Wednesday, June 21, 2023

भारत-अमेरिका सहयोग की लंबी छलाँग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 से 25 जून तक अमेरिका और मिस्र की यात्रा पर जा रहे हैं. यह यात्रा अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण है, और उसके व्यापक राजनयिक निहितार्थ हैं. यह तीसरा मौका है, जब भारत के किसी नेता को अमेरिका की आधिकारिक-यात्रा यानी स्टेट-विज़िटपर बुलाया गया है.

इस यात्रा को अलग-अलग नज़रियों से देखा जा रहा है. सबसे ज्यादा विवेचन सामरिक-संबंधों को लेकर किया जा रहा है. अमेरिका कुछ ऐसी सैन्य-तकनीकें भारत को देने पर सहमत हुआ है, जो वह किसी को देता नहीं है. कोई देश अपनी उच्चस्तरीय रक्षा तकनीक किसी को देता नहीं है. अमेरिका ने भी ऐसी तकनीक किसी को दी नहीं है, पर बात केवल इतनी नहीं है. यात्रा के दौरान कारोबारी रिश्तों से जुड़ी घोषणाएं भी हो सकती हैं.

सहयोग की नई ऊँचाई

इक्कीसवीं सदी के पिछले 23 वर्षों में भारत-अमेरिका रिश्तों में क्रमबद्धता है. उसी श्रृंखला में यह यात्रा रिश्तों को एक नई ऊँचाई पर ले जाएगी. आमतौर पर माना जा रहा है कि अमेरिका को चीन के बरक्स संतुलन बनाने के लिए भारत की जरूरत है. दूसरी तरफ भारत को भी बदलती वैश्विक-परिस्थितियों में अमेरिकी तकनीक, पूँजी और राजनयिक-समर्थन की जरूरत है.

प्रधानमंत्री की यात्रा के कुछ दिन पहले अमेरिकी रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन भारत आए थे. अनुमान है कि उनके साथ बातचीत के बाद काफी सौदों की पृष्ठभूमि तैयार हो चुकी है. इसी साल जनवरी में भारत के रक्षा सलाहकार अजित डोभाल और अमेरिकी रक्षा सलाहकार जेक सुलीवन ने इनीशिएटिव फॉर क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (आईसेट) को लॉन्च किया था. तकनीकी सहयोग के लिहाज से यह बेहद महत्वपूर्ण पहल है.

भारत की रक्षा खरीद परिषद ने गत 15 जून को जनरल एटॉमिक्स से 30 प्रिडेटर ड्रोन खरीद के सौदे को स्वीकृति दे दी. इन 30 में से 14 नौसेना को मिलेंगे. हिंद महासागर में भारत की बढ़ती भूमिका के मद्देनज़र यह खरीद काफी महत्वपूर्ण है. नौसेना ने 2020 में दो एमक्यू-9ए ड्रोन पट्टे पर लिए थे, जिन्होंने पिछले साल तक 10 हजार घंटों की उड़ानें भर ली थीं.

मोदी की यात्रा के दौरान संभावित सामरिक-सौदों के अनुमान भारत की रक्षा-खरीद परिषद के फैसलों से लगाए जा सकते हैं. कुछ सौदों का अनुमान लगाया नहीं जा सकता, क्योंकि उनके साथ गोपनीयता की शर्तें होती हैं. अलबत्ता लड़ाकू जेट विमानों के लिए जनरल इलेक्ट्रिक इंजनों के भारत में निर्माण का समझौता उल्लेखनीय होगा.

भारत को विमानवाहक पोतों पर तैनात करने के लिए लड़ाकू विमानों की जरूरत है, जो रूसी मिग-29के की जगह लेंगे. इसके लिए फ्रांसीसी राफेल और अमेरिका के एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट के परीक्षण हो चुके हैं. देखना होगा कि दोनों में से कौन से विमान का चयन होता है.

भारत के लड़ाकू विमान कार्यक्रम में एक बाधा स्वदेशी हाई थ्रस्ट जेट इंजन कावेरी के विकास में आए अवरोधों ने पैदा की है. जीई के इंजन को तेजस मार्क-2 में लगाया जाएगा और दो इंजन वाले पाँचवीं पीढ़ी के विमान एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एम्का) में भी जीई के इंजनों का इस्तेमाल होगा.

सबसे बड़ी जरूरत रक्षा उद्योग में आत्मनिर्भरता से जुड़ी है. इस दौरान भारत अपने कावेरी इंजन का उत्तरोत्तर विकास करेगा. इसके साथ ही फ्रांस के सैफ्रान और ब्रिटेन के रॉल्स रॉयस के साथ भी जेट इंजन विकास की बातें चल रही हैं.

