भारत-उदय-01
जी-20 में भारतीय अध्यक्षता का समापन एक नए शीतयुद्ध के प्रस्थान-बिंदु के रूप में हो रहा है. दुनिया फिर से दो ध्रुवों में बँट रही है और उसपर यूक्रेन-युद्ध की छाया है. दिल्ली में हो रहा शिखर सम्मेलन भारत के बढ़ते महत्व को रेखांकित कर रहा है. अलबत्ता उसके धैर्य, विवेक और संतुलन की परीक्षा भी यहाँ होगी.
भारत की भूमिका दो पक्षों के बीच में रहते हुए शांति की राह पर ले
जाने वाले मार्ग-दर्शक की है, पर यह पचास के दशक का गुट-निरपेक्ष भारत नहीं है. तब हमारी राज्य-शक्ति सीमित थी. हम केवल
नैतिक-शक्ति के सहारे थे. आज हम शक्ति के ‘हार्ड’ और ‘सॉफ्ट’ दोनों तत्वों से लैस हैं. दुनिया
की महत्वपूर्ण आर्थिक शक्तियों में भारत की गिनती अब हो रही है. और भविष्य की दिशा
बता रही है कि भारत अब दुनिया का नेतृत्व करेगा.
महाशक्ति की दिशा
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और टिप्पणीकार मार्टिन वुल्फ ने हाल में
ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित अपने एक कॉलम में लिखा है कि भारत
महाशक्ति बनने की दिशा में बढ़ रहा है और 2050 तक भारत की अर्थव्यवस्था अमेरिका के
बराबर पहुँच जाएगी. वे मानते हैं कि बेहतर नीतियों के साथ, यह वृद्धि और भी अधिक हो सकती है.
हाल में चंद्रयान-3 की विजय के बाद पश्चिमी
देशों ने भी माना कि आज का स्वाधीन भारत वैश्विक-मंच पर महाशक्ति के रूप में उभर
रहा है. नए की परिकल्पना हमेशा रहती है, पर युगांतरकारी मोड़
कभी-कभी आते हैं. भारत में हो रहा जी-20 का शिखर सम्मेलन ऐसे ही एक अवसर की गवाही
दे रहा है.
भारत के अंतरिक्ष-कार्यक्रम का इस्तेमाल सार्वजनिक शिक्षा, जनसंचार, मौसम की जानकारी और आपदा-नियंत्रण में हुआ है. समावेशी विकास की यह कहानी जी-20 शिखर सम्मेलन के समानांतर चलेगी. भारत की फोन कॉल, डिजिटल प्रणाली यानी कि इंटरनेट वगैरह दुनिया में सबसे सस्ते हैं. इसका विस्तार हो रहा है, जिससे गरीबों और महिलाओं का सशक्तिकरण हो रहा है.