Tuesday, November 2, 2021

2070 होगा भारत का नेट-ज़ीरो लक्ष्य


अंततः भारत ने नेट-ज़ीरो उत्सर्जन के लिए अपनी समय-सीमा दुनिया को बता दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्कॉटलैंड के ग्लासगो में 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (कॉप 26) में कहा कि हम 2070 तक नेट-ज़ीरो के लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे। इसके अलावा भारत, 2030 तक ऊर्जा की अपनी 50 प्रतिशत जरूरत अक्षय ऊर्जा से पूरी करेगा।

मोदी की इस घोषणा से बहुत से विशेषज्ञों को हैरत हुई है, क्योंकि अभी तक भारत कहता रहा है कि नेट-ज़ीरो लक्ष्य इस समस्या का समाधान नहीं है और भारत इस मामले में किसी के दबाव में नहीं आएगा। हालांकि यह लक्ष्य अमीर देशों द्वारा घोषित लक्ष्य से पीछे है, पर दुनिया के उन विशेषज्ञों के अनुमान के करीब है, जो भारत के संदर्भ में इसे व्यावहारिक मानते हैं। हाल में भारत के एक थिंकटैंक कौंसिल ऑन इनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्लू) ने अनुमान लगाया था कि भारत के लिए 2070 से 2080 के बीच का लक्ष्य रखना व्यावहारिक होगा। दूसरे विकसित देशों और चीन की तुलना में भी भारत अपने औद्योगिक विकास के शिखर से कई दशक दूर है। अभी यहाँ ऊर्जा का उपभोग काफी बढ़ेगा। भारत में इस समय जरूरत की 70 फीसदी ऊर्जा कोयले से उत्पन्न हो रही है।

हालांकि भारत में दुनिया की सबसे सस्ती सौर-ऊर्जा तैयार हो रही है, पर अभी इसे ग्रिड से जोड़ने की तकनीक विकसित नहीं हो पाई है। इसके अलावा भारत को हाइड्रोजन और उसके भंडारण की तकनीक विकसित करने में समय लगेगा। विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह काम 2040 तक हो पाएगा। भारत के पास इतनी पूँजी भी नहीं है कि वह तेजी से इन सब की व्यवस्था कर सके। इसीलिए भारत जो व्यावहारिक है उसे करने यानी क्लाइमेट जस्टिस की बात कर रहा है।

चार अल्पकालिक लक्ष्य

प्रधानमंत्री मोदी ने चार अल्पकालिक लक्ष्य और बताए हैं। नेट-जीरो लक्ष्य का मतलब है कि उसे तय करने वाला देश वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड या अन्य ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन उस सीमा से ज्यादा नहीं होने देगा, जिस सीमा तक इन गैसों को प्रकृति यानी वनस्पतियाँ और दुनिया भर में विकसित हो रही तकनीकें सोख लें।  

पिछले कुछ वर्षों में कुछ देशों ने अपने लक्ष्य घोषित किए हैं। अमेरिका, यूके, जापान और अन्य अमीर देशों ने इसके लिए सन 2050 को अपना लक्ष्य वर्ष घोषित किया है। दुनिया के सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक चीन ने 2060 का लक्ष्य रखा है। रूस और सऊदी अरब ने भी 2060 का लक्ष्य तय किया है।

पाँच अमृत तत्व

नरेंद्र मोदी के इस भाषण में जलवायु परिवर्तन को लेकर भारत की प्रशासनिक-नीतियों के अलावा परंपरागत समझ भी झलकती है। उन्होंने सम्मेलन में भारत की ओर से पांच वायदे किए। उन्होंने कहा, जलवायु परिवर्तन पर इस वैश्विक मंथन के बीच, मैं भारत की ओर से, इस चुनौती से निपटने के लिए पांच अमृत तत्व रखना चाहता हूं, पंचामृत की सौगात देना चाहता हूं। पहला- भारत, 2030 तक अपनी गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावॉट तक पहुंचाएगा। दूसरा-हम 2030 तक अपनी कुल ऊर्जा आवश्यकताओं में से 50 फीसदी अक्षय-ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करने लगेंगे। तीसरा- अब से लेकर 2030 तक के कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में हम एक अरब टन की कमी करेंगे। चौथा- 2030 तक भारत, अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता (इन्टेंसिटी) को 45 प्रतिशत से भी कम करेगा। और पाँचवाँ- वर्ष 2070 तक भारत, नेट-जीरो का लक्ष्य हासिल करेगा।