पश्चिमी देश अब इस बात को महसूस कर रहे हैं कि भारत की रूस पर निर्भरता इसलिए भी बढ़ी, क्योंकि हमने उसकी उपेक्षा की. ताजा खबर है कि भारत और जर्मनी के बीच छह पनडुब्बियों के निर्माण का समझौता होने जा रहा है. हाल में भारत के दौरे पर आए जर्मन रक्षामंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने  डॉयचे वेले (जर्मन रेडियो) को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारत का रूसी हथियारों पर निर्भर रहना जर्मनी के हित में नहीं है.

Monday, June 19, 2023

लोकसभा चुनाव से पहले फिर छिड़ेगी आरक्षण की बहस

लोकसभा चुनाव आने के पहले देश में जाति के आधार पर आरक्षण की बहस एकबार फिर से छिड़ने की संभावना है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी ने दावा किया था कि हम आरक्षण का प्रतिशत 50 फीसदी से ज्यादा करेंगे। कोलार की एक रैली में राहुल गांधी ने नारा लगाया,  ‘जितनी आबादी, उतना हक। वस्तुतः यह बसपा के संस्थापक कांशी राम के नारे का ही एक रूप हैजिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जातीय आधार पर आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत तक रखी है, उसे खत्म करना चाहिए। 

इसके पहले रायपुर में हुए पार्टी महाधिवेशन में इस आशय का एक प्रस्ताव पास भी किया गया था। कर्नाटक चुनाव के ठीक पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने 3 अप्रेल को सामाजिक न्याय का नया मोर्चा बनाने की घोषणा की थी, जिसके पीछे विरोधी दलों की एकता कायम करना था। साथ ही इस एकता के पीछे ओबीसी तथा दलित जातियों के हितों के कार्य को आगे बढ़ाना था। बिहार की जातिगत जनगणना भी इसी का एक हिस्सा थी।

ओबीसी राजनीति का यह आग्रह केवल विरोधी दलों की ओर से ही नहीं है, बल्कि अब भारतीय जनता पार्टी भी इसमें पूरी ताकत से शामिल है। अगले साल चुनाव के ठीक पहले अयोध्या में राम मंदिर का एक हिस्सा जनता के लिए खोल दिया जाएगा। राम मंदिर का ओबीसी राजनीति से टकराव नहीं है, क्योंकि ओबीसी जातियाँ प्रायः मंदिर निर्माण के साथ रही हैं। बिहार में इस समय नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की राजनीति के समांतर बीजेपी की सोशल इंजीनियरी भी चल रही है।

Sunday, June 18, 2023

भारत की विलक्षण ‘सॉफ्ट पावर’ योग


पिछले आठ साल से दुनिया भर में पूरे उत्साह से मनाए गए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस ने भारत की सॉफ्ट पावरको मज़बूती दी है। 21 जून 2015 को, जिस दिन पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 37,000 लोगों के साथ योग का प्रदर्शन किया। यह असाधारण परिघटना थी, पर अकेली नहीं थी। ऐसे तमाम प्रदर्शन दुनिया के देशों में हुए थे। उस अवसर पर दुनिया के हर कोने से, योग-प्रदर्शन की तस्वीरें आईं थीं। अब प्रधानमंत्री 20 से 25 जून तक अमेरिका और मिस्र की यात्रा पर जा रहे हैं। यह यात्रा अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण है, और उसके व्यापक राजनयिक निहितार्थ हैं, पर फिलहाल यह जानकारी महत्वपूर्ण है कि न्यूयॉर्क स्थित संरा मुख्यालय में वे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का नेतृत्व करेंगे। यह भारत की सॉफ्ट पावर है। सॉफ्ट पावर का मतलब है बिना किसी ज़ोर-ज़बरदस्ती के दूसरों को प्रभावित करना। योग के मार्फत दुनिया का बदलते भारत से परिचय हो रहा है। योग के सैकड़ों कॉपीराइट दुनिया भर में कराए गए हैं। भारत में जन्मी इस विद्या के बहुत से ट्रेडमार्क दूसरे देशों के नागरिकों ने तैयार कर लिए हैं। एक उद्यम के रूप में भी योग विकसित हो रहा है। यह दुनिया को भारत का वरदान है।

