ी में तेलंगाना राज्य की स्थापना का संकल्प ले लिया था। उसका दुष्परिणाम उसके सामने है।