भारत और चीन के रिश्ते हजारों साल पुराने हैं, पर उतने अच्छे नहीं हैं, जितने हो सकते थे। आजादी के बाद भारत का लोकतांत्रिक अनुभव अच्छा नहीं रहा। व्यवस्था पर स्वार्थी लोग हावी हो गए। इससे पूरे सिस्टम की कमज़ोर छवि बनी। पर यह होना ही था। जब तक हमारे सारे अंतर्विरोध सामने नहीं आएंगे तब तक उनका उपचार कैसे होगा।
चीन के बरक्स तिब्बत के मसले पर हमने शुरू से गलत नीति अपनाई। तिब्बत किसी लिहाज से चीन देश नहीं है। चीन आज कश्मीर को विवादित क्षेत्र मानता है, क्योंकि पाकिस्तानी तर्क उसे विवादित मानता है। पर तिब्बत के मामले में सिर्फ तकनीकी आधार पर उसने कब्जा कर लिया और सारी दुनिया देखती रह गई। तिब्बत के पास अपनी सेना होती तो क्या वह आज चीन के अधीन होता। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ज्यादा से ज्यादा उसे विवादित क्षेत्र मानता जैसा पाकिस्तानी हमलावरों के कारण कश्मीर बना दिया गया है।
भारत को चीन से दोस्ती रखनी चाहिए। यह हमारे और चीन दोनों के हित में है, पर यह भी ध्यान रखना चाहिए कि सामरिक कारणों से हमारा प्रतिस्पर्धी है। वह पाकिस्तान का सबसे अच्छा दोस्त है। और हमेशा रहेगा। तमाम देश खुफिया काम करते हैं। चीन के सारे काम खुफिया होते हैं। उसने और उत्तरी कोरिया ने पाकिस्तान के एटमी और मिसाइल प्रोग्राम में मदद की है। यह भारत-विरोधी काम है। भारत जैसे विशाल देश के समाज में अंतर्विरोध भी चीनी विशेषज्ञों ने खोज लिए हैं। यह भी पाकिस्तानी समझ है। चीन की भारत-नीति में पाकिस्तानी तत्व हमेशा मिलेगा।
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Thursday, September 9, 2010
Wednesday, July 21, 2010
अफगानिस्तान में विश्व समुदाय
राष्ट्रपति हामिद करज़ाई को विश्वास है कि सन 2014 तक अफगानिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था इतनी दुरुस्त हो जाएगी कि वह पूरे देश का जिम्मा ले सके। आज अमेरिका और नाटो देशों की फौजें यह काम कर रहीं हैं। बावजूद इसके आए दिन विस्फोट हो रहे हैं। मंगलवार को काबुल सम्मेलन के दिन भी हुए। जबकि उस रोज सेना ने समूचे देश को तकरीबन बंद कर दिया था। काबुल सम्मेलन ने करज़ाई को मज़बूती देने का समर्थन किया है जो स्वाभाविक है।
करज़ाई यह भी चाहते हैं कि देश के विकास के लिए जो रकम आ रही है उसका ज्यादा से ज्यादा हिस्सा उनके मार्फत खर्च हो। अभी तकरीबन 20 फीसद उन्हें मिलता है बाकी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के मार्फत खर्च होता है। करजाई सरकार को सबसे पहले भ्रष्टाचार कम करना चाहिए। सरकारी मशीनरी के भ्रष्ट होने के कारण जनता का उस पर विश्वास नहीं है।
यह ज़रूरी है कि अफगानिस्तान की सरकार न सिर्फ सुरक्षा बल्कि पूरे देश के विकास की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले। अफगानिस्तान को लम्बे अर्से तक अंतरराष्ट्रीय निगरानी में नहीं रखा जा सकता। पर पूरा देश जिस तरह की अराजकता का शिकार है उसे बड़ी से बड़ी विदेशी सेना भी नहीं सम्हाल सकती। यहाँ तालिबान को पाकिस्तानी सेना लाई थी। अल-कायदा को भी वही लाई। पूरे समाज को मध्य युगीन माहौल में पटक दिया गया है। यहाँ शिक्षा, स्वास्थ्य और कुशल नागरिक प्रशासन की ज़रूरत है। उसके लिए एक ओर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था चाहिए और दूसरी ओर आधुनिक सामाजिक-विमर्श की ज़रूरत है।
हिलेरी क्लिंटन को आज भी लगता है कि बिन लादेन पाकिस्तान में है और इस बात की जानकारी पाकिस्तानी सरकार में किसी न किसी को है। इतना साफ है कि पाकिस्तानी व्यवस्था पर भरोसा नहीं किया जा सकता। सिर्फ पाकिस्तान के कारण दक्षिण एशिया में माहौल बिगड़ा हुआ है। पाकिस्तान में लोकतंत्र की स्थापना और सिविल सोसायटी के मजबूत होने पर ही बेहतर परिणाम आ सकेंगे। ऐसा होने के बजाय प्रतिगामी ताकतें बीच-बीच में सिर उठा रहीं हैं।