Monday, November 1, 2021

कॉप26 शुरू, भारत की दुविधा और जी-20 का कोई वायदा नहीं

 ग्लासगो में कॉप26 के उद्घाटन के अवसर पर कॉप के अध्यक्ष आलोक शर्मा से हाथ मिलाते हुए संरा महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद। सम्मेलन की कार्यकारी सचिव पैट्रीशिया ऐस्पिनोसा (बाएं से दूसरी) और सम्मेलन की निवृत्तमान अध्यक्ष चिली की पर्यावरण मंत्री कैरलीना श्मिट भी चित्र में हैं।  

रविवार
, 31 अक्टूबर, को स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर में संयुक्त राष्ट्र के कांफ्रेंस ऑफ द पार्टीज़ (कॉप26) की शुरुआत हुई। 12 नवम्बर तक चलने वाले इस सम्मेलन में सभी मोर्चों पर महत्वाकांक्षा बढ़ाने और सन 2015 के पेरिस जलवायु समझौते को कारगर ढंग से लागू करने के लिए दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप देने पर चर्चा होगी। सम्मेलन में ब्रिटेन की 95 वर्षीय महारानी एलिज़ाबेथ के आगमन की संभावना थी, पर शारीरिक असमर्थता के कारण वे नहीं आ पाईं। उनके स्थान पर सोमवार को राजकुमार चार्ल्स आने वाले हैं।

सम्मेलन से ठीक पहले अनेक रिपोर्टें और अध्ययन जारी किए गए हैं, जिनके निष्कर्षों में मौजूदा जलवायु कार्रवाई को अपर्याप्त क़रार दिया गया है। इन अध्ययनों में, पेरिस जलवायु समझौते के तहत वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 1।5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य तक सीमित रखने के लिये महत्वाकांक्षी जलवायु संकल्पों की अहमियत को रेखांकित किया गया है।

कार्यकारी सचिव पैट्रीशिया ऐस्पिनोसा ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में, दुनिया एक अहम पड़ाव पर खड़ी है। उन्होंने कॉप26 में सफलता को पूर्ण रूप से सम्भव बताते हुए अपने आशावादी रुख़ की वजह बताई। उन्होंने कहा, मेरे विचार में हम जो समझ व देख रहे हैं, हम जानते हैं कि यह रूपांतरकारी बदलाव हो सकता है। यहाँ औज़ार हैं, यहाँ उपकरण हैं, यहाँ समाधान हैं। भिन्नताएँ हैं, पर यह बात भरोसा दिलाती है कि उद्देश्यों को लेकर एकता है।

‘अस्तित्व पर संकट’

यूएन महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान कहा कि मानवता के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। हमारे पास इस संकट को हल करने के लिए क्षमता और संसाधन मौजूद हैं, पर हम पर्याप्त क़दम नहीं उठा रहे हैं। उन्होंने पुख़्ता जलवायु कार्रवाई के लिये अक्षय ऊर्जा टेक्नोलॉजी और नवाचारों को सभी देशों तक पहुँचाने के प्रयासों में तेज़ी लाने, निजी सेक्टर द्वारा नेट-शून्य उत्सर्जन संकल्पों को प्राथमिकता देने, उन्हें स्पष्ट व ज़्यादा असरदार बनाने का आग्रह किया।

