सेकंडों में सुपर स्टार बनाने वाला जादू
लुधियाना के रविन्दर रवि साधारण पेंटर थे। घरों में पेंटिंग करके कमाई करते थे। खाली वक्त में गाना उसका शौक था। 17 अगस्त 2004 को सुबह साढ़े दस बजे लुधियाना से दिल्ली आने वाली बस का टिकट खरीदने के लिए उन्हें 300 रु उधार लेने पड़े थे। दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में इंडियन आयडल का ऑडीशन था। रविन्दर को इंडियन आयडल में जगह मिली। जब यह शो शुरू हुआ तब उनकी कहानी सुनने के बाद जनता की हमदर्दी ने इस प्रतियोगिता में काफी दूर तक पहुँचा दिया। अब वे प्रतिष्ठित गायक हैं।
मध्य प्रदेश के पन्ना जिले की अजयगढ़ तहसील के महेन्द्र सिंह राठौर साधारण परिवार से आते हैं। वे जब बोलते हैं तो कभी-कभी हकला जाते हैं। यह कंठ-दोष उनकी निराशा का कारण बन गया। नौकरी की लिखित प्रतियोगिताओं में बार-बार सफल होने के बावज़ूद उन्हें इंटरव्यू में बाहर कर दिया जाता। आखिर उन्हें कांट्रैक्ट टीचर की नौकरी मिली। वह भी इसलिए कि उसमे लिखित परीक्षा थी, इंटरव्यू नहीं। ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के ताज़ा दौर में इसी 3 नवम्बर को जैसे ही फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट में नाम घोषित हुआ उन्होंने हवा में उसी तरह मुक्का घुमाया जैसे खेल-चैम्पियन घुमाते हैं। दौड़ते हुए उन्होंने अमिताभ बच्चन को गोदी में उठा लिया, ‘सर जी बहुत इंतज़ार कराया आपने।‘ महेन्द्र सिंह ने बताया कि ज़िन्दगी के हर मोड़ पर मैं हारता आया हूँ। पिछले ग्यारह साल से वे इस कार्यक्रम में शामिल होने की कोशिश कर रहे हैं। इधर तो अपने मोबाइल फोन को हर रोज एक हजार रुपए से रिचार्ज करा रहे थे, वह भी उधारी पर। उनका दावा है कि आपके पास इतनी कॉल कहीं से नहीं आई होंगी। महेन्द्र सिंह के साथ सैट पर मौज़ूद तमाम लोगों की आँखों में आँसू थे।
लुधियाना के रविन्दर रवि साधारण पेंटर थे। घरों में पेंटिंग करके कमाई करते थे। खाली वक्त में गाना उसका शौक था। 17 अगस्त 2004 को सुबह साढ़े दस बजे लुधियाना से दिल्ली आने वाली बस का टिकट खरीदने के लिए उन्हें 300 रु उधार लेने पड़े थे। दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में इंडियन आयडल का ऑडीशन था। रविन्दर को इंडियन आयडल में जगह मिली। जब यह शो शुरू हुआ तब उनकी कहानी सुनने के बाद जनता की हमदर्दी ने इस प्रतियोगिता में काफी दूर तक पहुँचा दिया। अब वे प्रतिष्ठित गायक हैं।
मध्य प्रदेश के पन्ना जिले की अजयगढ़ तहसील के महेन्द्र सिंह राठौर साधारण परिवार से आते हैं। वे जब बोलते हैं तो कभी-कभी हकला जाते हैं। यह कंठ-दोष उनकी निराशा का कारण बन गया। नौकरी की लिखित प्रतियोगिताओं में बार-बार सफल होने के बावज़ूद उन्हें इंटरव्यू में बाहर कर दिया जाता। आखिर उन्हें कांट्रैक्ट टीचर की नौकरी मिली। वह भी इसलिए कि उसमे लिखित परीक्षा थी, इंटरव्यू नहीं। ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के ताज़ा दौर में इसी 3 नवम्बर को जैसे ही फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट में नाम घोषित हुआ उन्होंने हवा में उसी तरह मुक्का घुमाया जैसे खेल-चैम्पियन घुमाते हैं। दौड़ते हुए उन्होंने अमिताभ बच्चन को गोदी में उठा लिया, ‘सर जी बहुत इंतज़ार कराया आपने।‘ महेन्द्र सिंह ने बताया कि ज़िन्दगी के हर मोड़ पर मैं हारता आया हूँ। पिछले ग्यारह साल से वे इस कार्यक्रम में शामिल होने की कोशिश कर रहे हैं। इधर तो अपने मोबाइल फोन को हर रोज एक हजार रुपए से रिचार्ज करा रहे थे, वह भी उधारी पर। उनका दावा है कि आपके पास इतनी कॉल कहीं से नहीं आई होंगी। महेन्द्र सिंह के साथ सैट पर मौज़ूद तमाम लोगों की आँखों में आँसू थे।