Monday, August 22, 2016

रियो ने कहा, बेटी को खिलाओ

रियो में भारत की स्त्री शक्ति ने खुद को साबित करके दिखाया. पीवी सिंधु, साक्षी मलिक, दीपा कर्मकार, विनेश फोगट और ललिता बाबर ने जो किया उसे देश याद रखेगा. सवाल जीत या हार का नहीं, उस जीवट का है, जो उन्होंने दिखाया. इसके पहले भी करणम मल्लेश्वरी, कुंजरानी देवी, मैरी कॉम, पीटी उषा, अंजु बॉबी जॉर्ज, सायना नेहवाल, सानिया मिर्जा, फोगट बहनें, टिंटू लूका, द्युति चंद, दीपिका कुमारी, लक्ष्मी रानी मांझी और बोम्बायला देवी इस जीवट को साबित करती रहीं हैं.  
इसबार ओलिम्पिक खेलों को लेकर हमारी अपेक्षाएं ज्यादा थीं. हमने इतिहास का सबसे बड़ा दस्ता भेजा था. उम्मीदें इतनी थीं कि न्यूज चैनलों ने पहले दिन से ही अपने पैकेजों पर गोल्ड रश शीर्षक लगा दिए थे. पहले-दूसरे दिन कुछ नहीं मिला तो तीसरे रोज लेखिका शोभा डे ने ट्वीट मारा जिसका हिन्दी में मतलब है, "ओलिम्पिक में भारत की टीम का लक्ष्य है-रियो जाओ, सेल्फी लो. खाली हाथ वापस आ जाओ. पैसा और मौके दोनों की बरबादी." इस ट्वीट ने एक बहस को जन्म दिया है, जो जारी है.

Sunday, August 21, 2016

क्या राष्ट्रीय बनेगा दलित प्रश्न?

गुजरात में 15 अगस्त को पूर्ण हुई दलित अस्मिता यात्रा ने राष्ट्रीय राजनीति में एक नई ताकत के उभरने का संकेत किया है। दलितों और मुसलमानों को एक मंच पर लाने की कोशिशें की जा रहीं है। राजनीति कहने पर हमारा पहला ध्यान वोट बैंक पर जाता है। गुजरात में दलित वोट लगभग 7 फीसदी है। इस लिहाज से यह गुजरात में तो बड़ी राजनीतिक ताकत नहीं बनेगी, पर राष्ट्रीय ताकत बन सकती है। बेशक इससे गुजरात के चुनाव पर असर पड़ेगा, पर फौरी तौर पर रैली का राष्ट्रीय निहितार्थ ज्यादा बड़ा है। 
इस ताकत को खड़ा करने के पहले कई किन्तु-परन्तु भी हैं। सच यह है कि सभी दबी-कुचली जातियाँ किसी एक मंच पर या किसी एक नेता के पीछे खड़ी नहीं होतीं। उनकी वर्गीय चेतना पर जातीय चेतना हावी रहती है। सभी जातियों के मसले एक जैसे नहीं हैं। प्रायः सभी दलित जातियाँ भूमिहीन हैं। उनकी समस्या रोजी-रोटी से जुड़ी है। दूसरी समस्या है उत्पीड़न और भेदभाव। जैसे मंदिर में प्रवेश पर रोक वगैरह। इन दोनों के समाधान पीछे रह जाते हैं और राजनीतिक दल इन्हें वोट बैंक से ज्यादा नहीं समझते।  

Sunday, August 14, 2016

सवाल उतने नहीं हैं, जवाब जितने हैं

आज़ादी के 69 साल 
बहुत कड़ा है सफर, साथ चलो
जिस समय देश 70 वाँ स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, उस समय दिल्ली पर कुछ नापाक इरादों की नजरें गड़ी हैं। हवा में अंदेशा तैर रहा है कि संदिग्ध आतंकी दिल्ली पुलिस और पैरा-मिलिट्री फोर्स को निशाना बना सकते हैं। हमारे स्वतंत्रता दिवस पर कुछ लोग काला दिन मना रहे हैं। उन्हें हमारी आज़ादी से शिकायत है। हमारे संविधान से नाराजगी है। वे भी आज़ादी की माँग कर रहे हैं। यह आज़ादी हमारे खिलाफ है। क्या अन्याय कर दिया हमने उनके साथ? यह बुनियादी मान्यताओं के बीच टकराव है। क्या हम जानते हैं कि हमारी बुनियादी मान्यताएं क्या हैं? और क्या हम उनके प्रतिबद्ध है?