Sunday, October 31, 2021

त्रिपुरा की हिंसा के राजनीतिक निहितार्थ


हाल में बांग्लादेश में मंदिरों पर हमलों के बाद देश के पूर्वोत्तर के राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा हुई है। इसमें भी सबसे ज्यादा गंभीर खबरें त्रिपुरा से आ रही हैं। राज्य सरकार का कहना है कि बाहर से आए कुछ तत्व राज्य में हिंसा भड़काने का प्रयास कर रहे हैं। गत 15 अक्तूबर को बांग्लादेश में कुछ दुर्गापूजा पंडालों और मंदिरों पर हमले हुए थे। उसकी प्रतिक्रिया पूर्वोत्तर में हुई है। त्रिपुरा में भी बांग्लादेश की हिंसा के विरोध में रैलियाँ हुई हैं। अब सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों से अफवाहें फैलाई जा रही हैं।

हालांकि बांग्लादेश सरकार ने तेजी से कार्रवाई करके अपने यहाँ हिंसा को दबा दिया और इसकी साजिश रचने वालों की गिरफ्तारियाँ की हैं, पर पूर्वोत्तर भारत में इसकी प्रतिक्रिया हुई है। सत्तारूढ़ पार्टी अवामी लीग ने हिंसा के विरोध में रैलियां निकालीं। मीडिया रिपोर्टों में सामने आया है कि बांग्लादेश पुलिस ने 693 लोगों को हिरासत में लिया है। भारत में विश्व हिंदू परिषद ने इन घटनाओं को बांग्लादेश में हिंदुओं का नरसंहार बताते हुए, इसे रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र को भी चिट्ठी लिखी है। त्रिपुरा की रैली भी इसी अभियान का एक हिस्सा थी।

शेष भारत में भी इस हिंसा के राजनीतिक निहितार्थ हैं। भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और सीपीएम पर हिंसा भड़काने के आरोप लगाए हैं। वहीं कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा है, हमारे मुसलमान भाइयों के साथ त्रिपुरा में हिंसा की जा रही है। हिंदू होने के नाम पर हिंसा और नफ़रत फैलाने वाले लोग हिंदू नहीं हैं। सरकार कब तक नहीं देखने और सुनने का नाटक करती रहेगी।

राजधानी अगरतला से अरीब 155 किलोमीटर दूर स्थित पानीसागर इलाके में विश्व हिंदू परिषद ने 26 अक्टूबर को एक रैली निकाली। रैली के दौरान कुछ मुस्लिम व्यापारियों के घरों और दुकानों में तोड़फोड़ की गई और फिर उन्हें जला दिया गया। आरोप है कि एक मस्जिद में भी तोड़फोड़ की गई। स्थानीय पुलिस का कहना है कि विश्व हिंदू परिषद की रैली में करीब 3,500 कार्यकर्ता शामिल थे। हिंसा के संबंध में दो मामले दर्ज किए हैं लेकिन अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।

पत्रकार समृद्धि सकुनिया ने एक ट्वीट में बताया कि पिछले एक हफ्ते में पूरे राज्य में नफरती अपराधों के कम से कम 21 मामलों की पुष्टि हुई है। इनमें से 15 मामले अलग-अलग मस्जिदों के तोड़ फोड़ के थे। त्रिपुरा पुलिस का कहना है कि सोशल मीडिया पर झूठी खबरें, तस्वीरें और वीडियो फैला कर मामले को और भड़काने की कोशिश की जा रही है। पुलिस ने कहा है कि झूठी खबरों को फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

उत्तर त्रिपुरा ज़िले में गुरुवार 28 अक्तूबर को फिर सांप्रदायिक हिंसा की खबर है। यह हमला उस जगह से थोड़ी ही दूर पर हुआ जहां 48 घंटे पहले एक मस्जिद तोड़ दी गई थी, दुकानें जला दी गईं थीं और अल्पसंख्यकों के घरों में तोड़फोड़ की गई थी। इस हमले के लिए विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है। उत्तर त्रिपुरा ज़िले के एसपी भानुपाड़ा चक्रवर्ती ने कहा कि पानीसागर इलाके में मस्जिद के जलाए जाने की ग़लत ख़बर सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही है।

