Thursday, January 7, 2021

राष्ट्रपति पद से ट्रंप की हिंसक विदाई

 


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी पराजय को हिंसक मोड़ देकर लोकतांत्रिक इतिहास में अपना नाम सिरफिरे व्यक्ति के रूप में दर्ज करा लिया है। उन्होंने बुधवार 6 जनवरी को अपने समर्थकों को भड़काकर जिस तरह से उन्हें अमेरिकी संसद भवन कैपिटल बिल्डिंग में प्रवेश करने को प्रेरित किया, उस तरह के उदाहरण अमेरिकी इतिहास में बहुत कम मिलते हैं। भीड़ को रोकने के प्रयास में हुई हिंसा में कम से कम चार लोगों की मौत होने का समाचार है।

अमेरिकी कैपिटल बिल्डिंग के चारों तरफ़ सड़कों पर पुलिस दंगे की आशंका को लेकर तैनात है। वॉशिंगटन की मेयर ने पूरी रात के लिए कर्फ़्यू लगा दिया है। वॉशिंगटन पुलिस के प्रमुख का कहना है कि स्थानीय समय के हिसाब से रात साढ़े नौ बजे तक 52 लोग गिरफ़्तार किए जा चुके हैं। चार लोगों को बिना लाइसेंस पिस्तौल रखने के लिए, एक को प्रतिबंधित हथियार रखने के लिए और 47 को कर्फ़्यू उल्लंघन और ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से घुसने के लिए। दो पाइप बम भी मिले हैं। एक कैपिटल बिल्डिंग के पास डेमोक्रेटिक नेशनल कमिटी दफ़्तर से और एक रिपब्लिकन नेशनल कमिटी के मुख्य दफ़्तर से।

Wednesday, January 6, 2021

खेती-किसानी से जुड़े व्यापक सवालों पर भी बहस होनी चाहिए


किसान-आंदोलन के समांतर देश में खेती को लेकर जो चर्चा चलनी चाहिए थी, वह मुझे दिखाई नहीं पड़ रही है। खासतौर से हिंदी मीडिया में यह चर्चा सिरे से नदारद है। आंदोलन से जुड़ी खबरें जरूर बड़ी तादाद में हैं, पर उनका लक्ष्य या तो सरकार का विरोध है या समर्थन। पर हमें खेती और किसानों की स्थिति को समझना चाहिए। इसके साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था में आ रहे बदलावों पर भी नजर डालनी चाहिए। यह सच है कि आज भी हमारा समाज खेतिहर है, पर यह गर्व की बात नहीं है। यह मजबूरी है, क्योंकि कारोबार और रोजगार के हमारे वैकल्पिक साधनों का विकास धीमा है। बहरहाल आज यानी 6 जनवरी और कल यानी 5 जनवरी के इंडियन एक्सप्रेस के दो लेख मुझे पठनीय लगे। यदि आपकी दिलचस्पी इस चर्चा को आगे बढ़ाने में हो, तो मुझे खुशी होगी। मैंने इस सिलसिले में कुछ और महत्वपूर्ण आलेख सँजोकर रखे हैं। बात आगे बढ़ेगी, तो मैं उन्हें भी सामने रखूँगा।

आज के इंडियन एक्सप्रेस में दीपक पेंटल का लेख इन फार्म डिबेट, मिसिंग आरएंडडी प्रकाशित हुआ है। दीपक पेंटल दिल्ली विवि के पूर्व कुलपति हैं। मुझे याद पड़ता है कि दिल्ली विवि में जेनेटिक खेती पर काफी काम उनके कार्यकाल में हुआ था। बहरहाल उन्होंने इस लेख में कहा है कि इस समय चर्चा मुख्यतः न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हो रही है, जबकि इन किसानों के पास धान और गेहूँ की खेती के स्थान पर नई फसलों का विकल्प था, जिसपर उन्हें अबतक चले जाना चाहिए था।

Tuesday, January 5, 2021

जॉर्जिया से सीनेट की दो सीटें तय करेंगी अमेरिकी राजनीति की दिशा

 


अमेरिका में चुनाव का रोमांच अभी बाकी है, जिसका नतीजा भारतीय समय से कल यानी 6 जनवरी की सुबह पता लगेगा। अमेरिकी समय से वह 5 जनवरी की रात होगी। 5 जनवरी को जॉर्जिया में सीनेट की दो सीटों के लिए दोबारा चुनाव होने जा रहा है। इन सीटों पर 3 नवंबर को भी चुनाव हुआ था लेकिन जॉर्जिया के कानून के मुताबिक, किसी भी उम्मीदवार को बहुमत यानी 50 फीसदी वोट नहीं मिले थे, इसलिए रन-ऑफ की जरूरत पड़ी।

