Saturday, September 2, 2023

‘हार्ड’ और ‘सॉफ्ट’ ताकतों से लैस ‘नया भारत’


भारत-उदय
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जी-20 में भारतीय अध्यक्षता का समापन एक नए शीतयुद्ध के प्रस्थान-बिंदु के रूप में हो रहा है. दुनिया फिर से दो ध्रुवों में बँट रही है और उसपर यूक्रेन-युद्ध की छाया है. दिल्ली में हो रहा शिखर सम्मेलन भारत के बढ़ते महत्व को रेखांकित कर रहा है. अलबत्ता उसके धैर्य, विवेक और संतुलन की परीक्षा भी यहाँ होगी.

भारत की भूमिका दो पक्षों के बीच में रहते हुए शांति की राह पर ले जाने वाले मार्ग-दर्शक की है, पर यह पचास के दशक क गुट-निरपेक्ष भारत नहीं है. तब हमारी राज्य-शक्ति सीमित थी. हम केवल नैतिक-शक्ति के सहारे थे. आज हम शक्ति के हार्ड और सॉफ्ट दोनों तत्वों से लैस हैं. दुनिया की महत्वपूर्ण आर्थिक शक्तियों में भारत की गिनती अब हो रही है. और भविष्य की दिशा बता रही है कि भारत अब दुनिया का नेतृत्व करेगा.

महाशक्ति की दिशा

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और टिप्पणीकार मार्टिन वुल्फ ने हाल में ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित अपने एक कॉलम में लिखा है कि भारत महाशक्ति बनने की दिशा में बढ़ रहा है और 2050 तक भारत की अर्थव्यवस्था अमेरिका के बराबर पहुँच जाएगी. वे मानते हैं कि बेहतर नीतियों के साथ, यह वृद्धि और भी अधिक हो सकती है.

हाल में चंद्रयान-3 की विजय के बाद पश्चिमी देशों ने भी माना कि आज का स्वाधीन भारत वैश्विक-मंच पर महाशक्ति के रूप में उभर रहा है. नए की परिकल्पना हमेशा रहती है, पर युगांतरकारी मोड़ कभी-कभी आते हैं. भारत में हो रहा जी-20 का शिखर सम्मेलन ऐसे ही एक अवसर की गवाही दे रहा है.

भारत के अंतरिक्ष-कार्यक्रम का इस्तेमाल सार्वजनिक शिक्षा, जनसंचार, मौसम की जानकारी और आपदा-नियंत्रण में हुआ है. समावेशी विकास की यह कहानी जी-20 शिखर सम्मेलन के समानांतर चलेगी. भारत की फोन कॉल, डिजिटल प्रणाली यानी कि इंटरनेट वगैरह दुनिया में सबसे सस्ते हैं. इसका विस्तार हो रहा है, जिससे गरीबों और महिलाओं का सशक्तिकरण हो रहा है.

Thursday, August 31, 2023

मॉनसून की चिंता


मॉनसून के बारे में जो सूचनाएं आ रही हैं वे बहुत उत्साहित करने वाली नहीं हैं। भारत के लिए मॉनसून बहुत अहम है क्योंकि उसकी सालाना बारिश में मॉनसूनी बारिश का योगदान 70 फीसदी है। मॉनसूनी बारिश में अगर ज्यादा कमी हुई तो खरीफ की फसल का उत्पादन तो प्रभावित होगा ही, साथ ही रबी की फसल पर भी असर होगा।

 खबरों के मुताबिक इस वर्ष आठ साल की सबसे कम बारिश होने वाली है। इन दिनों सूखे का जो सिलसिला चल रहा है उसके चलते अगस्त में बारिश में रिकॉर्ड कमी आई है और यह सिलसिला आगे भी जारी रहने की आशंका है। जानकारी के मुताबिक अल नीनो प्रभाव मजबूत हो रहा है और माना जा रहा है कि दिसंबर तक उसका प्रभाव जारी रहेगा। बिजनेस स्टैंडर्ड की पूरी संपादकीय टिप्पणी पढ़ें यहाँ

चीन सदा-सर्वदा विकासशील!

दक्षिण अफ्रीका में हाल ही में संपन्न ब्रिक्स देशों की शिखर बैठक से इतर चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने जोर देकर कहा कि उनका देश ‘विकासशील देशों के समूह का सदस्य था, है और हमेशा रहेगा।’ इस बात की संभावना कम है कि शी चीन की भविष्य की वृद्धि को लेकर कोई आशंका व्यक्त कर रहे थे और ऐसा कुछ कह रहे थे कि उनका देश मध्य आय के जाल में उलझा रहेगा। यदि वह ऐसा नहीं कह रहे थे तो फिर उनके इस वक्तव्य की व्याख्या किस प्रकार की जाए?

Wednesday, August 30, 2023

लद्दाख के गतिरोध को खत्म करने में चीनी आनाकानी


भारत और चीन के बीच पिछले तीन साल से चले आ रहे गतिरोध को तोड़ने की कोशिश में पिछले हफ्ते हुई दो बड़ी गतिविधियों के बावजूद समाधान दिखाई पड़ नहीं रहा है. जोहानेसबर्ग में ब्रिक्स के शिखर सम्मेलन के हाशिए पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच संवाद ने उम्मीदों को जगाया था, पर लगता नहीं कि समाधान होगा.