Saturday, August 13, 2016

Q-F line-up of Olympic Hockey

Group stage

Teams are divided into two groups of six nations, playing every team in their group once. Three points are awarded for a victory, one for a draw. The top four teams per group qualify for the quarter-finals.

Group A

PosTeam PldWDLGFGAGDPtsQualification
1 Belgium (A)5401215+1612Quarter-finals
2 Spain (A)5311136+710
3 New Zealand (A)5212178+97
4 Australia (A)42024406
5 Great Britain (E)51221410+45
6 Brazil (H, E)4004137−360
Updated to match(es) played on 12 August 2016. Source: Rio2016
Rules for classification: 1) Points; 2) Goal difference; 3) Goals scored; 4) Head-to-head result.
(A) Advance to a further round; (E) Eliminated; (H) Host.

Group B

PosTeam PldWDLGFGAGDPtsQualification
1 Germany (A)54101710+713Quarter-finals
2 Netherlands (A)5311186+1210
3 Argentina (A)52211412+28
4 India (A)52129907
5 Ireland (E)51041016−63
6 Canada (E)5014722−151
Source: Rio2016
Rules for classification: 1) Points; 2) Goal difference; 3) Goals scored; 4) Head-to-head result.
(A) Advance to a further round; (E) Eliminated.

Knockout stage

 
Quarter-finalsSemi-finalsGold medal match
 
          
 
14 August
 
 
 Belgium
 
16 August
 
 India
 
 
 
14 August
 
 
 
 Netherlands
 
18 August
 
 New Zealand
 
 
 
14 August
 
 
 
 Spain
 
16 August
 
 Argentina
 
 
 
14 August
 
 Bronze medal match
 
 Germany
 
18 August
 
 Australia
 
 
 
 
 
 

Monday, August 8, 2016

डिफेंस मॉनिटर का ताजा अंक


डिफेंस मॉनिटर का ताजा अंक प्रकाशित हो गया है। यह अंक भारत के रक्षा उद्योग में निजी क्षेत्र की भागीदारी और पहली बार रक्षा सामग्री के निर्यात पर विशेष सामग्री के साथ सामने आ रहा है। इसके अलावा इसमें दक्षिण एशिया के बदलते परिदृश्य पर भी विशेष आलेख हैं। इस अंक की विशेष सामग्री का विवरण इस प्रकार है:-

रक्षा मंत्रालय को उद्योग जगत का समर्थन-जयंत डी पाटील
भारत-चीन के बीच सीमित युद्ध की आशंका-गुरमीत कँवल
रक्षा उद्योग में एफडीआई-बड़े अरमान से रखा है कदम-डॉ लक्ष्मण कुमार बेहरा
भारत की पाक नीति : निरंतरता और बदलाव की जरूरत-डॉ उमा सिंह
विमान दुर्घटनाएं : जाँच सजा के लिए नहीं, तथ्य जाँचने के लिए हो-एके चोपड़ा
अफगानिस्तान के राजदूत डॉ शैदा मोहम्मद अब्दाली से खास बातचीत
अन्य स्थायी स्तम्भों के साथ इस अंक में मझगाँव डॉक्स पर विशेष सामग्री है, जिससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि युद्ध पोत और पनडुब्बी निर्माण की तकनीक के साथ कितने बड़े सरंजाम की जरूरत होती है।

इस अंक में मेरा एक लेख बढ़ते भारत-चीन  गठजोड़ और कश्मीर के घाटी क्षेत्र में बदलते घटनाक्रम पर है, जिसे मैं नीचे भी दे रहा हूँः-

पाकिस्तान और चीन अब एक हैं
प्रमोद जोशी
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में हाल में चुनाव हुए हैं, जिनमें नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) को सफलता मिली है। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पिछले कुछ समय से अपने इलाज के सिलसिले में लंदन में थे। वहाँ से लौटने के बाद वे सबसे पहले पीओके में ही गए और वहां जाकर कहा, अब बहुत जल्द जम्मू-कश्मीर पाकिस्तान बन जाएगा। उन्होंने यह बात जम्मू-कश्मीर में बुरहान वानी की मौत के बाद पैदा हुए हालात के संदर्भ में कही थी। इस बयान के जवाब में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने फौरन ही बयान जारी किया कि पाकिस्तान ऐसे सपने न देखे, वह दिन कभी नहीं आएगा।