डोनाल्ड ट्रंप हर कीमत पर इन दोनों सीटों को जीतना चाहते हैं, क्योंकि इससे सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत हो जाएगा, जिससे नए राष्ट्रपति जो बाइडेन की स्थिति कमजोर हो जाएगी। इन नतीजों के आने के बाद 6 जनवरी को अमेरिकी संसद में इलेक्टोरल कॉलेज वोट की गिनती होने जा रही है।

अमेरिकी संसद के उच्च सदन सीनेट की मौजूदा स्थिति इस चुनाव को महत्वपूर्ण बनाती है। रन-ऑफ में रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से डेविड पर्ड्यू और केली लॉफ्लर खड़े हैं, जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से जॉन ओसोफ और रफाल वरनॉक हैं। नवंबर के चुनाव में पर्ड्यू को 49.8 फीसदी और ओसोफ को 47 फीसदी वोट मिले थे। ओपीनियन पोल्स में दोनों सीटों पर रिपब्लिकन उम्मीदवार आगे बताए गए हैँ।

Monday, January 4, 2021

जो बाइडेन की प्राथमिकताओं पर भारत की निगाहें


आगामी 20 जनवरी को जो बाइडेन अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में अपना काम संभाल लेंगे। वे कहते रहे हैं कि मेरा सबसे पहला काम कोविड-19 की महामारी को रोकने का होगा। यह काम स्वाभाविक है, पर वे इसके साथ ही कुछ दूसरी बड़ी घोषणाएं अपने काम के पहले दिन कर सकते हैं। अपने चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने दर्जनों और महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों को गिनाया है। इनमें आर्थिक और पर्यावरण से जुड़े मसले हैं, सामाजिक न्याय, शिक्षा तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी बातें हैं।

डोनाल्ड ट्रंप की कुछ नीतियों को वापस लेने या उनमें सुधार के काम भी इनमें शामिल कर सकते हैं। उन्होंने अपने पहले 100 दिन के जो काम घोषित किए हैं उनमें आप्रवास से जुड़ी कोई दर्जन भर बातें हैं, जिन्हें लागू करना आसान भी नहीं है। सबसे बड़ी परेशानी संसद में खड़ी होगी। प्रतिनिधि सदन में डेमोक्रेटिक पार्टी का बहुमत जरूर है, पर वहाँ भी रिपब्लिकन पार्टी ने अपनी स्थिति बेहतर बनाई है। सीनेट की शक्ल जनवरी में जॉर्जिया की दो सीटों पर मतदान के बाद स्पष्ट होगी।

Sunday, January 3, 2021

उम्मीदों के उजाले में


हरिवंश राय बच्चन की कविता की एक पंक्ति है, साथी, साथ न देगा दुख भी। इसी तरह फिल्म मदर इंडिया का गीत है दुख भरे दिन बीते रे भैया, अब सुख आयो रे। दुख भी अनंतकाल तक नहीं रह सकता। जिस तरह पिछला साल गुजरा, वैसा बहुत कम होता है, पर दुनिया ने एक से एक बड़े दुख देखे हैं और वह हमेशा उनसे बाहर निकल कर आई है। जरूरत होती है उस सामूहिक हौसले की जो ऐसे समय पर काम आते हैं।

दुनियाभर को इस बार नए साल का जिस शिद्दत से इंतजार था, वैसा भी कम होता है। सबको उम्मीद है कि इस साल जिंदगी पटरी पर आएगी। इस माहौल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन का कवि भी जागा और उन्होंने देशवासियों के नाम एक कविता लिखी और ट्विटर पर उसे शेयर किया है। कविता का शीर्षक है 'अभी तो सूरज उगा है।' कैसा है उनकी उम्मीद का सूरज?

ढर्रे पर आती व्यवस्था

नए साल की शुरुआत हम कोविड-19 के खिलाफ वैक्सीन से कर रहे हैं। कल पूरे देश में वैक्सीन लगाने का पूर्वाभ्यास हुआ है। कोरोना के कारण हमारी अर्थव्यवस्था संकुचन के स्तर पर आ चुकी है। उसे वापस ढर्रे पर लाना है। अगले वित्त वर्ष का बजट आने में अब एक महीने से कम का समय बचा है। इस साल भारत की जनगणना शुरू होने वाली है, जो अपने किस्म की दुनिया की सबसे बड़ी प्रशासनिक गतिविधि है। किसान आंदोलन को सुलझाने की कोशिशों की सफलता की संभावनाएं नजर आ रही हैं। दिल्ली के दरवाजे पर किसान आंदोलन है। संभव है कि अगली 4 जनवरी की बातचीत के बाद कोई रास्ता निकले। भारत दो साल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता शुरू कर रहा है। शायद लद्दाख में चल रहा गतिरोध खत्म हो जाए। बात उम्मीदों की है।