Friday, April 5, 2024

जलेबी जैसी घुमावदार 'पॉलिटिक्स' में दोस्ती और दुश्मनी का मतलब!


शिवसेना (उद्धव) की ओर से एकतरफा प्रत्याशी घोषित करने के बाद महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन में खींचतान है. शरद पवार कांग्रेस और शिवसेना दोनों से नाराज हैं. उनकी शिकायत है कि जब सीटों बँटवारे की बातें चल रही थीं, तो एमवीए के घटक दलों ने अलग-अलग सीटें क्यों घोषित कीं? उधर कांग्रेस के संजय निरुपम शिवसेना से नाराज़ हैं. उद्धव ठाकरे भी नाराज़ है. बीजेपी, शिवसेना (शिंदे) और एनसीपी (अजित) की रस्साकशी भी चल रही है. यूपी में रामपुर और मुरादाबाद की सीटों को लेकर समाजवादी पार्टी के भीतर घमासान चला. आजम खां भले ही जेल में हैं, पर मुरादाबाद के मौजूदा सांसद एसटी हसन का टिकट उन्होंने कटवा दिया और रुचिवीरा को दिलवा दिया. पर रामपुर में उनकी नहीं सुनी गई और मोहिबुल्लाह नदवी को टिकट मिल गया.

भारतीय राजनीति उतनी सीधी सपाट नहीं है, जितनी दिखाई पड़ती है. वह जलेबी जैसी गोल है. विचारधारा, सामाजिक-न्याय, जनता की सेवा और कट्टर ईमानदारी जैसे जुमले अपनी जगह हैं. पंजाब में आम आदमी पार्टी को झटका देते हुए जालंधर के सांसद सुशील कुमार रिंकू बीजेपी में शामिल हो गए. रिंकू 17वीं लोकसभा में आप के एकमात्र सांसद थे. वे सुर्खियों में तब आए थे, जब हंगामे की वजह से पूरे सत्र के लिए निलंबित हुए थे.

चलती का नाम गाड़ी

ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. चुनाव के दौरान अंतिम समय की भगदड़, मारामारी और बगावतें कोई नई बात नहीं. इसबार बीजेपी ने चार सौ से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं, उनमें से 17वीं लोकसभा में 291 पर उसके सांसद थे. इनमें 101 को टिकट नहीं मिला. पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 119 सांसदों के टिकट काटे थे. टिकट कटने से बदमज़गी पैदा होती है. गठबंधनों में सीटों के बँटवारे को लेकर भी खेल होते हैं, पर सार्वजनिक रूप से दिखावा किया जाता है कि सब कुछ ठीकठाक है.

Thursday, April 4, 2024

भारत-पाक रिश्तों की व्यापार-बाधा


 
देस-परदेस

भारत-पाकिस्तान व्यापार फिर से शुरू करने की संभावनाओं को लेकर दो तरह की बातें सुनाई पड़ी हैं. पहले पाकिस्तान के विदेशमंत्री मुहम्मद इशाक डार ने लंदन में कहा कि हम भारत के साथ व्यापार फिर से शुरू करने की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. इसके फौरन बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने सफाई दी कि ऐसा कोई औपचारिक-प्रस्ताव नहीं है.

डिप्लोमैटिक-वक्तव्यों में अक्सर उसके अर्थ छिपे होते हैं. सवाल है कि क्या ये दोनों बातें विरोधाभासी हैं? या यह एक और यू-टर्न है? या इन दोनों बातों का कोई तीसरा मतलब भी संभव है?

जवाब देने के पहले समझना होगा कि रिश्ते सुधारने की ज़रूरत भारत को ज्यादा है या पाकिस्तान को? पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था से भारत की अर्थव्यवस्था दस गुना बड़ी है. सत्तर के दशक में पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति आय भारत के लोगों की प्रति व्यक्ति औसत आय की दुगनी थी, आज भारतीय औसत आय पाकिस्तानी आय से करीब डेढ़ गुना ज्यादा है.

भारत को पाकिस्तान से सद्भाव चाहिए. पर, भारत का साफ कहना है कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चलेंगे. ऐसा नहीं होने के कारण हम पाकिस्तान के प्रति उदासीन हैं. इस उदासीनता को दूर करने की जिम्मेदारी पाकिस्तान पर है.