हमारी सॉफ्ट पावर

भारत के पास प्राचीन संस्कृति और समृद्ध ऐतिहासिक विरासत है। हम अपनी इस विरासत को दुनिया के सामने अच्छी तरह पेश करें तो देश की छवि अपने आप निखरती जाएगी। इसी तरह भारत में बौद्ध संस्कृति से जुड़े महत्वपूर्ण केंद्र हैं। यह संस्कृति जापान, चीन, कोरिया और पूर्वी एशिया के कई देशों को आकर्षित करती है। अंतरराष्ट्रीय पर्यटन हमारी सॉफ्ट पावर को बढ़ाएगा। गूगल के तत्कालीन कार्याधिकारी अध्यक्ष एरिक श्मिट ने कुछ साल पहले कहा था कि आने वाले समय में भारत दुनिया का सबसे बड़ा इंटरनेट बाज़ार बन जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ बरसों में इंटरनेट पर जिन तीन भाषाओं का दबदबा होगा वे हैं- हिंदी, मंडारिन और अंग्रेजी। जिस तरह से लोकतांत्रिक मूल्यों का वैश्विक-प्रसार अमेरिका की सॉफ्ट पावर है, तो, भारत के लिए यही काम योग करता है। अगले एक दशक में योग की इस ताक़त को आप राष्ट्रीय शक्ति के रूप में देखेंगे। योग यानी भारत की शक्ति। विदेश नीति का लक्ष्य होता है राष्ट्रीय हितों की रक्षा। इसमें देश की फौजी और आर्थिक शक्ति से लेकर सांस्कृतिक शक्ति तक का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे इन दिनों ‘सॉफ्ट पावर’ कहते हैं। अमेरिका की ताकत केवल उसकी सेना की ताकत नहीं है। लोकतांत्रिक व्यवस्था, नवोन्मेषी विज्ञान-तकनीक और यहाँ तक कि उसकी संस्कृति और जीवन शैली ताकत को साबित करती है। करवट बदलती दुनिया में भारत भी अपनी भूमिका को स्थापित कर रहा है।

Wednesday, June 14, 2023

राष्ट्रीय-प्रतिष्ठा से जुड़ी है ‘कोहिनूर’ और पुरावस्तुओं की वापसी


हाल में भारतीय संसद की एक स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ‘कोहिनूर’ हीरे को वापस लाने की भारत की माँग जायज़ है. हालांकि हाल के वर्षों में संस्कृति मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की कोशिशों से भारत की पुरानी कलाकृतियाँ और पुरातात्विक वस्तुएं देश में आई हैं, फिर भी ‘कोहिनूर’ हीरे को देश में वापस लाना आसान नहीं है.

‘कोहिनूर’ को लौटाने की माँग सिर्फ भारत ही नहीं करता, बल्कि पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान की भी इसपर दावेदारी है. भारत ने पहली बार ब्रिटेन से 1947 में आजादी मिलने के बाद ही इसे सौंपने की मांग की थी. दूसरी बार 1953 में मांग की गई.

2000 में भारत की तरफ से फिर माँग की गई. कुछ सांसदों ने ब्रिटिश सरकार को चिट्ठी लिखी. ब्रिटिश सरकार ने तब कहा कि ‘कोहिनूर’ के कई दावेदार हैं. 2016 में भारत के संस्कृति मंत्रालय ने कहा कि वह ‘कोहिनूर’ को भारत लाने के लिए हर संभव प्रयास करेगा.

जुलाई 2010 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन भारत दौरे पर आए तो ‘कोहिनूर’ लौटाने की बात उनके सामने भी उठी. कैमरन ने तब कहा कि ऐसी मांगों पर हाँ कर दें, तो ब्रिटिश म्यूजियम खाली हो जाएंगे. फरवरी 2013 में भारत दौरे पर कैमरन ने फिर कहा कि ब्रिटेन ‘कोहिनूर’ नहीं लौटा सकता.

क्वीन कैमिला ने नहीं पहना

पिछले साल ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के निधन के बाद और हाल में उनके पुत्र किंग चार्ल्स तृतीय के राज्याभिषेक के दौरान कई बार ‘कोहिनूर’  का जिक्र हुआ. यह चर्चा इसलिए भी हुई, क्योंकि ‘कोहिनूर’ हीरा महारानी एलिज़ाबेथ के मुकुट में था, पर रानी कैमिला के मुकुट में नहीं है. उसकी जगह महारानी मैरी के मुकुट को सजा-सँवार उन्हें पहनाया गया.

अब राजपरिवार को लगता है कि ‘कोहिनूर’ पहनने से भारत के साथ राजनयिक संबंधों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार राजपरिवार अब यह मानने लगा है कि ‘कोहिनूर’ हीरा जबरन हासिल किया गया था.