राजनीति का झुनझुना बना है दिल्ली का सवाल

हाल में एक वीडियो संदेश में अरविंद केजरीवाल ने नरेन्द्र मोदी पर आरोप लगाया 'वह मेरी हत्या तक करवा सकते हैं.' इसके पहले उन्होंने मोदी को मनोरोगी बताया था, कायर और मास्टरमाइंड भी. यह भी कि मोदी मुझसे घबराता है. केंद्र की मोदी सरकार और दिल्ली की केजरीवाल सरकार के बीच जो घमासान इन दिनों मचा है वह अभूतपूर्व है. इस वजह से दिल्ली के प्रशासनिक अधिकारों का सवाल पीछे चला गया है और उससे जुड़ी राजनीति घटिया स्तर पर जा पहुँची है. एक तरफ आप सरकार का आंदोलनकारी रुख है तो दूसरी तरफ उसके 12 विधायकों की गिरफ्तारी ने देश की लोकतांत्रिक प्रणाली पर कई तरह के सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. इसकी शुरूआत दिल्ली विधान सभा के पिछले चुनाव में बीजेपी के केजरीवाल विरोधी नितांत व्यक्तिगत, फूहड़ प्रचार से हुई थी.  

Sunday, August 7, 2016

दिल्ली को लेकर इतना हंगामा क्यों है?

दिल्ली की केजरीवाल सरकार जिस मुद्दे को अपनी राजनीति का केन्द्रीय विषय बनाकर चल रही है उसे तार्किक परिणति तक पहुँचने में अभी कुछ देर है। केन्द्र के साथ उसका टकराव अभी खत्म होने वाला नहीं है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत नहीं मिली तो उनकी राजनीति कुछ कमजोर जरूर पड़ेगी। हाईकोर्ट के फैसले के बाद आप नेता आशुतोष ने एक वैबसाइट पर लिखा है, हाईकोर्ट के फैसले ने दिल्ली के नागरिकों की उम्मीदों को तोड़ा है, जिन्होंने आम आदमी पार्टी को 70 में से 67 सीटें दीं।...यानी जनता द्वारा चुने गए मुख्यमंत्री का कोई मतलब नहीं है।...हम दिल्ली में चुनाव कराते ही क्यों हैं? यदि सारी पावर एलजी के पास ही हैं तो चुनाव का तमाशा क्यों?’

Sunday, July 31, 2016

केजरीवाल की बचकाना राजनीति

अरविंद केजरीवाल सायास या अनायास खबरों में रहते हैं। कुछ बोलें तब और खामोश रहें तब भी। नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आग लगाने वाले बयान देकर वे दस दिन की खामोशी में चले गए हैं। शनिवार को उन्होंने नागपुर के अध्यात्म केंद्र में 10 दिन की विपश्यना के लिए दाखिला लिया है, जहाँ वे अखबार, टीवी या मीडिया के संपर्क में नहीं रहेंगे। हो सकता है कि वे सम्पर्क में नहीं रहें, पर यकीन नहीं आता कि उनका मन मुख्यधारा की राजनीति से असम्पृक्त होगा।

Monday, July 25, 2016

सामाजिक बदलाव का वाहक है खेल का मैदान

अगले महीने ब्राजील के रियो डि जेनेरो में हो रहे ग्रीष्मकालीन ओलिम्पिक खेलों में भारत के 116 खिलाड़ियों की टीम हिस्सा लेने जा रही है. ओलिम्पिक के इतिहास में यह हमारी अब तक की सबसे बड़ी टीम है. इसके पहले सन 2012 के लंदन ओलिम्पिक में 84 खिलाड़ियों की टीम सबसे बड़ी टीम थी. ओलिम्पिक में शामिल होना बड़ी उपलब्धि मानी जाती है क्योंकि लगभग सभी स्पर्धाओं का क्‍वालिफिकेशन स्तर बहुत ऊँचा होता है. उसे छूना ही बड़ी उपलब्धि है.