पाकिस्तानी शासक जब चाहें, जो चाहें फैसले कर लेते हैं. फिर चाहते हैं कि उसकी कीमत भारत अदा करे. व्यापारिक-रिश्तों को तोड़ना ऐसा ही एक फैसला है. इसके पहले भारत को तरज़ीही देश मानने में उनकी हिचकिचाहट इस बात की निशानी है. 

Wednesday, April 3, 2024

जिम्मेदार है पूरी राजनीति

लक्ष्मण का एक पुराना कार्टून, जिसमें केवल राजनेताओं के चेहरे बदलने की जरूरत है

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को हम सामान्य राजनीति, भ्रष्टाचार, न्याय-व्यवस्था और इससे जुड़े तमाम संदर्भों में देख सकते हैं। मेरी नज़र में यह मसला हमारी अधकचरी राजनीतिक-सामाजिक व्यवस्था की कटु-कथा है। इसमें भारत सरकार की संस्थाएं, सत्तारूढ़ और विरोधी दोनों तरह की पार्टियाँ और काफी हद तक देश की जनता जिम्मेदार है, जो धार्मिक, जातीय और क्षेत्रीय भावनाओं के वशीभूत है और सत्ता की राजनीति के हाथों में खेल रही है। भारत की राजनीति का यह महत्वपूर्ण दौर है, जिसमें खुशी की तुलना में नाखुशी के तत्व ज्यादा हैं।

आज सत्ता पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है, इसलिए आज की परिस्थिति के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार उसे ही मानना चाहिए, पर यह अधूरा दृष्टिकोण है। इस परिस्थिति के लिए हमारी समूची राजनीति जिम्मेदार है। बेशक इसमें शामिल काफी लोग ईमानदार भी हैं, पर वे इस राजनीति के संचालक नहीं हैं।  

जाँच एजेंसियों की भूमिका

आज के इंडियन एक्सप्रेस में खबर है कि 2014 के बाद से 25 ऐसे राजनेता, जिनपर भ्रष्टाचार के आरोपों में केंद्रीय एजेंसियों की जाँच चल रही थी, अपनी पार्टियाँ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। इनमें दस कांग्रेस से, चार-चार शिवसेना और एनसीपी से, दो तेदेपा से और एक-एक सपा और वाईएसआर कांग्रेस से जुड़े थे। इनमें से 23 के मामलों में नेताओं को राहत मिल गई है। तीन मामले पूरी तरह बंद हो गए हैं और 20 ठप पड़े हैं।

इस सूची में वर्णित छह नेता इसबार के चुनाव के ठीक पहले अपनी पार्टियाँ छोड़कर आए हैं। इसके पहले इंडियन एक्सप्रेस ने 2022 में एक पड़ताल की थी, जिसमें बताया गया था कि 2014 के बाद से केंद्रीय एजेंसियों ने जिन राजनेताओं के खिलाफ कार्रवाई की है, उनमें 95 फीसदी विरोधी दलों से हैं। विरोधी दलों ने अब बीजेपी को वॉशिंग मशीन कहना शुरू कर दिया है। इसके पहले 2009 में एक्सप्रेस की एक पड़ताल से पता लगा था कि कांग्रेस-नीत यूपीए के समय में सीबीआई ने किस तरह से बसपा की नेता मायावती और सपा के नेता मुलायम सिंह के खिलाफ जाँच का रुख बदल दिया था।

आज की एक्सप्रेस-कथा से पता यह भी लग रहा है कि ज्यादा बड़ी संख्या में ऐसे मामले महाराष्ट्र से जुड़े हैं। चूंकि यह खबर 2014 के बाद की कहानी कह रही है, इसलिए इससे पूरा परिदृश्य समझ में नहीं आएगा।

Friday, March 29, 2024

समस्या राजनीतिक-वंशवाद से ज्यादा ‘राजवंशवाद’ की है


लोकसभा चुनाव का बिगुल बज गया है और इसके साथ ही परिवारवाद या वंशवाद की बहस फिर से चल निकली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में कई बार वंशवाद की आलोचना करते हुए कहा है कि राजनीति में नए लोगों को आना चाहिए.

