Wednesday, September 27, 2023

भारत-कनाडा रिश्तों पर ‘खालिस्तानी छाया’


जिस रोज हमारे देश में संसद का विशेष-सत्र शुरू होने वाला था
, उसके ठीक पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर बड़ा आरोप लगाकर डिप्लोमैटिक-धमाका कर दिया, जिसकी अनुगूँज काफी देर तक सुनाई पड़ती रहेगी. कनाडा की इस हरकत से भारत के समूचे पश्चिमी खेमे के साथ रिश्ते प्रभावित होंगे.

दूसरी तरफ संभावना इस बात की भी है कि भारत के जवाबी हमलों के सामने उन्हें न केवल झुकना पड़े, बल्कि खालिस्तान को लेकर अपना रुख पूरी तरह बदलना पड़े. बहुत कुछ विदेशमंत्री एस जयशंकर की अमेरिका-यात्रा पर निर्भर करता है.

हालांकि ट्रूडो ने यह भी कहा कि इस मामले में जाँच चल ही रही है, अलबत्ता उन्होंने एक भारतीय राजनयिक को देश से निकलने का आदेश देकर और व्यापार-वार्ता रोककर इस बात को साफ कर दिया कि वे इन रिश्तों को किस हद तक बिगाड़ने को तैयार हैं.

Tuesday, September 26, 2023

इजरायल-सऊदी समझौते के आसार


अमेरिकी मध्यस्थता में इजरायल और सऊदी अरब के बीच एक शांति समझौता होने के आसार बन रहे हैं। कहा यह भी जा रहा है कि यह समझौता हुआ, तो छह-सात और मुस्लिम देश इजरायल को मान्यता दे देंगे। उधर ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी ने एक अमेरिकी टीवी चैनल से कहा है कि अमेरिकी मध्यस्थता में चल रही यह कोशिश विफल होगी

इजरायल के विदेशमंत्री एली कोहेन ने कहा है कि यदि सऊदी अरब और इजरायल के बीच शांति समझौता हुआ, तो छह या सात और मुस्लिम देश इजरायल को मान्यता दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि ये देश अफ्रीका और एशिया में हैं लेकिन उन्होंने उनका नाम बताने से इनकार कर दिया। पिछले हफ्ते सप्ताह इजरायली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि इजरायल और सऊदी अरब शांति समझौते के ऐतिहासिक मोड़ पर हैं।

यरूशलम पोस्ट के अनुसार कोहेन ने यह बात कान न्यूज को एक इंटरव्यू में बताई। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब के साथ शांति का मतलब है व्यापक मुस्लिम दुनिया के साथ शांति। नेतन्याहू के वक्तव्य के बाद उन्होंने कहा, कम से कम छह या सात अन्य देश हैं जिनके नेताओं से मैं मिला हूँ। ये महत्वपूर्ण मुस्लिम देश हैं, जिनके साथ हमारे संबंध नहीं हैं। वे शांति में यकीन रखते हैं।

वैश्विक-मंच पर ‘नया भारत’

भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी-20 समूह के शिखर सम्मेलन में ‘नई दिल्ली घोषणा’ को सर्वसम्मति से अपनाना दो तरह से शुभ संकेत है। वैश्विक-राजनीति में थोड़ी देर के लिए ही सही शांति और सहयोग की संभावनाएं जागी हैं। दूसरे, इससे भारत की बढ़ती वैश्विक-भूमिका पर भी रोशनी पड़ती है। यह सम्मेलन शुरू होने के पहले सर्वानुमति की उम्मीद बहुत कम थी। माना जा रहा था कि यूक्रेन-युद्ध की तल्खी से निपट पाना भारत के लिए काफी मुश्किल होगा। विशेषज्ञों, राजनयिकों और अधिकारियों ने इस बात की उम्मीद बहुत कम ही लगा रखी थी कि भारत के वार्ताकार वह सर्वानुमति हासिल कर पाएंगे, जिसे अब तक कोई हासिल नहीं कर पाया है।

Sunday, September 24, 2023

स्त्री-सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम


नारी शक्ति वंदन विधेयक और उसके छह अनुच्छेद गुरुवार को राज्यसभा से भी पास हो गए। जैसी सर्वानुमति इसे मिली है, वैसी बहुत कम कानूनों को संसद में मिली है।  1996 से 2008 तक संसद में चार बार महिला आरक्षण विधेयक पेश किए गए, पर राजनीतिक दलों ने उन्हें पास होने नहीं दिया। 2010 में यह राज्यसभा से पास जरूर हुआ, फिर भी कुछ नहीं हुआ। ऐसे दौर में जब एक-एक विषय पर राय बँटी हुई है, यह आमराय अपूर्व है। पर इसे लागू करने के साथ दो बड़ी शर्तें जुड़ी हैं। जनगणना और परिसीमन। इस वजह से आगामी चुनाव में यह लागू नहीं होगा, पर चुनाव का एक मुद्दा जरूर बनेगा, जहाँ सभी पार्टियाँ इसका श्रेय लेंगी। 