Sunday, July 24, 2016

कश्मीरी नौजवानों को कोई भड़का भी तो रहा है

कश्मीर मामले को पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय फोरमों पर उठाने की तैयारी कर रहा है। वहाँ 20 जुलाई को जो काला दिवस मनाया गया, जो इस योजना का हिस्सा था। नवाज शरीफ ने पाकिस्तान वापसी के बाद शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक बुलाई जिसमें सेनाध्यक्ष राहिल शरीफ भी शामिल हुए। पिछले दो हफ्तों में पाकिस्तान ने अपने तमाम दूतावासों को सक्रिय कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्य देशों के साथ खासतौर से सम्पर्क साधा गया है। यह साबित करने की कोशिश की जा रही है कि कश्मीर घाटी में असाधारण जनांदोलन है।

कश्मीरी नौजवानों को कोई भड़का भी तो रहा है

कश्मीर मामले को पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय फोरमों पर उठाने की तैयारी कर रहा है। वहाँ 20 जुलाई को जो काला दिवस मनाया गया, जो इस योजना का हिस्सा था। नवाज शरीफ ने पाकिस्तान वापसी के बाद शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक बुलाई जिसमें सेनाध्यक्ष राहिल शरीफ भी शामिल हुए। पिछले दो हफ्तों में पाकिस्तान ने अपने तमाम दूतावासों को सक्रिय कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्य देशों के साथ खासतौर से सम्पर्क साधा गया है। यह साबित करने की कोशिश की जा रही है कि कश्मीर घाटी में असाधारण जनांदोलन है।

Monday, July 18, 2016

संजीदा होती संसदीय राजनीति

वो 4 मसले जो मॉनसून सत्र में छाए रहेंगे



मॉनसून सत्रImage copyrightPIB

इस बार संसद का मॉनसून सत्र कई वजहों से काफी महत्वपूर्ण है. पिछले साल का मॉनसून सत्र विवादों और हंगामे में धुल गया था.
इसको दो तरह से देखा जाना चाहिए. एक तो जो राजनीतिक मसले हैं, यानी पूरी राजनीति जिनके इर्द-गिर्द रहेगी. ये देखना दिलचस्प होगा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों की राजनीति किस प्रकार से संसद में नज़र आती है.
दूसरा ये है कि जो संसदीय कार्य हैं, ख़ासतौर पर विधेयकों का पारित होना, जो प्रशासनिक व्यवस्था और राज व्यवस्था के लिए ज़रूरी हैं, वो हो पाएगा या नहीं.
राजनीति के लिहाज़ से देखा जाए तो कांग्रेस पार्टी की फिलहाल अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में जो वापसी हुई है उससे उसमें काफी उत्साह है.


भारतीय संसदImage copyrightPTI

उन दोनों राज्यों में कांग्रेस सरकारों की वापसी होने के साथ-साथ राज्यपालों की भूमिका, केंद्र सरकार के हस्तक्षेप और राष्ट्रपति शासन लगाए जाने को लेकर भाजपा सरकार को काफी फजीहत का सामना करना पड़ रहा है.
दोनों सदनों में किसी ना किसी रूप में ये बात ज़रूर उठेगी. कांग्रेस पार्टी इसके राजनीतिक निहितार्थ को देश की जनता के सामने रखना चाहेगी.
दूसरा ये है कि समान नागरिक संहिता को लेकर केंद्र सरकार कुछ पहल कर रही है.
सायरा बानो का जो तीन तलाक वाला मामला था, उसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कुछ सवाल किए हैं.
तीसरा मसला भारत प्रशासित कश्मीर में चल रहे घटनाक्रम का है. कांग्रेस पार्टी, भाजपा की गलतियों को उभारना ज़रूर चाहेगी.


एनएसजी बैठकImage copyrightAP

एक और मसला जो उठेगा, वो है एनएसजी में इस बार भारत को सदस्यता नहीं मिल पाना.
एनएसजी को लेकर जो 'हाइप' हुआ था, उसको लेकर कांग्रेस, भाजपा सरकार की आलोचना ज़रूर करेगी.
एक-दो और मसले हैं. टेलीकॉम स्पेक्ट्रम की नीलामी को लेकर भी सरकार को घेरा जा सकता है.
करीब 11 विधेयक लोकसभा में और 43 राज्यसभा में पहले से पड़े हुए हैं, यानी बहुत समय से चीज़ें अधूरी पड़ी हुई हैं.
फिलहाल मोटे तौर पर 9 विधेयकों को पारित करने का काम सरकार के पास है जिसमें से ख़ासतौर से छह को पेश करने और उनको पास कराने की ज़रूरत सरकार महसूस करती है.
पूरा आलेख पढ़ें बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम पर

Monday, July 11, 2016

शिक्षा पर विमर्श क्यों नहीं?