Sunday, June 11, 2023

कृत्रिम मेधा के खतरे और वरदान


पिछले हफ्ते तमाम बड़ी खबरों के बीच तकनीक और विज्ञान से जुड़ी एक खबर को उतना महत्व नहीं मिला, जितने की वह हकदार थी। ओपनएआई के सीईओ सैम अल्टमैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, जिसके बाद प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया: अंतर्दृष्टिपूर्ण बातचीत के लिए सैम अल्टमैन को धन्यवाद…हम उन सभी सहयोगों का स्वागत करते हैं, जो नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए हमारे डिजिटल बदलाव को गति दे सकते हैं। यह मुलाकात भले ही बड़ी खबर नहीं बनी हो, पर आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस यानी एआई इन दिनों तकनीकी-विमर्श के शिखर पर है। मई के महीने में जापान में हुई जी-7 की बैठक में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस पर विचार भी एजेंडा में शामिल था। उन्हीं दिनों जब ओपनएआई ने आईओएस के लिए चैटजीपीटी ऍप लॉन्च किया, तब से इसका ज़िक्र काफी हो रहा है। चैटजीपीटी ओपन एआई द्वारा विकसित नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग मॉडल है। इसके बारे में विवरण पहली बार 2018 में एक शोधपत्र  में प्रकाशित किया गया था। इसे आप गूगल की तरह का एक टूल मान सकते हैं, जो आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस की मदद से प्रश्नों के जवाब देता है। महत्वपूर्ण चैटजीपीटी या ओपनएआई नहीं, आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस है, जिसे मनुष्य-जाति के लिए तकनीकी वरदान माना जा रहा है, वहीं इसे खतरा भी माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि यह तकनीक अंततः मनुष्य-जाति के अस्तित्व के लिए खतरे पैदा कर सकती है। 

ओपनएआई

आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (एआई) से जुड़ी रिसर्च लैबोरेटरी ओपनएआई आईएनसी, नॉन-प्रॉफिट संस्था है, जिससे जुड़ी ओपनएआई एलपी लाभकारी संस्था है। इसकी स्थापना 2015 में सैम अल्टमैन, एलन मस्क और कुछ अन्य व्यक्तियों ने सैन फ्रांसिस्को में की थी। फरवरी, 2018 में मस्क ने इसके बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था, पर वे डोनर के रूप में इसके साथ बने रहे। इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट और मैथ्यू ब्राउन कंपनी ने इसमें निवेश किया। इस साल माइक्रोसॉफ्ट ने इसमें 10 अरब डॉलर का एक और निवेश किया है। आईआईटी दिल्ली में डिजिटल इंडिया डायलॉग्स कार्यक्रम में, अल्टमैन ने खुलासा किया कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी मुलाकात मजेदार रही। पीएम मोदी आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (एआई) को लेकर उत्साहित हैं। अल्टमैन ने कहा कि उन्होंने उभरती प्रौद्योगिकी के डाउनसाइड्स, यानी खतरों पर भी चर्चा की।

खतरा कैसा खतरा?

यह अंदेशा कंप्यूटर-युग की शुरुआत में ही व्यक्त किया गया था कि जब मशीनें मनुष्य का स्थान लेने लगेंगी, तब उसका विस्तार एक दिन इंसान के अंत के रूप में भी हो सकता है। अब विशेषज्ञ खुलकर कह रहे हैं कि आर्टिफ़ीशियल इंटेलिजेंस से इंसानी वजूद को ख़तरा हो सकता है। उसका हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। मसलन ड्रग डिस्कवरी टूल्स की मदद से रासायनिक हथियार बनाए जा सकते हैं। फ़ेक जानकारियाँ अस्थिरता पैदा करेंगी। साथ ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित होगी। एआई की ताक़त थोड़े से हाथों में सिमटने का खतरा भी है।  सरकारें बड़े पैमाने पर लोगों की निगरानी करने और दमनकारी सेंसरशिप के लिए इस्तेमाल करेंगी। मनुष्य एआई पर निर्भर होकर जबर्दस्त आलसी बन जाएंगे और मशीनें अमर होने के तरीके खोज लेंगी, जैसा पिक्सेल फ़िल्म वॉल ई जैसी फिल्मों में दिखाया गया है। दूसरी तरफ एआई वैज्ञानिक यह भी कहते हैं कि ऐसे सर्वनाश की परिकल्पना भी कुछ ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर बताई जा रही है।