परीक्षा 'वोकल फॉर लोकल' की


दीवाली का समय है, जो उत्सवों-पर्वों के अलावा अर्थव्यवस्था की सेहत और पारम्परिक कारोबार के नए खातों का समय होता है। महामारी के कारण बिगड़ी आर्थिक गतिविधियाँ पटरी पर वापस आ रही हैं। साथ ही सरकार और कारोबार की परीक्षा का यह समय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 22 अक्तूबर को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में देशवासियों से भारत में बने उत्पाद खरीदने और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के अभियान 'वोकल फॉर लोकल' को सफल बनाने का आग्रह किया।

कोविड-19 के बचाव में एक अरब टीकों के लगने से देश भर में विश्वास का माहौल बना है। त्योहारी सीजन की वजह से भी आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। विशेषज्ञ और एजेंसियां अर्थव्यवस्था को लेकर उत्साहित हैं। दूसरी तरफ माँग में तेजी और वैश्विक मुद्रास्फीति के कारण भारत में कीमतें बढ़ने का अंदेशा है। खनिज तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उछाल, खाद्य तेलों की महंगाई, धातुओं की कमी और कोयले की सप्लाई में दिक्कतों के कारण अर्थव्यवस्था में अड़ंगे पैदा लगेंगे।   

साख और शक्ति

सवाल कई हैं। मेक इन इंडिया और आत्म निर्भर भारत जैसे सरकारी कार्यक्रम क्या वैश्वीकरण के इस दौर में सफल होंगे? क्या हम अपने उत्पाद वैश्विक बाजार में बेचने में सफल होंगे? यों तो हमारा आंतरिक बाजार बहुत बड़ा है, पर क्या हमारे उपभोक्ता की क्रय-शक्ति इतनी है कि वह अर्थव्यवस्था को तेजी से बढ़ाने में मददगार हो? अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के इस महीने जारी अनुमानों के मुताबिक, भारत इस वित्तवर्ष में 9.5 फीसदी और अगले वित्तवर्ष में 8.5 फीसदी की संवृद्धि दर के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। मूडीज़ ने भारत की साख को बेहतर करते हुए नकारात्मक से स्थिर श्रेणी में कर दिया। उसका कहना है कि एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में पुनरुद्धार जारी है और चालू वित्त वर्ष में संवृद्धि दर महामारी से पहले के मुकाबले बेहतर होगी।

भरोसा बढ़ा

मोदी ने कहा कि एक अरब टीके दिए जाने से छोटे कारोबारों, फेरीवालों और पटरी वाले विक्रेताओं के लिए उम्मीद की किरण जगी है। एक ज़माने में विदेशों में बने सामान में लोगों की दिलचस्पी होती थी, लेकिन आज 'मेक इन इंडिया' की ताकत बढ़ रही है। पिछले साल दीवाली के समय लोगों के दिलो-दिमाग में तनाव था लेकिन अब टीकाकरण अभियान की वजह से भरोसा है। उन्होंने कहा, मेरे देश में बने टीके मुझे सुरक्षा दे सकते हैं तो देश में बनाए गए सामान भी मेरी दीवाली को और भव्य बना सकते हैं।

इस साल मार्च के बाद से निर्यात में भी वृद्धि हुई है। वैश्विक व्यापार में सुधार के कारण इंजीनियरिंग माल, कपड़ों, रासायनिक उत्पादों के निर्यात में वृद्धि हुई है। माल और सेवा के संयुक्त निर्यात में सितंबर में पिछले साल की इसी अवधि में हुए निर्यात के मुकाबले 22 फीसदी की वृद्धि हुई। निर्यात ने महामारी शुरू होने से पहले के आंकड़े को पार कर लिया है।

