पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने देश के
नए सेनाध्यक्ष के पद पर नियुक्ति के लिए सैयद आसिम मुनीर के नाम को स्वीकृति
दे दी है। इस तरह से आशंकाएं खत्म हो गई हैं कि राष्ट्रपति किसी किस्म का अड़ंगा
लगाएंगे। इस संशय की वजह थी, देश की राजनीतिक परिस्थितियाँ।
आज दिन में पाकिस्तान की सूचना मंत्री मरियम
औरंगजेब ने एक ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने लेफ्टिनेंट जनरल
साहिर शमशाद मिर्जा को जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ का अध्यक्ष और लेफ्टिनेंट जनरल सैयद आसिम
मुनीर को सेना प्रमुख नियुक्त करने का फैसला किया है।
सांविधानिक व्यवस्था के अनुसार देश के
राष्ट्रपति आसिफ़ अल्वी को प्रधानमंत्री के फ़ैसले पर मुहर लगानी चाहिए, पर पूर्व
प्रधानमंत्री इमरान खान ने इसके पहले कहा था कि राष्ट्रपति अपना फैसला करने के
पहले मुझसे परामर्श करेंगे। अल्वी साहब इमरान खान की पार्टी पीटीआई से आते हैं।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता फवाद चौधरी ने
कहा है कि नए सेना प्रमुख की नियुक्ति को लेकर पीटीआई के अध्यक्ष इमरान खान और
राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के बीच बैठक के दौरान राजनीतिक, संवैधानिक
और कानूनी मुद्दों पर चर्चा हुई।
राष्ट्रपति आरिफ़ अल्वी की भूमिका तब विवादास्पद
हो गई थी, जब इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ अविश्वास मत के सफल
होने के बाद शहबाज़ शरीफ़ सरकार के फ़ैसलों में वे 'देरी'
वाली रणनीति अपनाने लगे थे। उन्होंने नई सरकार को पहला झटका तब दिया
था, जब शहबाज़ शरीफ़ के कार्यभार संभालने का दिन आया था।
प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद शहबाज़ शरीफ़ को
राष्ट्रपति से शपथ लेनी थी, लेकिन राष्ट्रपति भवन से ख़बर आई कि राष्ट्रपति आरिफ़
अल्वी की तबीयत अचानक बिगड़ गई है जिसके कारण वे शपथ नहीं दिलवा सकेंगे। उन्हें सीनेट
चेयरमैन सादिक संजरानी ने शपथ दिलाई। बाद में जब पंजाब के मुख्यमंत्री परवेज़
इलाही को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलवाने की बात आई तो उन्होंने रातोंरात
राष्ट्रपति भवन में परवेज़ इलाही को शपथ दिलाई।
इसी वजह से यह सवाल उठाया जा रहा था कि इमरान ख़ान की तरफ़ से आरिफ़ अल्वी के साथ मिलकर जिस खेल की बात की जा रही थी वह क्या हो सकता है? बहरहाल पाकिस्तान में इस वक्त कुछ भी हो सकता है। खासतौर से इमरान खान किसी भी हद तक जा सकते हैं।