पिछले दिनों केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद स्मृति ईरानी का मानव संसाधन विकास मंत्रालय से कपड़ा मंत्रालय में तबादला होने की खबर दूसरे कारणों से चर्चा का विषय बनी. इस फेरबदल के कुछ समय पहले ही सरकार ने नई शिक्षा नीति के मसौदे के कुछ बिन्दुओं को सार्वजनिक रूप से प्रकाशित किया था. यह तीसरा मौका है जब पर प्राइमरी से लेकर विश्वविद्यालयी शिक्षा के बारे में राष्ट्रीय स्तर पर विमर्श का अवसर आया है. पर क्या कहीं विमर्श हो रहा है?

Sunday, July 10, 2016

दक्षिण एशिया में आतंकी ज़हर


जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों ने हिज्बुल मुज़ाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी को मार गिराया। बुरहान कश्मीर में हिज्बुल मुजाहिदीन का पोस्टर बॉय था। उसकी मौत के साथ आतंकवाद का एक अध्याय खत्म हुआ तो दूसरा शुरू हो गया है। बुरहान को हिज्ब का टॉप कमांडर माना जाता था, जिसने सोशल मीडिया के जरिए आतंकवाद को दक्षिणी कश्मीर में फिर से जिंदा कर दिया है। उसकी मौत के बाद उसे अब शहीद के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। अब तक माना जाता था कि दक्षिण एशिया आतंक से मुक्त है, पर अब लगता है कि यहाँ आतंक का जहर फैलाने की कोशिशें बढ़ रहीं हैं।  

Saturday, July 9, 2016

ज़ाकिर नाइक उर्फ मीठा ज़हर

बांग्लादेश में एक के बाद एक आतंकी हिंसा की दो बड़ी घटनाएं न हुईं होतीं तो शायद ज़ाकिर नाइक पर हम ज्यादा ध्यान नहीं देते। वे सामान्य इस्लामी प्रचारक से अलग नजर आते हैं। हालांकि वे इस्लाम का प्रचार करते हैं, पर सबसे ज्यादा मुसलमान ही उनके नाम पर लानतें भेजते हैं। पिछले वर्षों में वे कई बार खबरों में रहे। सन 2009 में उत्तर प्रदेश के उनके कार्यक्रमों पर रोक लगाई गई थी। जनवरी 2011 में इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में उनके एक कार्यक्रम का जबर्दस्त विरोध हुआ।

भारत और पाकिस्तान में दारुल उलूम उनके खिलाफ फतवा जारी कर चुका है। इतने विरोध के बावजूद उनकी लोकप्रियता भी कम नहीं है। क्यों हैं वे इतने लोकप्रिय? ताजा खबर यह है कि श्रीनगर में उनके समर्थन में पोस्टर लगे हैं। कश्मीरी आंदोलन को उनकी बातों में ऐसा क्या मिल गया? पर उसके पहले सवाल है कि बांग्लादेश के नौजवानों को उनके भाषणों में प्रेरक तत्व क्या मिला?

Sunday, July 3, 2016

दक्षिण एशिया में आईएस की दस्तक

ढाका-हत्याकांड में शामिल हमलावर बांग्लादेशी हैं। पर इस कांड की जिम्मेदारी दाएश यानी इस्लामिक स्टेट ने ली है। इसका मतलब है कि कोई स्थानीय संगठन आईएस से जा मिला है। सम्भावना इस बात की भी है कि जोएमबी नाम का स्थानीय गिरोह आईएस के साथ हो। बांग्लादेश सरकार की इस मामले में अभी टिप्पणी नहीं आई है, पर अभी तक वह आईएस की उपस्थिति का खंडन करती रही है। बहरहाल आईएस का इस इलाके में सक्रिय होना भारत के लिए चिंता का विषय है। 

पेरिस, ब्रसेल्स और इस्तानबूल के बाद ढाका। आइसिस ने एक झटके में सारे संदेह दूर कर दिए।  उसकी निगाहें अब दक्षिण एशिया के सॉफ्ट टारगेट पर हैं। पाकिस्तान के मुकाबले बांग्लादेश की स्थिति बेहतर है। उसकी अर्थ-व्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। जनसंख्या में युवाओं का प्रतिशत बेहतर है। जमीन उपजाऊ है। यह 15 करोड़ मुसलमानों का देश भी है। दुनिया में चौथी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी। अभी तक बांग्लादेश सरकार आइसिस को लेकर डिनायल मोड में थी। अब उसे स्वीकार करना चाहिए कि आइसिस और अल-कायदा दोनों ने उसकी जमीन पर अपने तम्बू तान दिए हैं। अब शको-शुब्हा नहीं बचा।