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Sunday, August 29, 2010

मुकाबला है भारत और चीन का

अचानक भारत और चीन को लेकर भारतीय मीडिया में सरगर्मी दिखाई पड़ रही है। शनिवार को इंडियन एक्सप्रेस ने अमेरिका के संटर फॉर इंरनेशनल पॉलिसी के डायरेक्टर सैलिग एस हैरिसन का न्यूयॉर्क टाइम्स में प्राशित लेख छापा। इसमें बताया गया है कि पाकिस्तान अपने अधीन कश्मीर में चीनी सेना के लिए जगह बना रहा है। चीन के सात हजार से ग्यारह हजार फौजी वहाँ तैनात हैं। इस इलाके में सड़कें और सुरंगें बन रहीं हैं, जहाँ पाकिस्तानियों का प्रवेश भी प्रतिबंधित है। यह बात आज देश के दूसरे अखबारों में प्रमुखता से छपी है।

चीन इस इलाके पर अपनी पकड़ चाहता है। समुद्री रास्ते से पाकिस्तान के ग्वादार नौसैनिक बेस तक चीनी पोत आने में 16 से 25 दिन लगते हैं। कश्मीर के गिलगित इलाके से सड़क बन जाएगी तो यह रास्ता सिर्फ 48 घंटे का रह जाएगा। हैरिसन के अनुसार चीन 22 सुरंगें बना रहा है। इसके अलावा रेल लाइन भी बिछाई जा रही है। चीनी सेना के लिए स्थायी आवास बनाए गए हैं।

यह लेख अमेरिका के नीति निर्धारकों का ध्यान इस ओर खीचने के लिए है कि चीन ने न सिर्फ कश्मीर में बल्कि इस पूरे इलाके में अपनी पहुँच बना ली है। यह भी कि पाकिस्तान अमेरिका को नहीं चीन को अपना दोस्त मानता है। पश्चिमी मीडिया भारत अधिकृत कश्मीर में जन-आंदोलनों को दबाले की खबरें तो छापता है, पर कश्मीर के गिलगित और बल्तिस्तान क्षेत्र में जन-आंदोलनों को कुचलने की खबरें नहीं आतीं।

हाल में भारत के लेफ्टिनेंट जनरल बीएस जसवाल को चीनी वीज़ा न मिलने पर विवाद चल ही रहा ता कि यह खबर आ गई। आज इंडियन एक्सप्रेस ने चीन के पीपुल्स डेली की वैबसाइट के पीपुल्स फोरम के कुछ डिस्कशन का हवाला देकर खबर छापी है। इनमें भारत पर चीन के सम्भावित हमले को लेकर एक वोटिंग भी है। इनका परिणाम क्या होगा, यह अभी कहना मुश्किल है, पर कुछ बात है ज़रूर।

हाल में भारतीय मीडिया में इकॉनॉमिस्ट के एक लेख की चर्चा थी जिसमे भारत को कछुआ और चीन को खरगोश का रूपक दिया गया था।इकोनॉमिस्ट ने इनके बीच की जोर-आज़माइश को  कॉण्टेस्ट ऑफ द सेंचुरी घोषित किया है।  इसपर टेलिग्राफ में पीटर फोस्टर का लेख छपा है। इसे पीपुल्स डेली के फोरम ने उद्धृत करके बहस चलाई है। पीटर फोस्टर ने लिखा है कि चीन के मीडिया में भारत को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता, जबकि भारत में चीन को बहुत ज्यादा महत्व दिया जाता है। पीटर फोस्टर इन दिनों पेइचिंग में तैनात हैं। इसके पहले वे दिल्ली में रह चुके हैं। वे दोनों देशों के माहौल को बेहतर जानते हैं। बहरहाल दोनों देशों की सभ्यताएं हजारों साल पुरानी हैं। इसमें दोस्ती भी है और प्रतिद्वंदिता भी।