अफगानिस्तान में बेहतर परिणाम के लिए भारत को भी शामिल किया जाना चाहिए, पर पाकिस्तान बजाय भारत के चीन को यहाँ लाना चाहता है। यह नज़रिया हालात को बेहतर करने के बज़ाय बिगाड़ेगा।
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करज़ाई यह भी चाहते हैं कि देश के विकास के लिए जो रकम आ रही है उसका ज्यादा से ज्यादा हिस्सा उनके मार्फत खर्च हो। अभी तकरीबन 20 फीसद उन्हें मिलता है बाकी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के मार्फत खर्च होता है। करजाई सरकार को सबसे पहले भ्रष्टाचार कम करना चाहिए। सरकारी मशीनरी के भ्रष्ट होने के कारण जनता का उस पर विश्वास नहीं है।
यह ज़रूरी है कि अफगानिस्तान की सरकार न सिर्फ सुरक्षा बल्कि पूरे देश के विकास की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले। अफगानिस्तान को लम्बे अर्से तक अंतरराष्ट्रीय निगरानी में नहीं रखा जा सकता। पर पूरा देश जिस तरह की अराजकता का शिकार है उसे बड़ी से बड़ी विदेशी सेना भी नहीं सम्हाल सकती। यहाँ तालिबान को पाकिस्तानी सेना लाई थी। अल-कायदा को भी वही लाई। पूरे समाज को मध्य युगीन माहौल में पटक दिया गया है। यहाँ शिक्षा, स्वास्थ्य और कुशल नागरिक प्रशासन की ज़रूरत है। उसके लिए एक ओर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था चाहिए और दूसरी ओर आधुनिक सामाजिक-विमर्श की ज़रूरत है।
हिलेरी क्लिंटन को आज भी लगता है कि बिन लादेन पाकिस्तान में है और इस बात की जानकारी पाकिस्तानी सरकार में किसी न किसी को है। इतना साफ है कि पाकिस्तानी व्यवस्था पर भरोसा नहीं किया जा सकता। सिर्फ पाकिस्तान के कारण दक्षिण एशिया में माहौल बिगड़ा हुआ है। पाकिस्तान में लोकतंत्र की स्थापना और सिविल सोसायटी के मजबूत होने पर ही बेहतर परिणाम आ सकेंगे। ऐसा होने के बजाय प्रतिगामी ताकतें बीच-बीच में सिर उठा रहीं हैं।
अफगानिस्तान में बेहतर परिणाम के लिए भारत को भी शामिल किया जाना चाहिए, पर पाकिस्तान बजाय भारत के चीन को यहाँ लाना चाहता है। यह नज़रिया हालात को बेहतर करने के बज़ाय बिगाड़ेगा।
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Tuesday, July 20, 2010
पाक सुप्रीमकोर्ट में संविधान उछाला
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में 17 सदस्यों के बेंच के सामने याचिका दायर करने वाले व्यक्ति ने कहा, मैं चाहता हूँ कि देश के संविधान के ऊपर कुरान शरीफ हो। ऐसा कहने के बाद उस व्यक्ति ने संविधान की प्रति अदालत में उछाल दी जो फर्श पर जाकर गिरी।
ऐसा करते हुए बेशक उस व्यक्ति ने अपनी धार्मिक आस्था को व्यक्त किया जो कहीं से अनुचित नहीं था। पाकिस्तान में धार्मिक नियमों को पूरी तरह लागू करने की माँग लम्बे अरसे से चली आ रही है। पर सिविल कानून के प्रति ऐसी उपेक्षा का भाव सदमा पहुँचाता है। हालांकि उस व्यक्ति ने बाद में माफी माँग ली, पर क्या इतना काफी है?
इस्लाम के पास एक पूर्ण राजनैतिक और न्यायिक व्यवस्था है, फिर भी अनेक मुस्लिम देशों ने संविधान बनाए हैं। राज-व्यवस्था समय के साथ बदलाव भी माँगती है। देखते हैं कि इस घटना पर पाकिस्तान में क्या प्रतिक्रिया होती है।
ऐसा करते हुए बेशक उस व्यक्ति ने अपनी धार्मिक आस्था को व्यक्त किया जो कहीं से अनुचित नहीं था। पाकिस्तान में धार्मिक नियमों को पूरी तरह लागू करने की माँग लम्बे अरसे से चली आ रही है। पर सिविल कानून के प्रति ऐसी उपेक्षा का भाव सदमा पहुँचाता है। हालांकि उस व्यक्ति ने बाद में माफी माँग ली, पर क्या इतना काफी है?
इस्लाम के पास एक पूर्ण राजनैतिक और न्यायिक व्यवस्था है, फिर भी अनेक मुस्लिम देशों ने संविधान बनाए हैं। राज-व्यवस्था समय के साथ बदलाव भी माँगती है। देखते हैं कि इस घटना पर पाकिस्तान में क्या प्रतिक्रिया होती है।
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