इसकी सबसे बड़ी वजह है, महिला वोट। महिला पहले वोट बैंक नहीं हुआ करती थीं। 2014 के चुनाव के बाद से वे वोट बैंक बनती नज़र आने लगी हैं। केवल शहरी ही नहीं ग्रामीण महिलाएं भी वोट बैंक बन रही हैं। ज़रूरी नहीं है कि इसका श्रेय किसी एक पार्टी या नेता को मिले। सबसे बड़ी वजह है पिछले दो दशक में भारतीय स्त्रियों की बढ़ती जागरूकता और सामाजिक जीवन में उनकी भूमिका। राजनीति इसमें उत्प्रेरक की भूमिका निभाएगी।   

रोका किसने?

इस विधेयक को लेकर इतनी जबर्दस्त सर्वानुमति है, तो इसे फौरन लागू करने से रोका किसने है?  कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा में कहा, जब सरकार नोटबंदी जैसा फैसला तुरत लागू करा सकती है, तब इतने महत्वपूर्ण विधेयक की याद साढ़े नौ साल बाद क्यों आई? बात तो बहुत मार्के की कही है। पर जब दस साल तक कांग्रेस की सरकार थी, तब उन्हें किसने रोका था?  सोनिया गांधी ने लोकसभा में सवाल किया, मैं एक सवाल पूछना चाहती हूं। भारतीय महिलाएं पिछले 13 साल से इस राजनीतिक ज़िम्मेदारी का इंतज़ार कर रही हैं। अब उन्हें कुछ और साल इंतज़ार करने के लिए कहा जा रहा है। कितने साल? दो साल, चार साल, छह साल, या आठ साल? 

संसद में इसबार हुई बहस के दौरान कुछ सदस्यों ने जनगणना और सीटों के परिसीमन की व्यवस्थाओं में संशोधन के लिए प्रस्ताव रखे, पर वे ध्वनिमत से इसलिए नामंजूर हो गए, क्योंकि किसी ने उनपर मतदान कराने की माँग नहीं की। सीधा अर्थ है कि ज्यादातर सदस्य मानते हैं कि जब सीटें बढ़ जाएंगी, तब महिलाओं को उन बढ़ी सीटों में अपना हिस्सा मिल जाएगा। कांग्रेस ने भी मत विभाजन की माँग नहीं की। जब आप दिल्ली-सेवा विधेयक पर मतदान की माँग कर सकते हैं, तो इस विधेयक को फौरन लागू कराने के लिए मत-विभाजन की माँग क्यों नहीं कर पाए? खुशी की बात है कि मंडलवादी पार्टियों ने इसे स्वीकार कर लिया। कांग्रेस ने ओबीसी कोटा की माँग की, जबकि इसके पहले वह इसके लिए तैयार नहीं थी।

Thursday, September 21, 2023

फलस्तीन के समाधान जुड़ा है प.एशिया कॉरिडोर


जी-20 की बैठक के दौरान भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर की घोषणा तो हो गई, पर विशेषज्ञों के मन में इसकी सफलता को लेकर कुछ संदेह हैं. सबसे बड़ा संदेह फलस्तीन की समस्या को लेकर है. जब तक इस समस्या का समाधान नहीं होगा, इस कॉरिडोर की सफलता में संदेह बने रहेंगे.

प्रस्तावित कॉरिडोर का एक सिरा इसरायल के हाइफ़ा तक जाएगा, जहाँ से वह यूरोप का रास्ता पकड़ेगा. जब तक इसराइल और अरब देशों, खासतौर से सऊदी अरब की सहमति नहीं होगी, तबतक हाइफ़ा को कॉरिडोर में शामिल करने की कल्पना नहीं की जा सकती है.

फलस्तीनियों से संवाद

खबरें इस आशय की भी हैं कि अमेरिकी मध्यस्थता में सऊदी अरब और इसराइल के बीच संबंध सामान्य करने को लेकर संभावित ऐतिहासिक समझौते में फ़लस्तीनियों ने अरबों डॉलर और जॉर्डन नदी के पश्चिमी किनारे में इसराइल के पूर्ण कब्ज़े वाली ज़मीन पर नियंत्रण की मांग रखी है.

इस आशय की एक खबर आई थी कि बुधवार 4 सितंबर को रियाद में फ़लस्तीन अथॉरिटी और सऊदी अरब के अधिकारियों के बीच वार्ता हुई. और यह भी कि जल्द ही अमेरिकी अधिकारियों से उनकी मुलाकात होने वाली है.