उत्तर प्रदेश विधान सभा में प्रदेश को चार हिस्सों में बाँटने वाला प्रस्ताव आनन-फानन पास तो हो गया, पर इससे विभाजन की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। अलबत्ता यह बात ज़रूर कही जा सकती है कि यह इतना महत्वपूर्ण मामला है तो इस पर बहस क्यों नहीं हुई? सरकार ने साढ़े चार साल तक इंतज़ार क्यों किया? इस प्रस्ताव के पास होने मात्र से उत्तर प्रदेश का चुनाव परिदृश्य बदल जाएगा ऐसा नहीं मानना चाहिए।
और मुगल राज किसी न किसी रूप में इस ज़मीन से होकर गुजरा था। वाराणसी, अयोध्या, मथुरा, इलाहाबाद, मेरठ, अलीगढ़, गोरखपुर, लखनऊ, आगरा, कानपुर, बरेली जैसे शहरों का देश में ही नहीं दुनिया के प्राचीनतम शहरों में शुमार होता है। सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर 1947 की आज़ादी तक उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय आंदोलनों में सबसे आगे होता था। वैदिक, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों के अनेक पवित्र स्थल उत्तर प्रदेश में हैं। सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से यह भारत का हृदय प्रदेश है।