Saturday, December 10, 2016

अद्रमुक का दामन थामेगी कांग्रेस

जयललिता के निधन के बाद तमिलनाडु की राजनीति में पहला सवाल अद्रमुक की सत्ता-संरचना को लेकर है। यानी कौन होगा उसका नेता? कैसे चलेगा उसका संगठन और सरकार? फिलहाल ओ पन्‍नीरसेल्‍वम को मुख्यमंत्री बनाया गया है। सवाल है क्या वे मुख्यमंत्री बने रहेंगे? पार्टी संगठन का सबसे बड़ा पद महासचिव का है। अभी तक जयललिता महासचिव भी थीं। एमजीआर और जयललिता दोनों के पास मुख्यमंत्री और महासचिव दोनों पद थे। अब क्या होगा?

Friday, December 9, 2016

‘तीन तलाक’ यूपी ही नहीं, लोकसभा चुनाव तक को गरमाएगा

यूपी के चुनाव के ठीक पहले तीन तलाक के मुद्दे का गरमाना साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ाएगा. काफी कुछ इस बात पर भी निर्भर करता है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया क्या होती है. यदि सभी दल इसके पक्ष में आएंगे तो इसकी राजनीतिक गरमी बढ़ नहीं पाएगी. चूंकि पार्टियों के बीच समान नागरिक संहिता के सवाल पर असहमति है, इसलिए इस मामले को उससे अलग रखने में ही समझदारी होगी.

इस मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी का बीजेपी और शिवसेना ने स्पष्ट रूप से समर्थन किया है. कांग्रेस ने भी उसका स्वागत किया है. लेकिन कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने अदालत से धर्म के मामले में दखलअंदाजी न करने की अर्ज की है. ऐसी टिप्पणियाँ आती रहीं तो बेशक यह मामला यूपी के चुनाव को गरमाएगा.

दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया है, "मैं बड़ी विनम्रतापूर्वक अदालतों से अनुरोध करना चाहूंगा कि उन्हें धर्म और धर्मों के रीति रिवाज में दखलंदाजी नहीं करना चाहिए.” दरअसल सवाल ही यही है कि यदि कभी मानवाधिकारों और सांविधानिक उपबंधों और धार्मिक प्रतिष्ठान के बीच विवाद हो, तब क्या करना चाहिए. दिग्विजय सिंह यदि कहते हैं कि धार्मिक प्रतिष्ठान की बात मानी जानी चाहिए, तब उन्हें इस सलाह की तार्किक परिणति को भी समझना चाहिए. इस प्रकार की टिप्पणियाँ करके वे बीजेपी के काम को आसान बना देते हैं.

Wednesday, December 7, 2016

गरीबनवाज़ जयललिता

जयललिता जयराम को जबर्दस्त जुझारू और जीवट वाली राजनेता के रूप में याद किया जाएगा. उन्होंने सत्ता का भरपूर इस्तेमाल किया, शानदार जीवन जिया, अपने विरोधियों का दमन किया और बड़े-बड़े अप्रत्याशित फैसले किए. फिल्मों के ग्लैमरस संसार से आईं जयललिता को राजनीति में प्रवेश करने के पहले कई प्रकार के अवरोधों, अपमानों और दुर्व्यवहारों का सामना भी करना पड़ा. शायद उनके अप्रत्याशित व्यवहार के पीछे यह भी एक बड़ा कारण था. पर उनकी गरीबनवाज़ छवि ने उनके सारे दोषों को धो दिया.
उनके ऐसे व्यक्तित्व को विकसित करने में तमिलनाडु की विलक्षण व्यक्ति-पूजा का भी योगदान है. भारतीय राजनीति में बड़े-बड़े कटआउटों की संस्कृति तमिलनाडु में ही विकसित हुई थी, जिसे रोकने का काम भी दक्षिण से आए टीएन शेषन ने ही किया था. इस राज्य में जीवित समकालीन नेताओं, फिल्मी सितारों और खिलाड़ियों के मंदिर बनते हैं. उनकी पूजा होती है. दक्षिण की पुरुष-प्रधान राजनीति में जयललिता जैसा होना भी अचंभा है. उन्होंने साधारण परिवार में जन्म लिया, कठिन परिस्थितियों का सामना किया और एक बार सत्ता की सीढ़ियों पर चढ़ीं तो चढ़ती चली गईं.

Tuesday, December 6, 2016

बेहद अप्रत्याशित और अपने आप में अचंभा थीं जयललिता जयराम

जयललिता जयराम को आधुनिक लोकतंत्र के जबर्दस्त अंतर्विरोधी व्यक्तित्व और भारतीय राजनीति की विस्मयकारी बातों के रूप में लंबे समय तक याद किया जाएगा. इसमे दो राय नहीं कि वे जीवट वाली नेता रहीं हैं. यह भी सच है कि तमिलनाडु देश के सबसे प्रगतिशील राज्यों में शामिल है. कार्य संस्कृति और उत्पादकता के मामले में दक्षिण के इस राज्य का जवाब नहीं.

Sunday, December 4, 2016

कहीं उल्टा न पड़े ममता का तैश और तमाशा

ममता बनर्जी की छवि तैश में रहने वाली नेता की है। मूलतः वे स्ट्रीट फाइटर हैं। उन्हें इस बात का श्रेय जाता है कि उन्होंने वाम मोर्चा के मजबूत गढ़ को गिरा कर दिखा दिया। और यही तथ्य उन्हें लगातार उत्तेजित बनाकर रखता है। वाम मोर्चा अब सत्ता से बाहर है, पर ममता स्टाइल ऑफ पॉलिटिक्स की साख बनाए रखने के लिए उन्हें कुछ न कुछ करते रहना पड़ता है। केंद्र सरकार के नोटबंदी कार्यक्रम ने उन्हें इसका मौका दिया है।