राजकोषीय घाटे में कमी

एक और सकारात्मक खबर है। राजकोषीय घाटा अप्रैल-सितंबर अवधि के दौरान घटकर बजट अनुमान का 35 प्रतिशत रह गया है, जो पिछले साल की इसी अवधि में बजट अनुमान का 115 प्रतिशत था। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा चार साल के निम्नतम स्तर 5.26 लाख करोड़ रुपये रह सकता है। दूसरी तरफ कुल व्यय बजट अनुमान से ज्यादा हो सकता है। उत्साह का मुख्य कारण है सितंबर में राजस्व में हुई 50 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि। अग्रिम कर और अप्रत्यक्ष कर में तेज बढ़ोतरी हुई है। महालेखा नियंत्रक के आंकड़ों से पता चलता है कि सरकार को सितंबर तक 10.8 लाख करोड़ रुपये (2021-22 की कुल प्राप्तियों के बजट अनुमान की तुलना में 27.3 प्रतिशत) मिले हैं। इसमें 9.2 लाख करोड़ रुपये कर राजस्व, 1.6 लाख करोड़ रुपये गैर कर राजस्व और 18,118 करोड़ रुपये गैर ऋण पूंजीगत प्राप्तियां हैं।

Thursday, October 28, 2021

फिलहाल बीजेपी को हिला पाना कांग्रेस के बस की बात नहीं: प्रशांत किशोर


प्रशांत किशोर का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी अभी दशकों तक ताकतवर बनी रहेगी। राहुल गांधी को यदि लगता है कि मोदी की लोकप्रियता कम हो रही है, तो वे गलत सोच रहे हैं। प्रशांत किशोर की कंसल्टेंसी संस्था इंडियन पोलिटिकल एक्शन कमेटी (आईपीएसी) इन दिनों तृणमूल कांग्रेस के साथ है और उन्होंने यह बात गोवा में कही है।

इसके पहले प्रशांत किशोर ने इस महीने के शुरू में कहा था कि कांग्रेस पार्टी यदि समझती है कि लखीमपुर खीरी के घटनाक्रम के बाद राहुल और प्रियंका गांधी की आक्रामक मुद्रा से पार्टी का पुनरुद्धार हो जाएगा, तो यह गलत सोच है। प्रशांत किशोर के ताजा बयान बता रहे हैं कि उनकी कांग्रेस पार्टी से दूसरी बन चुकी है, जबकि पिछले महीने तक ऐसा लग रहा था कि शायद वे कांग्रेस पार्टी में बाकायदा शामिल हो जाएं।

जुलाई के महीने में खबरें थीं कि प्रशांत किशोर के साथ राहुलसोनिया और प्रियंका गांधी की एक साथ हुई मुलाक़ात काफ़ी सुर्खियाँ बटोर रही है। समाचार पत्रों से लेकर तमाम न्यूज़ चैनल में सूत्र बता रहे थे कि 'कुछ बड़ाहोने वाला है। यह 'बड़ाक्या हैइसके बारे खुल कर कोई कुछ नहीं बता रहा था। चारों की मुलाक़ात की आधिकारिक पुष्टि भी अंततः हो गई। और लगने लगा कि यह बड़ा प्रशांत किशोर हैं, जो कांग्रेस में बाकायदा शामिल हो सकते हैं। कांग्रेस में उनके शामिल होने की खबर इतने जोरदार तरीके से सुनाई पड़ी है कि राहुल गांधी की करीबी मानी जाने वाली एक नेता ने ट्वीट करके इस खबर का स्वागत भी कर दिया। इसके फौरन बाद यह ट्वीट डिलीट कर दिया गया। पार्टी सूत्रों ने बताया कि इस मुलाकात का अनुरोध प्रशांत किशोर ने किया था। यह मुलाकात चार घंटे तक चली थी।  

इस साल के शुरू में पश्चिम बंगाल में हुए विधान सभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की सफलता के बाद से प्रशांत किशोर का महत्व बढ़ा है। इस बीच तृणमूल कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी गतिविधियाँ बढ़ा दी हैं। गोवा में गतिविधियाँ भी पार्टी के बढ़ते कदमों की ओर इशारा कर रही है।

प्रशांत किशोर का कहना है कि बीजेपी अब भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण बनी रहेगी। वह जीते या हारे उसका वैसा ही महत्व बना रहेगा, जैसा स्वतंत्रता के बाद के पहले 40 वर्षों तक था। जैसे ही कोई पार्टी 30 फीसदी या ज्यादा वोट जीतने लग जाती है, तब उसका मतलब होता है कि जल्द ही उसका महत्व खत्म होने वाला नहीं है।