कहना मुश्किल है कि अब सितंबर में दिल्ली में 9-10 सितंबर को होने वाले जी-20 के शिखर सम्मेलन के हाशिए पर दोनों नेताओं की मुलाकात होगी भी या नहीं. दोनों नेता उसके पहले 5 से 7 सितंबर तक जकार्ता में होने वाले आसियान शिखर सम्मेलन में भी शामिल होने वाले हैं. वैश्विक घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में भी दोनों देशों के बीच का तनाव कम होता दिखाई नहीं पड़ रहा है.  

चीनी आनाकानी 

भारत की ओर से लगातार कहा जा रहा है कि जबतक सीमा पर शांति और स्थिरता नहीं होगी, दोनों देशों के रिश्तों में स्थिरता नहीं आ सकेगी. दूसरी तरफ 1977 के बाद से लगातार चीनी दृष्टिकोण रहा है कि किसी एक कारण से पूरे रिश्तों पर असर नहीं पड़ना चाहिए.

Tuesday, August 29, 2023

गठबंधन ‘इंडिया’ की मुंबई बैठक के मुद्दे


हाल में बने नए राजनीतिक गठबंधन इंडिया (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव एलायंस) की इस हफ्ते मुंबई में होने वाली तीसरी बैठक एक तरफ इसके राजनीतिक विचार को स्पष्ट करने और संगठनात्मक आधार को मजबूत करने का काम करेगी, वहीं इसके अंतर्विरोध भी खुलेंगे। 31 अगस्त और 1 सितंबर को दो दिन चलने वाली इस महाबैठक में गठबंधन के लोगो को लॉन्च करने की योजना भी है। गठबंधन के नाम के बाद इस गतिविधि का महत्व प्रचारात्मक ज्यादा है। ज्यादा बड़ा काम अभी तक नेपथ्य में ही है। वह है उस गणित की रूपरेखा, जिसपर यह गठबंधन खड़ा होने वाला है।

दो महत्वपूर्ण सवालों के जवाब भी इस बैठक में मिलेंगे। क्या यह गठबंधन राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनावों में एक होकर उतरेगा या यह गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव के लिए बन रहा है? दूसरे चुनाव में अलग-अलग चुनाव-चिह्नों के साथ इसकी एकरूपता किस प्रकार से व्यक्त होगी? कुछ पहेलियाँ और हैं। मसलन कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के रिश्ते। क्या आम आदमी पार्टी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में उतरेगी? अकेले या कांग्रेस के सहयोगी दल के रूप में? क्या लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी गुजरात में उसे सीटें देगी? ऐसे ही सवाल बंगाल की राजनीति को लेकर हैं। महाराष्ट्र में एनसीपी खुद पहेली बनी हुई है।

Monday, August 28, 2023

दुनिया ने माना भारत को ‘स्पेस-पावर’

 


चंद्रयान अभियान-2

चंद्रयान-3 की सफलता ने देश-विदेश में करोड़ों भारतीयों को खुशी का मौका दिया है। इतिहास में ऐसे अवसर कभी-कभी आते हैं, जब इस तरह करोड़ों भावनाएं एकाकार होती हैं। इस अभियान का एक लाभ यह भी होगा कि कभी भविष्य में हम चाँद पर बस्तियाँ बसाना चाहेंगे, तो इसमें बहुत मदद मिलेगी। उसके पहले सुदूर अंतरिक्ष के अध्ययन के लिए चंद्रमा पर प्रयोगशालाओं की स्थापना की जा सकती है। भारत ने इसमें पहल ले ली है, जो भविष्य में फलदायी होगी।

प्रतिष्ठा की मनोकामना, प्रतियोगिता को बढ़ाती है। लंबे समय तक भारत की छवि पोंगापंथी, गरीब, पिछड़े और अराजक देश के रूप में रही या बनाई गई, पर अब उसमें तेजी से बदलाव आ रहा है। दुनिया ने भारत को स्पेस-पावर के रूप में स्वीकार कर लिया है। हालांकि रूस और अमेरिका पाँच दशक पहले चंद्रमा पर विजय प्राप्त कर चुके हैं, फिर भी भारत की यह उपलब्धि बहुत महत्वपूर्ण है। अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ के संसाधनों को देखते हुए हमारी उपलब्धि हल्की नहीं है।

तकनीकी कौशल

बेशक हम गरीब हैं, पर हमारे लोगों ने तकनीकी कौशल का प्रदर्शन किया है। भारतीय इंजीनियरों, डॉक्टरों और अंतरिक्ष-विज्ञानियों से लेकर अर्थशास्त्रियों तक ने दुनिया में अपनी श्रेष्ठता साबित की है। चंद्रयान की इस सफलता के चार दिन पहले ही रूस को चंद्रमा पर निराशा का सामना करना पड़ा। भारत ने जिस तकनीक और किफायत से इस उपलब्धि को हासिल किया, उसपर गौर करने की जरूरत है। किफायती हाई-टेक के क्षेत्र में भारत ने अपने झंडे गाड़े हैं।

चंद्रयान-2 की विफलता से हासिल अनुभव का इसरो ने फायदा उठाया और उन सारी गलतियों को दूर कर दिया, जो पिछली बार हुई थीं। उन्नत चंद्रयान-3 लैंडर को आकार देने के लिए 21 उप-प्रणालियों को बदला गया। ऐसी व्यवस्था की गई कि यदि किसी एक पुर्जे या प्रक्रिया में खराबी आ जाए, तो दूसरा उसकी जगह काम संभाल लेगा। लैंडिंग की प्रक्रिया को मिनटों और सेकंडों के छोटे-छोटे कालखंडों में बाँटकर इस तरह से संयोजित किया गया कि अभियान के विफल होने की संभावना ही नहीं बची।