राजनीति में नए लोगों का आना यानी पोलिटिकल रिक्रूटमेंट ऐसा विषय है, जिसपर हमारे देश में ज्यादा विचार नहीं हुआ है. हमने मान लिया है कि कोई राजनीति में है, तो कम से कम उसका एक बेटा या बेटी को राजनीति में जाना ही है. इसे समझना होगा कि नए लोग राजनीति में कैसे आते हैं, क्यों आते हैं और वे सफल या विफल क्यों होते हैं?

दुनिया में लोकतंत्र अपेक्षाकृत नई व्यवस्था है. राजतंत्र और सामंतवाद आज भी कई देशों में कायम है और हम अभी संक्रमणकाल से गुज़र रहे हैं. लोकतंत्र अपनी पुष्ट संस्थाओं के सहारे काम करता है. विकसित लोकतांत्रिक-व्यवस्थाओं में भी भाई-भतीजावाद, दोस्त-यारवाद, वंशवाद, परिवारवाद वगैरह मौज़ूद है, जिसका मतलब है मेरिट यानी काबिलीयत की उपेक्षा. जो होना चाहिए, उसका न होना.   

वंशवाद पर मोदी जब हमला करते हैं, तब सबसे पहले उनके निशाने पर नेहरू-गांधी परिवार होता है. इसके बाद वे तमिलनाडु के करुणानिधि, बिहार के लालू और यूपी के मुलायम परिवार वगैरह को निशाना बनाते हैं. इस बात से ध्यान हटाने के लिए जवाब में मोदी की पार्टी पर भी प्रहार होता है.

बीजेपी के घराने

हाल में बीजेपी के प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी होने के बाद किसी ने ट्वीट किया: प्रेम धूमल के पुत्र अनुराग ठाकुर, बीएस येदियुरप्पा के पुत्र राघवेंद्र, रवि सुब्रमण्य के भतीजे तेजस्वी सूर्या, वेद प्रकाश गोयल के बेटे पीयूष गोयल, एकनाथ खडसे की पुत्रवधू रक्षा खडसे, गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे, बालासाहेब विखे पाटील के पौत्र और राधाकृष्ण विखे के पुत्र सुजय को टिकट मिला है.

Thursday, March 28, 2024

जोखिमों से घिरी पाकिस्तान की नई सरकार


पाकिस्तान में नई सरकार बन जाने के बाद अफ़ग़ानिस्तान, ईरान की सीमा और बलोचिस्तान से चिंताजनक खबरें आई हैं. देश की स्थिरता के जुड़े कम से कम तीन मसलों ने ध्यान खींचा है. ये हैं अर्थव्यवस्था, विदेश-नीति और आंतरिक तथा वाह्य सुरक्षा. गत 26 मार्च को खैबर-पख्तूनख्वा में एक काफिले पर हुए हमले में पाँच चीनी इंजीनियरों की मौत ने भी पाकिस्तान को हिला दिया है.

इन सब बातों के अलावा सरकार पर आंतरिक राजनीति का दबाव भी है, जिससे वह बाहर निकल नहीं पाई है. शायद इसी वजह से पिछले हफ्ते 23 मार्च को पाकिस्तान दिवस समारोह में वैसा उत्साह नहीं था, जैसा पहले हुआ करता था. चुनाव के बाद राजनीतिक स्थिरता वापस आती दिखाई पड़ रही है, पर निराशा बदस्तूर है. इसकी बड़ी वजह है आर्थिक संकट, जिसने आम आदमी की जिंदगी में परेशानियों के पहाड़ खड़े कर दिए हैं.

कई तरह के संकटों से घिरी पाकिस्तान सरकार की अगले कुछ महीनों में ही परीक्षा हो जाएगी. इनमें एक परीक्षा भारत के साथ रिश्तों की है. हाल में देश के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सभी राजनीतिक दलों से मौजूद समस्याओं से निपटने के लिए मतभेदों को दरकिनार करने का आग्रह किया है.

अब वहाँ के विदेशमंत्री मोहम्मद इसहाक डार ने कहा है कि हम भारत से व्यापार को बहाल करने पर ‘गंभीरता’ से विचार कर रहे हैं. यह महत्वपूर्ण इशारा है. ब्रसेल्स में परमाणु ऊर्जा शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद डार ने लंदन में शनिवार को एक संवाददाता सम्मेलन में बात कही. उन्होंने कहा, पाकिस्तानी कारोबारी चाहते हैं कि भारत के साथ व्यापार फिर से शुरू हो. हम इसपर विचार कर रहे हैं.